दिनभर में 10-15 गुटखे का पाउच खा जाती थी प्रेग्नेंट महिला, पैदा हुए बच्चे को देख डॉक्टर SHOCKED

Published : Jul 05, 2023, 12:48 PM ISTUpdated : Jul 05, 2023, 04:06 PM IST
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सार

प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को अपनी सेहत पर खास ध्यान रखने की सलाह डॉक्टर देते हैं। शराब , सिगरेट और अन्य तंबाकू युक्त चीजों के सेवन की उन्हें मनाही होती है। लेकिन एक गर्भवती महिला ने प्रेग्नेंसी में गुटखा खाया और जो हुआ वो हैरान करने वाला था।

हेल्थ डेस्क. कहते हैं एक मां जो खाती है उसका असर पेट में पल रहे बच्चे पर होता है। डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को तंबाकू, शराब के सेवन से दूर रहने की सलाह देते हैं। लेकिन गुजरात (Gujarat) में रहने वाली प्रेग्नेंट महिला ने पूरी प्रेग्नेंसी में गुटखे का सेवन किया और इसका असर नवजात बच्चे पर देखने को मिला। बच्चा जैसे ही मां के गर्भ से बाहर निकला उसका पूरा शरीर नीला पड़ा हुआ था। उसमें सामान्य प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिल रही थी।

15 साल से गुटखा खाने की महिला को लगी थी लत

मेडिकल जांच में पाया गया कि बच्चे के शरीर में काफी ज्यादा निकोटीन की मात्रा थी। जिसकी वजह से इस तरह के लक्षण नजर आ रहे थे। दरअसल, नवजात के मां को तंबाकू खाने की बुरी लत थी। वह दिन में 10-15 पाउच तंबाकू-गुटखा खा लेती थी। जिसके ब्लड फ्लो से गर्भ में पल रहे शिशु में निकोटीन का लेवल हाई हो गया। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो नवजात में निकोटीन लेवल 60 ng/ml था। हैरानी होगी यह जानकर कि यह वयस्कों में निकोटीन के सामान्य लेवल से 3 हजार गुना ज्यादा है। समझ सकते हैं कि ये सेहत के लिए किस कदर नुकसानदायक होगा। हालांकि डॉक्टर ने बच्चे को बचा लिया। सही इलाज मिलने से बच्चे के सेहत में सुधार देखा गया। जिसके बाद डॉक्टर ने 5 दिन में उसे डिस्चार्ज कर दिया।

प्रेंग्नेंसी में तंबाकू का सेवन नुकसानदायक

बताया जा रहा है कि महिला जब 15 साल की थी तब से उसको गुटखा खाने की आदत लग गई थी। हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि प्रेग्नेंसी पीरियड में खानपान को लेकर महिला को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। तंबाकू का सेवन करने वाली महिलाओं को गर्भवती होने में समस्या होती है। पेट में पल रहे बच्चे के टीशूज में क्षति हो सकती है।फेफड़े और मस्तिष्क पर इसका दुष्प्रभाव देखने को मिलता है। इतना ही नहीं गर्भपात होने की जोखिम बढ़ जाता है।

CDC के अनुसार, गर्भवती होने पर धूम्रपान करने से जन्म के समय शिशु का कम वज़न, सांस लेने में समस्या और मस्तिष्क क्षति हो सकती है। बच्चे के सुनने और दृष्टि के विकास में भी देरी हो सकती। गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था और प्रसव के दौरान असामान्य रक्तस्राव का जोखिम होता है।

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