स्मोकिंग छोड़कर लोग वैपिंग (ई-सिगरेट) करना शुरू कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि धूएं की लत छोड़कर इसे अपनाने से हेल्थ पर बुरा असर नहीं होगा। लेकिन उनकी सोच गलत है। वर्ल्ड लंग्स कैंसर डे पर जाने इसके क्या-क्या नुकसान सेहत पर पड़ते हैं।
हेल्थ डेस्क. हर साल दुनिया भर में 1 अगस्त को वर्ल्ड लंग्स कैंसर डे (World Lung Cancer Day 2024) मनाया जाता है। इन दिन मनाने के पीछे का मकसद लोगों को अपने लंग्स हेल्थ को लेकर जागरूक करना है। लंग्स कैंसर सबसे आम कैंसर है और कैंसर से होने वाली मौतों प्रमुख कारण हैं। खराब लाइफस्टाइल और गलत आदतों की वजह से लोगों का लंग्स खराब हो रहा है। जिसमें स्मोकिंग, ई-सिगरेट शामिल है। आइए जानते हैं ये फेफड़े समेत हेल्थ को कैसे प्रभावित करते हैं।
स्मोकिंग छोड़कर लोग वैपिंग (ई-सिगरेट) करना शुरू कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि धूएं की लत छोड़कर इसे अपनाने से हेल्थ पर बुरा असर नहीं होगा। लेकिन उनकी सोच गलत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, ई-सिगरेट हानिकारक पदार्थों को फेफड़ों और हृदय प्रणाली में पहुंचा सकती है, जिनमें निकोटीन और अन्य जहरीले केमिकल शामिल हैं। यह खासकर युवाओं और पहसे ही हेल्थ समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए खतरा बन सकता है। इसके अलावा, वैपिंग हानिकारक पदार्थों को फेफड़ों में डालता है और वायु प्रदूषण में भी योगदान कर सकता है।
लंग्स समेत पूरे हेल्थ पर ई सिगरेट और वायु प्रदूषण कैसे असर डालता है?
-वैपिंग और वायु प्रदूषण दोनों ही यंग जनरेशन में अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य फेफड़ों की बीमारियों के हाई दर से जुड़े हैं।
- ई-सिगरेट के धुएं और प्रदूषित हवा के संपर्क में आने से फेफड़ों का विकास प्रभावित हो सकता है, जिससे लॉन्ग टर्म हेल्थ प्रॉबलम्स सामने आ सकती हैं। जब बच्चा पैदा होता है और उसे जहरीली हवा में सांस लेना पड़ता है तो उसके लंग्स का विकास प्रभावित होता है। बढ़ते बच्चों का हेल्थ भी इससे प्रभावित होता है।
-वैपिंग तरल पदार्थों और वायु प्रदूषकों जैसे PM2.5 और NO2 के केमिकल हार्ट से जुड़ी दिक्कतों में भी योगदान करते हैं। जिससे युवाओं में हार्ट रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
-वैपिंग प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है, जिससे यंग जनरेशन में संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। जबकि वायु प्रदूषण इस संवेदनशीलता को सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव का कारण बनकर बढ़ाता है।
-ई-सिगरेट में निकोटीन अत्यधिक नशीला होता है, विशेष रूप से विकसित हो रहे मस्तिष्कों के लिए। इसके परिणामस्वरूप युवा लोगों में वयस्कों की तुलना में लत की दर अधिक होती है।
-अध्ययनों से पता चलता है कि वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं, जैसे कि चिंता और अवसाद। वैपिंग से निकोटीन की लत मानसिक स्वास्थ्य को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है।
-कैंसर की आशंका बढ़ जाती है। वैपिंग और वायु प्रदूषण दोनों ही युवा लोगों को कार्सिनोजेनिक पदार्थों के संपर्क में लाते हैं। इन हानिकारक रसायनों के लंबे समय तक संपर्क से बाद में जीवन में कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
-वैपिंग और वायु प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे श्वसन समस्याएं और दिमागी कार्यक्षमता में कमी, खराब ध्यान केंद्रित करने और अनुपस्थिति में बढ़ोतरी के कारण बन सकी है।
फेफड़ों की सेहत का ख्याल कैसे रखें
धूम्रपान और वैपिंग से बचें: ई-सिगरेट या पारंपरिक सिगरेट का उपयोग न करें। यह फेफड़ों की सेहत के लिए बेहद हानिकारक होता है।
वायु प्रदूषण से बचाव करें: घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें और बाहर जाने से पहले एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) की जांच करें।
स्वस्थ आहार लें: फलों और सब्जियों से भरपूर आहार लें जो फेफड़ों की सेहत को बढ़ावा देते हैं।
नियमित व्यायाम करें: योग और गहरी सांस लेने के अभ्यास से फेफड़ों की क्षमता में सुधार होता है।
मास्क का उपयोग करें: जब भी वायु प्रदूषण अधिक हो, मास्क पहनें।
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