हर साल 10 मई को विश्व ल्यूपस डे (World Lupus Day 2023) मनाया जाता है। यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो शरीर के अलग-अलग अंगों को प्रभावित करता है। आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में सबकुछ।
हेल्थ डेस्क. पूरी दुनिया में ल्यूपस बीमारी को लेकर जागरुकता फैलाने के लिए वर्ल्ड ल्यूपस डे (World Lupus Day 2023) 10 मई यानी आज मनाया जाता है। ल्यूपस बीमारी (lupus disease) को लेकर आम लोगों में जागरुकता की कमी है। 2016 में किए गए एक
वैश्विक सर्वेक्षण के अनुसार केवल एक तिहाई लोगों (39%) को पता था कि ल्यूपस जोड़ों को प्रभावित करता है। बाकि लोग इससे अनजान थे।51% ल्यूपस से जुड़ी जटिलताओं से अनजान हैं। 36 प्रतिशत लोगों को पता ही नहीं था कि ल्यूपस क्या है। तो चलिए जानते हैं ल्यूपस क्या है।
क्या है ल्यूपस बीमारी (what is lupus disease)
ल्यूपस एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जो शरीर में सूजन और कई प्रकार के लक्षणों की वजह बनती है। यह बीमारी बॉडी के सेल्स और टीशूज के लिए खतरनाक साबित होती है। इस बीमारी में हमारे शरीर में प्रोटीन बनने लगता है जो शारीरिक अंगों में सूजन और दर्द का कारण साबित होता है। पुरुषों के मुकाबले यह बीमारी महिलाओं में ज्यादा पाई जाती है।
ल्यूपस बीमारी के लक्षण (lupus symptoms)
जो मरीज इस बीमारी से पीड़ित होते हैं उनमें ये लक्षण नजर आते हैं-
शरीर में दर्द
शारीरिक अंगों में ऐंठन
थकान और बुखार
एसिडिटी
तेज़ सिरदर्द
सीढ़िया चढ़ते वक्त सांस लेने में दिकक्त
बालों का झड़ना
चेहरे पर दाग-धब्बा आना
शरीर में सूजन
इसके अलावा अर्थराइटिस, बटरफ्लाई रैश और अलसर और याददाश्त का कमजोर होना इस बीमारी के लक्षण हो सकते हैं।
ल्यूपस होने के कारण (lupus cause)
ल्यूपस फाउनडेशन ऑफ अमेरिका के अनुसार हार्मोंनल बदलाव, जेनेटिक्स और इनवर्मेंट के संपर्क में आने से लोग इस बीमारी से ग्रस्त होते हैं। हर 10 में से 9 महिलाएं इस बीमारी की शिकार होती हैं। हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक एस्ट्रोजेन और ल्यूपस में कनेक्शन होता है।
इस बीमारी का जोखिम एडोलेसेंस यानि किशोरावस्था से लेकर 30 साल की उम्र की महिलाओं में अधिक होता है।
ल्यूपस का ट्रीटमेंट (lupus treatment)
अगर ल्यूपस से जुड़े कोई लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। सबसे पहले उसके लिए ब्लड टेस्ट करवाना अनिवार्य है। इससे शरीर में यूरिक एसिड और क्रिटनिन के लेवल को चेक किया जाता है। फिर यूरिन टेस्ट होता है। इससे किडनी की जांच होती है। इसके अलावा अल्ट्रासाउंड भी किया जाता है। फिर डॉक्टर दवा देते हैं और क्या खाना है उसके बारे में बताते हैं।
ल्यूपस से पीड़ित को सूरज की रोशनी करती है प्रभावित
ल्यूपस बीमारी से पीड़ित लोगों को सूरज की रोशनी से बचने की सलाह दी जाती है। क्योंकि सूरज से निकलने वाली पैराबैंगनी किरणें शरीर के लिए हानिकारक होती हैं।
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