
हर साल 14 नवंबर को Children’s Day यानी बाल दिवस पूरे देश में बेहद प्यार, उमंग और उत्साह से मनाया जाता है। यह दिन हमारे पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को समर्पित है, जिन्हें बच्चों से बहुत प्रेम था। लेकिन इस दिन का असली महत्व केवल स्कूल में बाल दिवस का कार्यक्रम आयोजन या गिफ्ट देने में नहीं, बल्कि बच्चों को उनके अधिकारों (Rights) के बारे में बताने और उन्हें जागरूक बनाने में है। जब बच्चे अपने अधिकार समझते हैं, तभी वे एक आत्मनिर्भर और सुरक्षित भविष्य की ओर बढ़ते हैं।
हर बच्चे को पढ़ने और सीखने का अधिकार है। भारत का संविधान हर बच्चे को 6 से 14 साल की उम्र तक फ्री और अनिवार्य शिक्षा का हक दिया है। यह अधिकार बच्चों को उनके सपनों को साकार करने और आत्मनिर्भर बनने की राह दिखाता है।
हर बच्चे का अधिकार है कि वह सुरक्षित वातावरण में जिए और किसी भी प्रकार की हिंसा, शोषण या दुर्व्यवहार से बचे। यह जिम्मेदारी न सिर्फ सरकार की बल्कि माता-पिता और समाज की भी है। बच्चों को मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से सुरक्षित रखना उनका बुनियादी अधिकार है।
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स्वस्थ शरीर और मन ही जीवन की सबसे बड़ी पूंजी हैं। बच्चों को साफ पानी, पौष्टिक भोजन और सही इलाज का अधिकार है। अगर बच्चा बीमार है या कुपोषण से जूझ रहा है, तो यह न सिर्फ परिवार बल्कि समाज की भी जिम्मेदारी है कि उसकी सही इलाज और देखभाल करे।
हर बच्चे को अपनी राय, भावनाएं और विचार खुलकर रखने का अधिकार है। चाहे घर में हो, स्कूल में या समाज में, उनकी बातों को सुना और समझा जाना चाहिए। यह अधिकार उन्हें आत्मविश्वास देता है और अपने विचारों को सशक्त रूप से कहने में मदद करता है।
हर बच्चे को समान अधिकार प्राप्त हैं, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, लिंग या वर्ग से हो। किसी भी बच्चे के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। समानता का अधिकार बच्चों को यह भरोसा देता है कि वे इस समाज का समान और सम्मानित हिस्सा हैं।
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1. बाल दिवस क्यों मनाया जाता है?
बाल दिवस हर साल 14 नवंबर को पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के जन्मदिन पर मनाया जाता है, क्योंकि वे बच्चों से बहुत प्यार करते थे और उनके अधिकारों की रक्षा में विश्वास रखते थे।
2. बच्चों को कौन-कौन से अधिकार दिए गए हैं?
मुख्य रूप से बच्चों को शिक्षा, जीवन और सुरक्षा, स्वास्थ्य, अभिव्यक्ति और समानता के अधिकार प्राप्त हैं।
3. शिक्षा का अधिकार Act कब लागू हुआ?
शिक्षा का अधिकार एक्ट (RTE) साल 2009 में लागू किया गया, जो 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए फ्री और अनिवार्य शिक्षा सुनिश्चित करता है।
4. बाल अधिकारों की देखरेख कौन करता है?
भारत में National Commission for Protection of Child Rights (NCPCR) और State Commissions बच्चों के अधिकारों की रक्षा और निगरानी करते हैं।
5. बच्चों को उनके अधिकार क्यों सिखाना जरूरी है?
जब बच्चे अपने अधिकारों को जानते हैं, तो वे खुद को सुरक्षित रखते हैं, आत्मनिर्भर बनते हैं और समाज में अपनी जगह को सम्मान के साथ पहचानते हैं।