
Paithani saree: पैठनी साड़ी के बारे में अधिक जानकारी से पहले जान लीजिए की कैसे पड़ा पैठनी शब्द। दरअसल, प्राचीन शहर प्रतिष्ठान (अब पैठण) से उत्पन्न, इसे पहले 'प्रतिष्ठानी' कहा जाता था जो अब 'पैठणी' बन गया है। 'देव वस्त्र' या देवताओं का कपड़ा कहे जाने वाले इस साड़ी का हिंदू और बौद्ध धर्मग्रंथों में भी ऐतिहासिक महत्व है। महाराष्ट्र की महिलाओं का पहला प्यार साड़ी है। महाराष्ट्र की खूबसूरती और संस्कृति को दर्शाती पैठणी साड़ियों को भी आपके वॉर्डरोब का हिस्सा होना चाहिए। पैठणी साड़ियां शान, विरासत और राजसीपन का प्रतीक हैं। यह साड़ी शहतूत के रेशम से बनी होती है और इस पर जरी का काम होता है। पैठणी साड़ियों का चलन राजाओं और महाराजाओं के समय से चला आ रहा है। इस साड़ी पर खूबसूरत जरी का काम देखकर आप खुद को इस साड़ी को खरीदने से नहीं रोक पाएंगे।
जैसे-जैसे बाजार में इस साड़ी की मांग बढ़ रही है, इसकी प्रामाणिकता भी कम होती जा रही है। आजकल यह अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया है कि आप जो पैठणी साड़ी खरीद रहे हैं वह असली है या नकली। आज हम आपको 5 ऐसे तरीके बताएंगे जिससे आप पता लगा सकते हैं कि यह साड़ी नकली है या नहीं।
आपको साड़ी का डिज़ाइन सिर्फ़ सामने से ही नहीं बल्कि पीछे से भी देखना चाहिए। क्योंकि पैठणी साड़ी हाथ से बुनी जाती है जो इसे बेहतरीन बनाती है। इसमें हर धागा और मोती बहुत बारीकी से लगाया जाता है। अगर इसमें मशीन की सिलाई दिख रही है तो यह साड़ी नकली है।
आपने जिस दुकान या शोरूम से पैठणी साड़ी खरीदी है, उसका लेबल ध्यान से देखें। अगर साड़ी अच्छी जगह से खरीदी गई है तो उस पर हैंडक्राफ्टेड लिखा होगा और उस ब्रांड का लेबल भी लगा होगा। इससे आप यकीन कर सकते हैं कि यह साड़ी अनोखी है और असली पैठणी साड़ी है।
असली पैठणी साड़ी प्रीमियम सिल्क और हैंडमेट जरी के काम से बनी होती है। यही वजह है कि यह वजन में भी अन्य साड़ियों से भारी होती है। यह पता लगाने का सबसे आसान तरीका है कि यह असली है या नहीं।
असली पैठनी साड़ी उच्च गुणवत्ता वाले रेशम से बनी है और इसलिए यह मुलायम और चिकनी लगती है। आप कपड़े को छूकर बता सकते हैं कि यह असली है या नकली।
असली पैठनी साड़ी में भारी जरी का काम है जो इसकी खूबसूरती को बढ़ाता है। इस साड़ी को बनाने में असली सोने और चांदी के धागों का भी इस्तेमाल किया गया है।