What is Manipuri Potloi: उर्वशी रौतेला ने हाल ही में एक फैशन शो में 24 कैरेट सोने से बनी मणिपुरी पोटलोई पहनकर रैंप वॉक किया। यह पारंपरिक परिधान मणिपुर की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है और इसे खासतौर पर शादी समारोहों में पहना जाता है।
फैशन डेस्क: फैशन के मामले में उर्वशी रौतेला हमेशा अप टू डेट रहती हैं। अब हाल ही में एक फैशन शो में एक्ट्रेस ने 24 कैरेट सोने से बनी मणिपुर पारंपरिक ड्रेस पहनकर रैंप वॉक किया। इस आउटफिट पर सोने के धागों से बारीक नक्काशी की गई है, जिसकी वजह से ये खूब लाइमलाइट बटोर रही है। ग्लोबल इंडिया कॉउचर वीक में इस खास आउटफिट को पहना गया। मणिपुर की ट्रेडिशनल आउटफिट पहनकर उर्वशी रैंप स्टेज पर उतरी थीं। इस आउटफिट को मणिपुरी डिजाइनर रॉबर्ट नोरेम ने डिजाइन किया था और सबसे खास बात है कि इस आउटफिट में 24 कैरेट फुल गोल्ड से वर्क किया गया था। सांस्कृतिक विरासत को रिप्रेजेंट करने के लिए मैतेई मणिपुरी दुल्हन बनकर रैंप पर उतरी थीं। यहां जानें मणिपुरी पोटलोई क्या है और ये क्यों खास?
कब पहनी जाती है मणिपुरी पोटलोई?
मणिपुरी पोटलोई मणिपुर की महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला एक पारंपरिक परिधान है, जो मुख्य रूप से शादी समारोहों और सांस्कृतिक अनुष्ठानों के दौरान उपयोग में आता है। इसे मणिपुर की दुल्हनें खासतौर पर अपनी शादी के दिन पहनती हैं। पोटलोई मणिपुरी समाज और इसकी सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह आउटफिट अपनी खास बनावट, बारीक कढ़ाई और शानदार डिजाइन के लिए जाना जाता है। पोटलोई मणिपुरी महिलाओं की सांस्कृतिक पहचान और परंपरा का प्रतीक है। इसे पहनना सम्मान और गौरव का प्रतीक माना जाता है, खासतौर पर मणिपुर की वैष्णव परंपरा में पोटलोई का खास धार्मिक महत्व है। इसे विवाह जैसे पवित्र अवसरों पर पहनना शुभ और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
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कैसे बनाई जाती है मणिपुरी पोटलोई?
बेलनाकार आउटफिट: पोटलोई एक बेलनाकार घाघरे जैसा होता है, जो कमर से नीचे तक ढीला और शाही दिखाई देता है। यह एक डिफरेंट पैटर्न का होता है, जो दुल्हन को एक खास आकार और शाही लुक देता है। इसकी स्टाइल घाघरे या लहंगे जैसी होती है, लेकिन यह सामान्य लहंगे से बहुत अलग और खास होती है।
भारी कढ़ाई और जरी का काम: पोटलोई पर बारीक कढ़ाई और जरी सोने या चांदी के धागों का काम होता है। इसमें पारंपरिक मणिपुरी डिजाइन, जैसे फूल, पत्तियां और धार्मिक प्रतीक उकेरे जाते हैं, जो इसे एक डिफरेंट टच आता है। पोटलोई की सबसे खास बात यह है कि यह एक बांस के फ्रेम पर बनाई जाती है, ताकि यह पहनने वाली को एक बेलनाकार, घेरदार आकार दे।
रंगों का विशेष महत्व: पोटलोई चमकीले और वाइब्रेंट रंगों में आता है, जैसे लाल, हरा, पीला और सुनहरा। रंगों का सिलेक्शन इवेंट की प्रकृति और पारंपरिक मान्यताओं के आधार पर किया जाता है। मणिपुरी शादी में दुल्हन लाल और हरे रंग की पोटलोई पहनती है, जो शुभ माने जाते हैं।
प्राचीन पारंपरिक परिधान: पोटलोई का पहनावा मणिपुरी समाज में महिलाओं की पारंपरिक भूमिका और सांस्कृतिक पहचान को दर्शाता है। इसे विशेषकर मणिपुरी वैष्णव परंपरा से जोड़कर देखा जाता है।
लंबी आस्तीन वाली चोली: पोटलोई के साथ पहनी जाने वाली चोली लंबी आस्तीन की होती है, और इसे पारंपरिक गहनों के साथ जोड़ा जाता है। चोली और पोटलोई के डिजाइन एक-दूसरे से मेल खाते हैं। आपको बता दें पोटलोई का मुख्य रूप से मणिपुरी विवाह में इस्तेमाल किया जाता है। दुल्हन इसे पहनती है, और इसका डिजाइन शादी के पारंपरिक नियमों के अनुसार होता है।
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