सास-बहू की लड़ाई और बेटे का रोल: कैसे बनाएं घर में शांति?

सास-बहू में तनाव आम बात है, लेकिन बेटे की भूमिका अहम होती है। कैसे बनाए रखें संतुलन और घर में शांति, जानें यहां।

Nitu Kumari | Published : Oct 8, 2024 12:00 PM IST

रिलेशनशिप डेस्क. शुरुआत में तो मेरी सास के साथ बिल्कुल नहीं बनती थी। आइए दिन उनके साथ बहस हो जाती थी। लेकिन थैक्स टू अमित की उसने सेचुएशन को बहुत सही तरीके से हैंडल किया और अब मेरी सास मेरी मां की तरह हो गई हैं। हम दोनों खूब मस्ती करते हैं और साथ शॉपिंग भी जाते हैं। ये कहानी सुहाना की है जो शादी के कुछ वक्त बाद ससुराल में खुद को एडजस्ट नहीं कर पा रही थी। लेकिन पति ने ना सिर्फ उसे संभाला बल्कि मां को भी सही तरीके से हैंडल किया।

सास-बहू में तनाव हर घर की कहानी है। ऐसी स्थिति में सबसे हार्ड रोल बेटे की होती है। जहां वो अपनी मां से जुड़ा होता है जो उसे प्यार और केयर करती है और दूसरी ओर पत्नी होती है जो उसकी जीवन साथी हैं। इन दोनों रिश्तों में सामंजस्य बैठाना काफी चैलेंजिंग होता है। लेकिन अमित की तरह अगर हर बेटा कदम उठाए तो तस्वीर पूरी तरह बदल जाती है। आइए जानते हैं सास-बहू की लड़ाई कैसे खत्म की जा सकती है।

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किसी का पक्ष ना लें

जब भी सास-बहू में लड़ाई हो तो बेटे को सबसे पहले तटस्थ रहना चाहिए। किसी का भी पक्ष नहीं लेना चाहिए। अगर बेटा मां की तरफ झुकता है तो बीवी के साथ झगड़े बढ़ जाएंगे और अगर बीवी की तरह जाता है तो मां को यह बात हर्ट करेगी कि बेटा उनकी इज्जत अब नहीं करता है वो बीवी का हो गया है।इसलिए सबसे पहले दोनों को ध्यान से सुनें और सिचुएशन का सही आकलन करें।

समस्या की जड़ को समझें

अक्सर सास-बहू के झगड़े का कारण गलतफहमी या विचारों का अंतर होता है। बेटे को चाहिए कि वह धैर्यपूर्वक स्थिति की गहराई में जाकर समस्या की असली वजह को समझे। हो सकता है कि उनकी लड़ाई छोटी-छोटी बातों पर हो, जिसे बातचीत और समझदारी से हल किया जा सकता है।

दोनों को समान सम्मान दें

मां और पत्नी दोनों ही बेटे के जीवन में अहम स्थान रखती हैं। इसलिए बेटा दोनों के प्रति समान सम्मान बनाए रखे। किसी भी सिचुएशन में मां के इमोशन को आहत किए बिना, पत्नी के अधिकार और सम्मान की रक्षा करना जरूरी है। इससे दोनों को यह एहसास होगा कि वे बेटे के लिए खास हैं, और कोई भी उसकी जिंदगी में दूसरे से कम महत्वपूर्ण नहीं है।

खुली बातचीत को बढ़ावा दें

मां और पत्नी को एक अच्छी जगह पर ले जाएं। उनके बीच ऐसा माहौल पैदा करें कि दोनों एन्जॉय करें। इतना ही नहीं बेटे को चाहिए कि वो मां और पत्नी दोनों को एक दूसरे की भावनाओं को समझने के लिए प्रेरित कर सकता है।

पत्नी को और मां को अकेले में समझाएं

अपनी पत्नी को अकेले में समझाएं कि मां अंदर से बहुत ही सॉफ्ट दिल की है। अगर वो उन्हें मां की तरह देखेंगी तो उनका प्यार सामने आएगा। वहीं मां को समझाएं कि अगर वो उनकी पत्नी को बेटी की तरह देखेंगी तो वो भी उसी तरह से उनका आदर करेंगी। अलग-अलग टाइम पर दोनों के वैल्यू को चर्चा करें। उन्हें बताएं कि दोनों के बैगर आप कुछ भी नहीं है और दोनों के बिना आप रह भी नहीं सकते हैं।

दोनों के बीच एक संतुलन बनाएं

सास और बहू दोनों के साथ बेटे का रिश्ता अलग-अलग होता है, लेकिन यह जरूरी है कि वह उनके बीच एक संतुलन बनाए। सास को यह दिखाना कि बहू परिवार का हिस्सा है और बहू को यह समझाना कि सास का भी घर में एक अहम स्थान है, बेटे की जिम्मेदारी है। अगर बेटा दोनों के बीच संतुलन बना सकता है, तो इससे पारिवारिक शांति बनी रहती है।

बीच का रास्ता अपनाएं

अगर लड़ाई बहुत ज्यादा बढ़ जाती है और दोनों के बीच सुलह करना मुश्किल हो जाता है, तो बेटा मध्यम मार्ग निकालने की कोशिश कर सकता है। वह सास-बहू के बीच कुछ समय के लिए दूरियां बनाकर उन्हें सोचने का समय दे सकता है। इससे उन्हें अपनी भावनाओं पर नियंत्रण पाने और झगड़े को शांत करने का मौका मिल सकता है।

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