PHOTOS: 'मिशन चंद्रयान'की आयरन लेडी ऋतु करिधाल के बारे में जानें Unknown Fact, हर महिला के लिए हैं प्रेरणा

13 अप्रैल 1975 को लखनऊ के एक घर में किलकारी गूंजी और वो अंतरिक्ष तक पहुंच गई। बात ऋतु करिधाल की हो रही है जो आज एक पत्नी, मां के साथ-साथ 'रॉकेट वूमन'हैं। वो हर एक महिला के लिए प्रेरणा बन गई हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में अनसुनी बातें।

Nitu Kumari | Published : Jul 14, 2023 5:03 AM IST / Updated: Jul 14 2023, 10:37 AM IST
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अच्छी डाइट और फिटनेस पर फोकस

48 साल की ऋतु करिधाल ((ritu karidhal) 'मिशन चंद्रयान 3'(Mission chandrayaan 3) की मिशन डायरेक्टर हैं। इससे पहले करिधाल मंगलयान मिशन की डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर रह चुकी हैं। कभी ना हार मानने वाली ऋतु करिधाल एक हेल्दी लाइफस्टाइल जीती हैं। अच्छी डाइट के साथ-साथ वो अपने फिटनेस पर भी ध्यान देती हैं।

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फैमिली सपोर्ट से आगे बढ़ीं

दो बच्चों की मां बताती हैं कि फैमिली सपोर्ट के बिना सफलता हासिल करना मुश्किल भरा होता है। उनकी जिंदगी में माता-पिता के साथ-साथ पति का भी पूरा सपोर्ट मिला। उन्होंने बताया कि मां बनना सबसे सुखद एहसास होता है। उनके बच्चे उनका सपोर्ट सिस्टम हैं।

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प्रेग्नेंसी में भी इसरो के लिए काम करती थी

ऋतु करिधाल ने एक इंटरव्यू में बताया कि जब वो प्रेंग्नेंट हुई और छुट्टी पर चली गई तो भी घर से काम करती थीं। प्रेग्नेंसी पीरियड को एन्जॉय करते हुए वो अपने अंतरिक्ष मिशन में लगी रहीं। इसमें उनका पूरा साथ पति ने दिया। उनके पति अविनाश श्रीवास्तव उनके हर कदम पर साथ खड़े रहें।

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बच्चों को देती हैं पूरा टाइम

इसरो की वैज्ञानिक के दो बच्चे आदित्य और अनीशा है। मां के साथ-साथ ऋतु करिधाल अपने दोनों बच्चों की टीचर भी हैं। वो उन्हें स्पेस के बारे में जानकारी देती हैं। साइंस से उन्हें जोड़ती है। रॉकेट वूमन का कहना है कि सही मार्गदर्शन और कभी भी हार नहीं मानने वाले लोग ही आगे बढ़ते हैं।

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मेहनत के बदौलत पाई जा सकती है मंजिल

ऋतु करिधाल बचपन से ही ऊंची उड़ान भरना चाहती थीं और यही कारण था कि उनकी कामयाबी ने दुनिया भर में उनका नाम रोशन किया। उनका कहना है कि कामयाबी के लिए दिन रात मेहनत करी होगी। जीवन में कई बार मुश्किल दौर आएंगे। लेकिन सफलता से सारी थकान दूर हो जाएगी।

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गणित से जुड़ी लिखा करती थी कविताएं

ऋतु करिधाल का जन्म मीडिल क्लास फैमिली में हुआ था। दो भाई और एक बहन के साथ उनकी परवरिश हुई। पढ़ने में बचपन से वो तेज थी और साइंस से खासा लगाव था। बताया जाता है कि वो छत पर बैठकर अंतरिक्ष के बारे में किताबे पढ़ा करती थी और तारों को निहारती थीं। उन्होंने बताया कि उन्हें गणित से बहुत प्यार था। वो कहती है कि मैं अक्सर गणित से जुड़ी कविताएं लिखा करती थी और कल्पना करती थी कि मैं खुद को संख्याओं से घिरी हुई हूं।

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सुबह 4 बजे तक करती थी काम

मार्स ऑर्बिटर मिशन के लॉन्च से 10 महीने पहले उनका शेड्यूल काफी बिजी थी। वो घर से ऑफिस आती जाती थी। फैमिली का ख्याल रखने के साथ-साथ वो इस मिशन के लिए काम करती थी। वो बताती हैं कि बच्चों का होमवर्क कराने और घर का काम खत्म करने के बाद वो मिशन को लेकर तैयारी करती थी। आधी रात से सुबह 4 बजे तक काम करती थीं।

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