
Gentle Parenting Techniques: बच्चों की परवरिश में कई पैरेंटिंग स्टाइल होते हैं, लेकिन हाल ही में जेंटल पैरेंटिंग (Gentle Parenting) काफी लोकप्रिय हो रही है। यह एक ऐसी परवरिश की शैली है, जिसमें डर, सजा या गुस्से की बजाय प्यार, समझदारी और सहानुभूति पर जोर दिया जाता है। जेंटल पैरेंटिंग का मतलब बच्चों को अनुशासन में रखना जरूर है, लेकिन बिना चिल्लाए, डांटे या डराए। इसमें बच्चों की भावनाओं को समझते हुए उनकी सोच और समझ को डेवलप करने पर ध्यान दिया जाता है।
जब माता-पिता प्यार और धैर्य से बच्चों को समझाते हैं, तो बच्चे अपनी भावनाओं को बेहतर तरीके से व्यक्त करना सीखतेहैं। इससे उनका सेल्फ-कॉन्फिडेंस बढ़ता है और वे दूसरों से अपनी बात कहने में हिचकिचाते नहीं।
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जेंटल पैरेंटिंग से बच्चे दूसरों की भावनाओं को समझना सीखते हैं। जब उन्हें प्यार और सम्मान मिलता है, तो वे भी दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करते हैं।
डराने-धमकाने की बजाय, जब आप बच्चों के साथ प्यार से बात करते हैं, तो वे आपसे अपनी भावनाएं और परेशानियां खुलकर शेयर करते हैं। इससे आपके रिश्ते मजबूत होते हैं और वे बड़े होने पर भी आपसे जुड़े रहते हैं।
डांट-डपट और सजा से बच्चों में डर और आक्रोश पनपता है, लेकिन जेंटल पैरेंटिंग से वे शांत, धैर्यवान और समझदार बनते हैं। इससे घर में भी तनाव कम रहता है।
अगर बच्चे को सजा के डर से नहीं, बल्कि समझदारी से सही-गलत का एहसास कराया जाए, तो वे खुद से निर्णय लेना और अपनी गलतियों से सीखना सीख जाते हैं।
अगर बच्चों को जरूरत से ज्यादा छूट दी जाए और उन्हें कोई सीमाएं न बताई जाएं, तो वे अनुशासनहीन हो सकते हैं। इसलिए प्यार के साथ-साथ उन्हें सीमाएं भी समझानी जरूरी है।
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जेंटल पैरेंटिंग में खुद के गुस्से को कंट्रोल करना जरूरी होता है। कभी-कभी माता-पिता के लिए हर परिस्थिति में शांत और समझदार बने रहना मुश्किल हो सकता है।
डांटने या सजा देने से बच्चे तुरंत डरकर कुछ करना बंद कर सकते हैं, लेकिन जेंटल पैरेंटिंग में परिणाम धीरे-धीरे दिखते हैं। इसलिए माता-पिता को धैर्य रखना पड़ता है।
अगर परिवार या समाज में पारंपरिक तरीके से परवरिश की जाती है, तो जेंटल पैरेंटिंग अपनाने वाले माता-पिता को कई बार दूसरों की आलोचना झेलनी पड़ सकती है।