Hikikomori: जापान के 1.5 मिलियन लोग घर में हुए बंद, जानें क्यों खुद को दी 'कैद'

हाल के एक सर्वेक्षण से पता चला है कि जापान में 1.5 मिलियन कामकाजी उम्र के लोग खुद को कमरे में कैद कर लिया है। उन्होंने सोशल कनेक्टिविटी से खुद को अलग कर लिया है। ऐसे लोगों के लिए हिकिकोमोरी शब्द यूज किया गया है। आइए जानते हैं क्या है ये।

हेल्थ डेस्क.जापान में फिजिकल कनेक्शन से लोग दूर हो रहे हैं। वहां के ज्यादातर लोग खुद को कमरे तक सीमित कर रहे हैं। उनकी दुनिया बस इंटरनेट सर्फिंग और सोशल मीडिया रह गई है। इस समस्या को हिकिकोमोरी (Hikikomori) कहा जा रहा है। सवाल है कि टेक्नोलॉजी एरिया में सबसे आगे रहने वाले जापान के लोग क्यों ऐसा व्यवहार कर रहे हैं। आइए पांच प्वाइंट में जानते हैं हिकीकोमोरी के बारे में।

हाल के एक सर्वेक्षण से पता चला है कि जापान में 1.5 मिलियन कामकाजी उम्र के लोग समाज से अलग-थलग रह रहे हैं। कमरे में बंद होकर वो जिंदगी जी रहे हैं। सरकारी सर्वेक्षण में लोगों ने इसकी मुख्य वजह COVID-19 को दिया है।

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5 प्वाइंट में समझे हिकिकोमोरी के बारे में

1.बीबीसी के अनुसार, हिकिकोमोरी शब्द जापानी मनोवैज्ञानिक तमाकी सैटो ने अपनी 1998 की किताब 'सोशल विदड्रॉवल - एडोलेसेंस विदाउट एंड' में गढ़ा था।

2.एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के अनुसार, हिकिकोमोरी को डायग्नोस तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति कम से कम छह महीने के लिए समाज से अलग-थलग रह रहा हो। जो एक वैरागी की जिंदगी कमरे में जी रहा हो।

3.हिकिकोमोरी से पीड़ित व्यक्ति घर से बाहर जाने, काम करने या स्कूल जाने, या ग्रॉसरी का सामान खरीदने जैसे गैर-सामाजिक कारणों से भी मना कर देता है।

4. हिकिकोमोरी का कारण अच्छी तरह से पता नहीं है। कुछ मनोवैज्ञानिक स्थिति को तनावपूर्ण घटना का कारण मानते हैं जो सामाजिक रूप से बचने वाले व्यवहार को ट्रिगर कर सकती है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि हिकीकोमोरी को खराब पारिवारिक सेटिंग्स या अनुभवी आघात के साथ कनेक्टेड किया गया है।

5.हाल के वर्षों में जापान में सामाजिक वापसी की घटना तेजी से प्रचलित हुई है। यह चिंता, अवसाद और सामाजिक भय की भावनाओं से जुड़ा है।

जापान में बिगड़ रहे हैं हालात

जापान में बड़े पैमान पर हिकिकोमोरी का प्रभाव पड़ रहा है। यहां की जन्मदर में गिरावट भी हो रही है। लोग आइसोलेशन में रह रहे हैं, नये रिश्ते नही बना रहें। पुराने टूटे और बिखरे रिश्तों की वजह से उन में डर ऐसा बन गया है कि वो खुद को घर से बाहर निकाल ही नहीं हैं। इतना ही नहीं लोगों के इस तरह के व्यवाहर की वजह से यहां की अर्थव्यवस्था को भी चोट पहुंची है। सरकार के लिए यह चिंता का विषय बना हुआ है।

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