जानवरों की हड्डियों से बनाई जाती है सुहाग की चूड़ियां, इस तरह की जाती है तैयार

चूड़ियों को सुहाग की निशानी कहा जाता है। हर महिला चूड़ियां जरूर पहनती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह चूड़ियां बनती कैसे हैं? अगर नहीं, तो आइए हम आपको बताते हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क : भारतीय समाज में चूड़ियां (bangles) पहनने का विशेष महत्व है। महिलाएं तरह-तरह की रंग बिरंगी चूड़ियां पहनती है। खासकर 15 अगस्त (Independence day 2022) के मौके पर आपने अधिकतर देखा होगा कि महिलाएं ट्राई कलर यानी कि केसरिया, सफेद और हरे रंग की चूड़ियां पहनती है। वैसे हरे रंग की चूड़ियों को सुहाग की चूड़ियां भी कहा जाता है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि यह चूड़ी जानवरों की हड्डी से बनाई जाती हैं। चौकिए मत, आज हम आपको बताते हैं कि चूड़ियों में यह रंग आता कैसे हैं और कैसे चूड़ियां बनाई जाती है ...

ऐसी बनाई जाती है चूड़ियां 
चूड़ियां बनाने के लिए अलग-अलग भट्टियों का इस्तेमाल किया जाता है। जिनका तापमान 12 डिग्री सेंटीग्रेड से 14 डिग्री सेंटीग्रेड तक होता है। इसमें छोटे-छोटे कांच के टुकड़ों का इस्तेमाल होता है। जिसको ओपन पोर्ट फर्नेंस में पकाया जाता है। फिर पिघले हुए कांच के टुकड़ों को लोहे के सरिए में लपेटकर चूड़ी के अलग-अलग आकार बनाए जाते हैं। फिर इसको तरह-तरह के रंग दिए जाते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी की तो हरे रंग की चूड़ी जिन्हें सुहाग की चूड़ी भी कहा जाता है उन्हें बनाने के लिए जानवरों की हड्डी का इस्तेमाल किया जाता है। जी हां, जानवर की हड्डी को सुखाकर कांच में रेता, सोडा, नमक, हराकसिस और सोडियम सिलिकोफ्लोराइड मिलाकर पकाया जाता है, जिससे चूड़ी पर हरा रंग आता है।

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ऐसे बनती है ट्राई कलर चूड़ियां 
ट्राई कलर यानी कि तिरंगे के कलर वाली चूड़ियां बनाने के लिए भी अलग-अलग चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे- केसरिया रंग के लिए रेता, सोडा, सुहागा सेलेनियम, केडमियम सल्फाइड और जिंक ऑक्साइड के मिश्रण को भट्टी में पकाया जाता है, तब जाकर चूड़ियों में केसरिया रंग आता है।

तिरंगे के बीच का रंग यानी कि सफेद रंग के लिए कांच के टुकड़े में रेता, सोडा,आर्सेनिक, कल्मी सोड़ा, सोडियम नाइट्रेट और पोटैशियम कार्बोनेट मिलाया जाता है, फिर इससे पक्की हुई मिट्टी को बड़े पॉट में भरकर भट्टी में पकाया जाता है जिससे चूड़ियों को सफेद रंग मिलता है।

अब बारी आती है गहरे हरे रंग की इसको बनाने के लिए रेता, सोडा, सुहागा, कॉपर ऑक्साइड और हराकसिस को एक साथ मिलाकर भट्टी में पकाया जाता है तब गहरा हरा रंग आता है।

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