ग्यारहस के बाद से ऐसा माना जाता है शुभ और मंगलकार्य शुरू हो जाते हैं। नवंबर में शादी-विवाह जैसे शुभ कार्यों की शुरुआत हो चुकी है।
लाइफस्टाइल: ग्यारहस के बाद से ऐसा माना जाता है शुभ और मंगलकार्य शुरू हो जाते हैं। नवंबर में शादी-विवाह जैसे शुभ कार्यों की शुरुआत हो चुकी है। वेडिंग सीजन चल रहा है हजारों शादियां अब संपन्न होंगी ही। तो अगर आपकी भी शादी इस वेडिंग सीजन में हो रही है तो कुछ कायदे कानून जान लीजिए। कहीं ऐसा न हो कि आप शादी के दिन इस मामले में बुद्धु साबित हो जाएं। हिंदू रीति-रिवाजों में शादी के वक्त पति पत्नी की मांग में सिंदूर भरता है। इसके बाद शादीशुदा महिला हमेशा मांग में सिंदूर लगाती है। भारतीय परंपरा के अनुसार जो महिला मांग में सिंदूर भरती है उसे सुहागन माना जाता है।
इसके अलावा भी सिंदूर लगाने के बहुत से कारण हैं। तो आइए जानते हैं कि महिलाएं मांग में सिंदूर क्यो भरती हैं......
मान्यताएं- शादीशुदा स्त्री मांग में सिंदूर लगाना अपना सोभाग्य मानती हैं। साथ ही यह पति के लंबी उम्र का प्रतिक भी होता है। मांग में सिंदूर सजाना सुहागिन स्त्रियों का प्रतीक माना जाता है। यह जहां मंगलदायी माना जाता है, वहीं इससे इनके रूप-सौंदर्य में भी निखार आ जाता है। मांग में सिंदूर सजाना एक वैवाहिक संस्कार भी है।
सिंदूर में होती है माता पार्वती की पूजा: पौराणिक कथाओं में सिंदूर के लाल रंग के माध्यम से माता सती और माता पार्वती की ऊर्जा बताई गई है। सिंदूर लगाने वाली महिलाओं को देवी पार्वती अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद देती हैं।
साइंटिफिक कारण: महिलाओं के मस्तिष्क में इस स्थान पर एक महत्वपूर्ण ग्रंथि स्थित होती हैं। यह ग्रंथि महिला के मस्तिष्क के अग्र भाग से शुरू होती हैं तथा मस्तिष्क के बीच में खत्म होती हैं। इस ग्रंथि को ब्रहमरंध्र कहा जाता हैं। ब्रहमरंध्र ग्रंथि मस्तिष्क की एक बहुत ही संवेदनशील ग्रंथि होती हैं। मस्तिष्क के इस स्थान में ही विवाहित स्त्रियां सिंदूर लगाती हैं। इस स्थान पर सिंदूर इसलिए लगाते हैं क्योंकि सिंदूर में एक पारा नामक धातु पाया जाता हैं। जो ब्रहमरंध्र ग्रंथि के लिए एक बेहद ही प्रभावशाली धातु सिद्ध होता हैं।
चेहरे पर नहीं पड़ती झुर्रियां: सिंदूर में कुछ धातु अधिक मात्रा में होता है। इस कारण चेहरे पर जल्दी झुर्रियां नहीं पड़तीं और स्त्री के शरीर में विद्युतीय उत्तेजना नियंत्रित होती है। सिंदूर भरने वाली महिलाओं के चेहरे की आभा बढ़ती है।
तनाव को कम करता है सिंदूर: किसी भी कन्या के विवाह के बाद सारी गृहस्थी का दबाव स्त्री पर होता है ऐसे सिंदूर से तनाव, चिंता, अनिद्रा आदि कई बीमारियां कम होती हैं। सिंदूर में पारा एकमात्र ऐसी धातु है जो तरल रूप में रहती है। यह मष्तिष्क के लिए लाभकारी होती है, इस कारण विवाह पश्चात मांग में सिंदूर भरा जाता है।