एक तरफ जहां डॉक्टर दिन रात ड्यूटी करके कोरोना के मरीजों की जान बचाने में जुटे हैं। वहीं इसी बीच राजधानी भोपाल से एक अमानवीयता की खबर सामने आई है। जहां दो अस्पतालों के बीच उलझकर एक कोरोना पेशेंट की मौत हो गई
भोपाल. एक तरफ जहां डॉक्टर दिन रात ड्यूटी करके कोरोना के मरीजों की जान बचाने में जुटे हैं। वहीं इसी बीच राजधानी भोपाल से एक अमानवीयता की खबर सामने आई है। जहां दो अस्पतालों के बीच उलझकर एक कोरोना पेशेंट की मौत हो गई।
अस्पताल के बाहर पटककर भाग गया एंबुलेंस ड्राइवर
दरअसल, बिजली कंपनी के लाइन इंस्पेक्टर 59 वर्षीय वाजिद अली पीपुल्स हाईटेक हॉस्पिटल मालवीय नगर में 13 दिन पहले किडनी के इलाज के लिए भर्ती हुए थे। सोमवार सुबह जब उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई तो उनको लेने के लिए चिरायु अस्पताल से एंबुलेंस आई। लेकिन बीच रास्ते में जब तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगी तो ड्राइवर वापस लेकर आ गया। जहां पीपुल्स स्टॉफ ने युवक को दोबार भर्ती करने से मना कर दिया। ऐसे में ड्राइवर मरीज को एंबुलेंस से उतारकर जमीन पर ही पटककर चला गया। फिर कुछ देर बाद अस्पताल के मेल नर्स पीपीई किट पहनकर स्टेचर लेकर मरीज को लेने आए। लेकिन कुछ देर बाद ही युवक की मौत हो गई।
बेटे ने कहा-आखिरी बार भी अब्बू का चेहर नहीं देख पाया
वहीं मृतक के बेटे आबिद अली का कहना है कि मैं पीपुल्स में बिल जमा करके अम्मी को लेकर घर चला गया था। क्योंकि हम भी अब्बू के साथ एंबुलेंस में चिरायू अस्पताल जाना चाहते थे, लेकिन उन्होंने साथ ले जाने से इंकार कर दिया। फिर हमको उनके पीपुल्स लौटने की खबर मिली तो हम लोग भी वहां पहुंच गए। लेकिन वहां के डॉक्टरों ने हमको अब्बू के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। फिर हम किसी तरह हमीदिया पहुंचे. पर वहां भी वह नहीं मिले। इसके बाद हम चिरायु पहुंचे तो पता चला कि उनकी मौत हो चुकी है, और वह पीपुल्स में हैं। हमें आखिरी बार भी उनका चेहरा तक नहीं दिखाया गया। इतना ही नहीं उनको सुपुर्दे खाक भी अस्पताल वाले ही करेंगे।
चिरायु के डॉक्टर ने कही ये बात
इस मामले पर चिरायु हॉस्पिटल के डॉक्टर अजय गोयनका का कहना हि हमारे ड्राइवर ने बहुत ही अच्छा काम किया। उसको लगने लगा कि मरीज हालत ज्यादा खराब होने वाली है, इसलिए वह वापस लौट चिगया। लेकिन पीपुल्स हॉस्पिटल वालों ने उसको एडमिट करने मना कर दिया। वह लोग अपनी लापरवाही छिपा रहे हैं।
पीपुल्स FIR की कर रहा मांग
वहीं पीपुल्स हॉस्पिटल के चीफ मैनेजर उदय दीक्षित का कहना है कि हमारे यहां पर कोविड-19 का इलाज नहीं होता है। इसके बाद भी वह बीच रास्ते से ही लौट आया। हो सकता है कि मरीज की बीच रास्ते में ही मौत हो गई हो। हम पुलिस में मामला दायर करेंगे, जांच में सच्चाई का पता लग जाएगा।