Deep Dive with Abhinav Khare: शुरुआत से ही बड़ी दुर्घटना के संकेत दे रहा था भोपाल गैस प्लांट

भोपाल गैस प्लांट 1980 से ही अपने अशुभ लक्षण दिखाने लगा था। दिसंबर 1981 में हुए हादसे में एक वर्कर की मौत हो गई थी

Abhinav Khare | Published : Nov 5, 2019 5:09 PM IST / Updated: Nov 18 2019, 03:50 PM IST

भोपाल. गैस प्लांट 1980 से ही अपने अशुभ लक्षण दिखाने लगा था। दिसंबर 1981 में हुए हादसे में एक वर्कर की मौत हो गई थी, जबकि दो अन्य घायल हो गए थे। यह हादसाप्लांट में एक गैस लीक होने से हुआ था। 1982 में मई के महीने में UCC ने अमेरिका से 3 इंजीनियर भोपाल भेजे। इनका काम यह देखना था कि भोपाल में सेफ्टी स्टैंडर्ड्स UCC के मानकों पर खरे उतरते हैं या नहीं। इन इंजीनियरों का कहना था कि प्लांट में सब कुछ सही नहीं है। इस जांच के 5 महीने बाद ही फैक्ट्री में फिर गैस लीक हुई। इस बार जहरीली गैस की चपेट में आए लोगों को सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ा और उनकी आंखों में खुजली होने लगी। 

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1983 में UCC प्लांट में खर्च में कटौती की और रातो रात कर्मचारियों की संख्या आधी कर दी गई। हालात इतने बद्तर थे कि पूरे प्लांट को मॉनिटर करने के लिए कंट्रोल रूम में सिर्फ एक आदमी था। 1982 में प्रदेश की विधानसभा में इस खतरे पर चर्चा भी हुई थी, पर तत्कालीन श्रम मंत्री टीएस वियोगी ने कहा कि भोपाल को कोई खतरा नहीं है। UCIL ने भी वियोगी की हां में हां मिलाई थी। 1983 में UCIL ने पूरा सुरक्षा सिस्टम खत्म कर दिया, क्योंकि प्लांट में काम बंद हो चुका था। UCIL ने बंद प्लांट में 60 टन MIC छोड़ दी थी। हानिकारक गैसों को जलाने वाला टावर पैसे बचाने के लिए खत्म कर दिया गया था। जहरीली गैसों को बाहर फेकने से पहले उन्हें साफ करने वाला स्क्रबर सिलेंडर भी बंद था। सभी अनुभवी कर्मचारियों ने प्लांट छोड़ दिया था और जो बचे थे उनका प्लांट में कोई इंट्रेस्ट नहीं था। 

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 भोपाल गैस प्लांट से हर साल 5000 टन सेविन के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था, पर इस प्लांट ने 1981 में अधिकतम उत्पादन किया जो कि 2704 टन था। साल 1983 तक प्लांट का उत्पादन 1657 टन तक आ चुका था। यह आपेक्षित उत्पादन का मात्र 33.1% था। UCIL हर साल 5 करोड़ के घाटे में जा रहा था। इस वजह से प्लांट को बंद कर दिया गया और उसे बेचने की कोशिश की जाने लगी। कोई भी इस प्लांट को खरीदने के लिए राजी नहीं था। इसके बाद कंपनी ने प्लांट को खत्म करके किसी दूसरे देश में शिप्ट करने का फैसला किया। लगातार हो रहे नुकसान और प्लांट को शिफ्ट करने के फैसले के कारण कंपनी ने इस प्लांट से पूरी तरह ध्यान हटा लिया।    

आगे क्या हुआ जानने के लिए बने रहें Deep Dive with Abhinav Khare के साथ

कौन हैं अभिनव खरे

अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ हैं, वह डेली शो 'डीप डाइव विथ अभिनव खरे' के होस्ट भी हैं। इस शो में वह अपने दर्शकों से सीधे रूबरू होते हैं। वह किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का एक बड़ा कलेक्शन है। बहुत कम उम्र में दुनिया भर के सौ से भी ज्यादा शहरों की यात्रा कर चुके अभिनव टेक्नोलॉजी की गहरी समझ रखते है। वह टेक इंटरप्रेन्योर हैं लेकिन प्राचीन भारत की नीतियों, टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और फिलॉसफी जैसे विषयों में चर्चा और शोध को लेकर उत्साहित रहते हैं। उन्हें प्राचीन भारत और उसकी नीतियों पर चर्चा करना पसंद है इसलिए वह एशियानेट पर भगवद् गीता के उपदेशों को लेकर एक सक्सेजफुल डेली शो कर चुके हैं।
अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला, कन्नड़ और तेलुगू भाषाओं में प्रासारित एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ अभिनव ने अपनी पढ़ाई विदेश में की हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड के शहर ज्यूरिख सिटी की यूनिवर्सिटी ETH से मास्टर ऑफ साइंस में इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए (MBA) भी किया है।

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