देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड: SC ने रद्द की बसपा MLA रामबाई के आरोपी पति की जमानत; मप्र सरकार को फटकार

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रहुद की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की एक पीठ ने अपने फैसले में मध्य प्रदेश राज्य प्रशासन को इस मामले में कथित रूप से बचाने की कोशिश करने के लिए फटकार लगाई और उसकी खिंचाई की। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में, कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की कथित हत्या में मध्य प्रदेश बसपा विधायक रमाबाई सिंह के पति गोविंद सिंह को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दी गई जमानत को रद्द कर दिया।

Asianet News Hindi | Published : Jul 22, 2021 8:20 AM IST / Updated: Jul 22 2021, 03:50 PM IST

भोपाल. अक्सर अपने विवादित बयानों के चलते चर्चा में रहने वाली मध्य प्रदेश की बसपा विधायक रामबाई के पति की जमानत याचिका गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दी है। साथ ही न्यायालय ने कहा कि देश में ताकतवर लोगों के लिए अलग कानून नहीं होगा। इतना ही नहीं सर्वोच्च अदालत ने जमानत देने वाले हाईकोर्ट के फैसले की भी कड़ी निंदा की।

दरअसल, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रहुद की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की एक पीठ ने अपने फैसले में मध्य प्रदेश राज्य प्रशासन को इस मामले में कथित रूप से बचाने की कोशिश करने के लिए फटकार लगाई और उसकी खिंचाई की। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में, कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की कथित हत्या में मध्य प्रदेश बसपा विधायक रमाबाई सिंह के पति गोविंद सिंह को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दी गई जमानत को रद्द कर दिया।

कांग्रेस नेता की हत्या का आरोपी है विधायक पति
बता दें कि विधायक रामबाई सिंह के पति गोविंद सिंह हत्य के आरोपी हैं। विधायक पति पर कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या का आरोप लगा हुआ है। इस मामले में हाल ही में हाई कोर्ट से गोविंद सिंह को जमानत मिल गई थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को फटकार लगाते हुए जमानत रद्द कर दी है। जिसके चलते अब गोविंद सिंह को जेल जाने से कोई नहीं रोक पाएगा।

हाई कोर्ट के साथ एमपी पुलिस को भी लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने  कहा है कि आखिर किस आधार पर हाई कोर्ट ने गोविंद सिंह को जमानत दे दी, जबकि निचली अदालत ने इस पर रोक लगा दी थी। नियम कानून के अनुसार आरोपी को किसी तरह की कोई जमानत नहीं मिलनी थी। फिर कानून पर दवाब डाला गया। वहीं मध्य प्रदेश पुलिस ने भी आरोपी की मदद की है। लेकिन ऐसे ताकतवर लोगों के लिए कोई अलग से कानून नहीं बनेगा।

'निचली अदालत के जज भय में काम करते हैं'
 सर्वोच्च न्यायलय ने कहा कि  ऐसा लग रहा है जैसे देश में दो अलग-अलग न्याय प्रणाली चल रही हैं, एक हाई कोर्ट की और दूसरी निचली अदालत की। निचली अदालत के जज भय में काम करते है, असुरक्षित महसूस करते हैं, इसे ठीक करने की जरूरत है।

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