कम्प्यूटर बाबा की कैसी हो गई हालत: बाल-बाल बची उनकी जान, मौत यूं छूकर निकल गई...

कम्प्यूटर बाबा  खंडवा उपचुनाव के लिए प्रचार प्रसार करने जा रहे थे। इसी दौरान इंदौर इच्छापुर हाईवे पर झिरी के पास उनकी गाड़ी के सामने से आ रहा ट्राला पंचर होकर उनकी कार पर पलट गया। जिसमें गाड़ी पूरी तरह से चकनाचूर हो गई। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 18, 2021 1:34 PM IST

इंदौर (मध्य प्रदेश). महामंडलेश्वर कम्प्यूटर बाबा की जान बाल-बाल बची, उन्हें मौत छूकर निकल गई। क्योंकि बाबा को गाड़ी को हाईवे पर एक ट्रॉले ने सामने से टक्कर मार दी। हादसे में वह घायल हो गए और सड़क पर जा गिरे। गनीमत रही कि उन्हें ज्यादा चोट नहीं आई।

यूं सड़क पर जा गिरे कम्प्यूटर बाबा
दरअसल, कम्प्यूटर बाबा  खंडवा उपचुनाव के लिए प्रचार प्रसार करने जा रहे थे। इसी दौरान इंदौर इच्छापुर हाईवे पर झिरी के पास उनकी गाड़ी के सामने से आ रहा ट्राला पंचर होकर उनकी कार पर पलट गया। जिसमें गाड़ी पूरी तरह से चकनाचूर हो गई। बाबा को हल्की चोट आई है, जबकि उनकी कार चला रहा ड्राइवर गंभीर रुप से घायल हो गया। बाबा का घबराहट में बीपी बढ़ गया और वह सड़क पर जा गिरे।

इसे भी पढ़ें-दुल्हन ने 7 फेरे के बाद पति से कहा-'नशे में की शादी..मैं किसी और से प्यार करती हूं, फिर जो हुआ वो गजब था

बाबा का आरोप-यह हत्या की थी साजिश
वहीं इस हादसे पर बाबा ने बताया कि यह उनके खिलाफ किसी की साजिश है। कोई जानबूझकर उनकी हत्या करना चाहता है। इसकी बारीकी से जांच होनी चाहिए। यह हादसा नहीं, बल्कि मेरे मर्डर का प्लान था। मेरे साथ कार में पांच साधु-संत थे, एक कार पीछे भी चल रही थी। वह खंडवा उपचुनाव के लिए प्रचार प्रसार करने जा रहे थे, जहां बाबा कांग्रेस प्रत्याशी राज नारायण सिंह के पक्ष में प्रचार करते। लेकिन फिलहाल उनको अस्पताल ले जाया गया है।

इसे भी पढ़ें-गजब! जब CM शिवराज के सामने मंत्रीजी महिला प्रत्याशी के बालों में ढूंढने लगे चश्मा, कांग्रेस बोली-शर्म करो

कौन हैं कम्प्यूटर बाबा
बता दें कि कम्प्यूटर बाबा का असली नाम नामदेव दास त्यागी है। उनके तेज दिमाग की वजह से पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने उन्हें कंप्यूटर बाबा का नाम दिया था। बाबा मूल रूप से जबलपुर जिले के बरेला गांव के रहने वाले हैं। उन्हें 2018 मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले शिवराज सरकार ने राज्य मंत्री का दर्जा दिया था। हालांकि बाद में  पौधारोपण अभियान में बड़े घोटाले का मुद्दा बनने के बाद उन्होंने बीजेपी से नाता तोड़ दिया और कांग्रेस में शामिल हो गए। बाद में कमलनाथ सरकार में उन्हें नदी संरक्षण प्राधिकरण का प्रमुख बनाया था।
 

Share this article
click me!