इंदौर में दो साल बाद फिर रंगारंग होगा होली का उत्सव, ऐतिहासिक गेर में इस बार शामिल होंगे 5 लाख हुरियारे

लोगों की सुरक्षा को लेकर पुलिस-प्रशासन अलर्ट हैं। तीन हजार से ज्यादा जवानों की चप्पे-चप्पे पर तैनाती है। गेर पर नजर रखने के लिए 30 ड्रोन, 200 से ज्यादा सीसीटीवी लगाए गए हैं। एक अस्थाई कंट्रोल रूम भी बनाया गया है ताकि पूरे आयोजन पर नजर रखी जा सके।

Asianet News Hindi | Published : Mar 22, 2022 3:15 AM IST

इंदौर : दो साल बाद आखिरकार इंदौर (Indore) एक बार फिर उत्सव मनाने को तैयार है। कोरोना के बाद आज रंगपंचमी (Rangpanchami) मनाई जा रही है। ऐतिहासिक गेर का आयोजन होने जा रहा है। थोड़ी देर पर बाद जब गेर निकलेगी तो बड़ी संख्या में लोग शामिल होंगे। कहा जा रहा है कि इस बार रिकॉर्ड 5 लाख से ज्यादा लोग गेर में शामिल होंगे। इंदौरवासियों के उमंग को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। ड्रोन कैमरों से पूरी गेर पर नजर रखी जाएगी। बता दें कि मालवा में होली (Holi) से ज्यादा रंगपंचमी हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। 

आसमान से रंग, जमीन पर उमंग
इस बार गेर और रंगपंचमी पर लेकर लोगों का उत्साह चरम पर है। विदेशी सैलानी भी इसका आनंद लेने इंदौर पहुंच चुके हैं। इंदौर में दशकों से इस परंपरा को निभाया जा रहा है। रंगपंचमी के दिन मिसाइल, पिचकारी और वॉटर टैंकर से रंगों की बौछार की जाती है। आसमान रंगों से खिल उठता है। साल 2019 में आखिरी बार गेर निकाली गई थी। उसके बाद 2020  और 2021 में कोरोना के चलते गेर नहीं निकल सकी। जिसके बाद अब इसे मनाया जा रहा है।

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UNESCO में शामिल करने का दावा
75 साल से चल रहे इस समारोह का आयोजन को इस बार यूनेस्को (UNESCO) में शामिल करवाने का प्रयास है। आयोजकों का कहना है कि दो साल बाद रंग पंचमी महोत्सव मनाया जा रहा है। रिकॉर्ड संख्या में लोगों के जुटने की उम्मीद है। ऐसे में एक बार फिर से इसे यूनेस्कों के धरोहर में शामिल करवाने की कोशिश रहेगी। इससे पहले जिला प्रशासन ने 2019 में यूनेस्को की सांस्कृतिक धरोहर की सूची में शामिल करने का प्रयास किया था, लेकिन कोरोना की वजह नहीं हो पाया।

कब से है परंपरा
बता दें कि रंगपंचमी और गेर की परंपरा होलकर वंश से चली आ रही है। तब राजघराने के लोग रंगपंचमी पर बैलगाड़ियों में फूल और रंग-गुलाल को रख कर सड़क पर निकलते थे। रास्ते में मिलने वाले सभी को रंग लगाते और उन पर गुलाल उड़ाते थे। जिसके बाद से यह परंपरा लगातार निभाई जाती है। कोरोनाकाल में भले ही गेर न निकला हो लेकिन लोगों ने घरों में भी इसको सेलीब्रेट किया था। आज एक बार फिर इस उत्सव को लेकर लोगों में काफी उत्साह है।

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