महाकाल का चमत्कारः 5 महीने से लापता बेटे की मन्नत के लिए उज्जैन पहुंचा पिता, देखा- सामने खड़ा था लाल

यह कहानी उत्तर प्रदेश के कासगंज के रहने वाले श्रीकृष्ण कुमार की है। उनके मुताबिक, करीब 5 महीने पहले मानसिक रूप से कमजोर उनका बेटा अचानक लापता हो गया था। वे उसकी मन्नत के लिए उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर आए थे। उनका बेटा मंदिर के पास ही एक आश्रम में मिल गया।

Amitabh Budholiya | Published : Nov 12, 2022 3:19 AM IST / Updated: Nov 12 2022, 09:20 AM IST

उज्जैन(मध्य प्रदेश). वर्षों से लोग एक कहते-सुनते आ रहे हैं कि कुंभ में बिछुड़े कभी-कभार मिल भी जाते हैं। यह चमत्कारिक कहानी भी कुंभ स्थल महाकाल की नगरी उज्जैन से जुड़ी है। बेशक अभी यहां कुंभ नहीं चल रहा है और न किसी के यहां से बिछुड़ने का मामला है, लेकिन महाकाल की कृपा से एक पिता को यहां अपना खोया बेटा अवश्य मिल गया। यह कहानी एकदम फिल्मी दिखती है, लेकिन है रियल। पढ़िए कैसे मिला एक पिता को खोया बेटा...


यह कहानी उत्तर प्रदेश के कासगंज के रहने वाले श्रीकृष्ण कुमार की है। उनके मुताबिक, करीब 5 महीने पहले मानसिक रूप से कमजोर उनका बेटा अचानक लापता हो गया था। पिता ने उसे सब जगह खोजा, पुलिस में भी मिसिंग रिपोर्ट दर्ज कराई, मगर वो नहीं मिला। पिता ने लगभग उम्मीद छोड़ ही दी थी कि कभी बेटा मिलेगा। श्रीकृण के अनुसार, हर जगह से निराश उन्हें सिर्फ भगवान पर ही भरोसा रह गया था। तभी किसी ने उनसे कहा कि उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में जाकर मन्नत मांगो, शायद बेटा मिल जाए।


श्रीकृष्ण 800 किमी दूर उज्जैन आए और महाकाल से अपने बेटे के लिए मन्नत मांगी। तभी एक चमत्कार सा हुआ। उन्हें मंदिर परिसर के पास ही एक आश्रम में खोया बेटा बैठा मिला। यह देखकर पहले तो श्रीकृष्ण को विश्वास ही नहीं हुआ। फिर वे बेटे के गले लगकर फूट-फूटकर रोने लगा। उन्होंने कहा कि वाकई ये महाकाल का चमत्कार है कि जिसकी उम्मीद से वे यहां तक आए थे, वो मंदिर में पैर रखते ही पूरी हो गई।

श्रीकृष्ण ने मीडिया को बताया कि वे उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले के रामसिंहपुरा सोरो के रहने वाले हैं। पांच भाइयों और एक बहन में मानसिक रूप से कमजोर पंकज 17 साल का है। श्रीकृष्ण मजदूरी करते हैं। बावजूद उन्होंने बेटे के इलाज पर कोई कसर नहीं छोड़ी।श्रीकृष्ण कुमार के अनुसार, पंकज छत पर सो रहा था। लेकिन अगली सुबह वो गायब था। उसे ढूंढ़ने अलीगढ़, बरेली और दिल्ली सहित तमाम शहरों के चक्कर लगाए। लेकिन वो मिला, तो महाकाल के दरबार में।

इसे संयोग कहें या चमत्कार
श्रीकृष्ण कुमार के परिचित पवन समाधिया महाकाल के दर्शन के लिए आ रहे थे। जब श्रीकृष्ण ने अपने बेटे के लिए भी उनसे प्रार्थना करने की बात कही, तो पवन ने उन्हें भी अपने साथ चलने को तैयार कर लिया। पवन अकसर महाकाल के दर्शन करने आते रहते हैं। उज्जैन में ही पास के एक गांव में सेवाधाम आश्रम है, जहां बेसहारा लोगों को पनाह दी जाती है। पवन और श्रीकृष्ण कुमार ने उज्जैन आकर पहले महाकाल के दर्शन किए। फिर अचानक पवन को ख्याल आया कि जब इतनी दूर आए हैं तो क्यों न आश्रम भी चला जाए? यह आश्रम शहर से महज 14 किमी दूर है, जिसे सुधीर भाई गोयल चलाते हैं। आश्रम पहुंचकर श्रीकृष्ण कुमार ने सुधीर भाई को भी अपने लापता बेटे की फोटो दिखाई। यह देखकर सुधीर भाई चौंक गए। उन्होंने बताया कि उनका बेटा तो पिछले तीन महीने से इसी आश्रम में रह रहा है।

दरअसल, पंकज 29 जुलाई 2022 को उज्जैन में हीरा मील की चाल रोड पर दयनीय हालत में पड़ा मिला था। चाइल्ड लाइन की इसकी सूचनादेवास गेट पुलिस को दी। पुलिस ने बच्चे को बाल कल्याण समिति उज्जैन में पेश किया था। वहां से उसे से सेवाधाम आश्रम द्वारा संचालित श्री रामकृष्ण बालगृह में भेज दिया गया था। 

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