उज्जैन में अब कंगना और आर्यन ढोएंगे ईंटे, 34 हजार में बिके, वैक्सीन भी 14 हजार में बिका, जानिए ये अद्भुत मेले

उज्जैन (Ujjain) में कार्तिक पूर्णिमा (Kartik purnima) पर गधों का अद्भुत मेला (donkeys fair) लगाया जाता है। यहां कंगना (Kangna) और आर्यन (Aryan) नाम के गधे 34 हजार रुपए में बेचे गए। एक वैक्सीन (Vaccine) नाम का गधा (Donkeys) भी 14 हजार में बिका। मेले में अन्य कई नस्लों के गधे भी बिकने आए थे। एक घोड़ी की कीमत 2 लाख रुपए तक लगाई गई।
 

Asianet News Hindi | Published : Nov 20, 2021 3:09 AM IST

उज्जैन। उज्जैन (Ujjain) में कार्तिक पूर्णिमा (Kartik purnima) के दिन लोगों ने एक मेले में कंगना (Kangna) और आर्यन  (Aryan) को देखा तो कौतूहल का विषय बन गए। जिसने भी देखा, वह चौंक गया। मौके पर लोगों की भीड़ आ गई। हर कोई इन दोनों को खरीदना चाहता था, तो कोई कई लोग ये जानना चाहते थे कि इनकी कितनी बोली लग रही है। बाद में कंगना और आर्यन को 34 हजार रुपए में खरीदा गया है और इन्हें अब ईंट ढोने का काम करना होगा। नाम सुनकर आप चौंकिए मत... बात गधों की हो रही है, जो इन दिनों उज्जैन के मेले  (donkeys fair) में सबके आकर्षण का केंद्र बने हैं।

दरअसल, उज्जैन में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गधों के मेले की परंपरा है। पिछले साल कोरोना की वजह से ये मेला नहीं लग पाया था, लेकिन इस बार मेला लगा है। मेले में जो गधे आए हैं उनके रोचक नाम रखे गए हैं। एक गधे का नाम कंगना है तो दूसरे का नाम आर्यन रखा गया था। एक वैक्सीन नाम का गधा भी देखा गया। कंगना और आर्यन को 34 हजार रुपए में एक ईंट-भट्टा व्यापारी ने खरीदा। जबकि वैक्सीन नाम के गधे के दाम 14 हजार रुपए थे। इसे भी एक शख्स ने खरीद लिया। इस मेले में कई नस्ल के गधे बिकने आए थे। कुछ घोड़े भी हैं। इनमें भूरी नाम की घोड़ी और बादल नाम को घोड़ा है। सबसे महंगी घोड़ी भूरी की कीमत 2 लाख रुपए तय की गई। बादल नाम के घोड़े की कीमत डेढ़ लाख रुपए रखी गई है। मेले से खरीदे जाने वाले गधे माल ढुलाई में इस्तेमाल होते हैं। ज्यादातर को ईंट-भट्टों पर लगाया जाता है।  

5 हजार से 30 हजार रुपए तक बिकते हैं गधे
ये मेला शिप्रा नदी किनारे बड़नगर रोड पर लगाया गया है। यहां 100 से ज्यादा गधे और घोड़े बिकने के लिए लाए गए हैं। इस साल ये मेला 15 नवंबर से शुरू हुआ। मेला लगने से पहले ही गधों का उज्जैन आना शुरू हो गया था। खरीदार और विक्रेता भी उज्जैन पहुंच गए थे। यहां आसपास के जिलों और महाराष्ट्र, राजस्थान जैसे राज्यों से भी लोग आते हैं। ये मेला सालों से लगता आ रहा है। इस साल 20 नवंबर तक मेला चलेगा। मेले में गधों की उम्र के हिसाब से कीमत तय होती है। अमूमन पांच हजार से लेकर 30 हजार रुपए तक में गधे बिकते हैं। कोरोना का असर मेले पर भी पड़ा है। बीते सालों से इसमें गधों की संख्या कम होती जा रही है।  

मैसेज देने के लिए गधे का नाम रखा वैक्सीन
मेले के सरंक्षक हरिओम प्रजापति ने बताया कि ट्रेंड में चल रही खबरों और व्यक्तियों के नाम रखने से गधों की पहचान और सौदे भी जल्दी हो जाते हैं। इसी के चलते गधे और घोड़ों के नाम इस तरह रखे जाते हैं, ताकि खरीदने वाले उन पर ज्यादा ध्यान दे सकें। वैक्सीन (Vaccine) नाम का गधा भी इसलिए इस बार मेले में रखा गया, ताकि जो भी व्यापारी आए, वो वैक्सीन लगवाने का प्रण लेकर जाए और दूसरों को भी प्रोत्साहित करे।

व्यापारी बोले- पहले जैसी रौनक नहीं
गधों के व्यापारी कमल प्रजापति बताते हैं कि इस बार गधों के मेले में पहले की तरह रौनक नहीं देखी जा रही है। धंधा ठीक से नहीं हो पाया। देशभर से खरीदार इस मेले में आते थे, लेकिन इस बार प्रदेश के व्यापारी और खरीदार ही पहुंच पाए। इस मेले में शाजापुर, सुसनेर, राजस्थान, महाराष्ट्र, जीरापुर, भोपाल, मक्सी, सारंगपुर समेत अन्य जगह से व्यापारी मेले में पहुंचे।

दांत देखकर लगाते हैं गधों की उम्र का अंदाजा
गधों के व्यापारियों के मुताबिक, गधों के दांत देखकर खरीदा जाता है। गधे के तीन दांत होते हैं। गधे जितनी कम उम्र के होते हैं, उतना ज्यादा पैसा मिलता है। दांत का साइज भी देखा जाता है। गधों की अधिकतम उम्र चार से पांच साल होती है। इसके बाद वह बूढ़ा हो जाता है। 

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