हनी ट्रेप केस: बदनामी के भय से केस को भटकाने में लगे हैं अफसर

मध्य प्रदेश के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में भूचाल लाने वाले हनी ट्रेप केस की जांच खुद सवालिया घेरे में आ गई है। सरकार ने तीसरी बार इसकी जांच कर रही  स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) के चीफ को बदला है।
 

Asianet News Hindi | Published : Oct 2, 2019 5:45 AM IST

भोपाल. मध्य प्रदेश में भूचाल लाने वाले हनी ट्रेप केस की जांच खुद विवादों में घिरती नजर आ रही है। इस मामले ने राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों गलियारों में खासी हलचल मचा रखी है। इस बीच सरकार ने इसकी जांच कर रही स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम(SIT) की चीफ को बदल दिया है। अब राजेंद्र कुमार को इसकी कमान सौंपी गई है। वे 1985 बैच के आईपीएस अफसर हैं। उल्लेखनीय है कि 9 दिन पहले ही इसका चीफ संजीव शमी को बनाया था।  दरअसल, जब SIT का गठन हुआ, तब आईजी सीआईडी डी श्रीनिवास वर्मा को इसकी जिम्मेदारी सौंपी थी। लेकिन उन्होंने जिम्मेदारी उठाने से मना कर दिया था। नई टीम में एडीजी सायबर क्राइम मिलिंद कानस्कर और एसएसपी इंदौर रुचि वर्धन मिश्र भी रहेंगी। इससे पहले  मंगलवार की देर शाम मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुख्य सचिव एसआर मोहंती और डीजीपी वीके सिंह से इस बारे में विस्तार से चर्चा की थी।

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उल्लेखनीय है कि इंदौर नगर निगम के एक इंजीनियर की शिकायत पर पुलिस ने आरती दयाल (29), मोनिका यादव (18), श्वेता जैन पति विजय जैन (39), श्वेता जैन पति स्पनिल जैन (48), और बरखा सोनी (34) को अरेस्ट किया था। जब जांच आगे बढ़ी, तो कई चौंकाने वाले नाम सामने आए। ये महिलाएं संगठित गिरोह की तर्ज पर नेताओं, अफसरों और व्यापारियों को ब्लैकमेल करती थीं।

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सरकार ने बदले कई अफसर..
हनी ट्रेपिंग की आंच सरकार तक आ पहुंची है। कई नेता और सीनियर अफसर तक जांच के दायरे में आ गए हैं। इस बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रशासनिकस्तर पर बड़ा फेरबदल कर दिया है। दरअसल, इसी मामले को लेकर डीजीपी वीके सिंह और सायबर सेल के डीजी पुरुषोत्तम शर्मा के बीच तनातनी सामने आई थी। इसके बाद सरकार के कामकाज को लेकर सवाल उठने लगे थे।

ये आईपीएस इधर से उधर

इनका प्रमोशन

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