आखिर क्यों इस झरने को कहा जाता है मौत का स्पॉट, हर साल बहा ले जाता है कई जिंदगियां

देशभर के कई राज्यों में मॉनसून एक्टिव हो चुका है। अब तक गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, असम और दिल्ली समेत 24 राज्यों में अच्छी बारिश हुई है। हालांकि, कई बार मॉनसून लोगों के लिए मनहूस भी साबित हुआ है। ऐसा ही एक वाकया 11 साल पहले इंदौर के नजदीक हुआ था।

मनहूस मॉनसून: भारत के कई राज्यों में मॉनसून सक्रिय हो गया है। अब तक गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, असम और दिल्ली समेत 24 राज्यों में अच्छी बारिश हुई है। पानी और भू-स्खलन के चलते बद्रीनाथ-ऋषिकेश नेशनल हाईवे बंद हो गया है। वहीं, मध्यप्रदेश में भी बारिश का दौर जारी है। लगातार बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं। नर्मदा, ताप्ती और क्षिप्रा समेत दूसरी छोटी नदियों का जलस्तर बढ़ गया है। बता दें कि मध्य प्रदेश में इंदौर के पास पाताल पानी नाम का एक ऐसा झरना है, जो हर साल बारिश में लोगों की जान लेता है। यही वजह है कि लोग इसे मौत का स्पॉट भी कहते हैं।  

बाप-बेटी समेत बह गए थे 5 लोग : 
मनोरम पहाड़ियों के बीच से बहता पातालपानी झरना टूरिस्ट को अपनी ओर खींचता है। लोग फैमिली के साथ यहां पिकनिक मनाने पहुंचते हैं। हालांकि, जरा सी लापरवाही यहां जानलेवा साबित होती है। बता दें कि हरदा का एक परिवार कुछ साल पहले पातालपानी घूमने आया था। इस दौरान झरने में अचानक बढ़े पानी की वजह से बाप-बेटी सहित पांच लोग बह गए थे। इनमें से तीन की मौत हो गई थी, जबकि दो लोग बच पाए थे। 

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क्या हुआ था उस दिन?
पातालपानी झरना महू तहसील के चोरड़िया पंचायत में आता है। बारिश के दिनों में हरियाली के बीच पहाड़ से गिरते पानी को देखने बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। 2011 में 5 लोगों की फैमिली झरने के बीचोबीच पानी में अठखेलियां कर रही थी। तभी आसपास हुई तेज बारिश के चलते अचानक तेज पानी आ गया। पानी का तेज बहाव देख पांचों लोगों ने वहां एक चट्टान का सहारा लेने की कोशिश की। लेकिन पानी के सैलाब ने उनके पांव उखाड़ दिए। देखते ही देखते पांचों लोग 70 फीट नीचे खाई में जा गिरे।   

गहराई आज भी रहस्य?
इंदौर से 35 किलोमीटर दूर पातालपानी में करीब 70 फीट की ऊंचाई से झरना गिरता है। लेकिन झरने का पानी जहां गिरता है, उस जगह की गहराई आज भी किसी को नहीं पता। कहा जाता है की यहां से पानी सीधा पाताल में जाता है और यही वजह है कि इस झरने का नाम पातालपानी पड़ गया। लोगों का ये भी कहना है की ये झरना पाताल तक गहरा है। 

अब तक 70 से ज्यादा लोग गंवा चुके जान : 
पुलिस के मुताबिक, पातालपानी में पिछले 10 सालों में कई लोग जान गंवा चुके हैं। 2011 में एक ही परिवार के 3 लोगों की मौत हुई थी। इससे पहले 2007 में आईआईएम के कुछ स्टूडेंट चट्टानों पर बैठे थे और जलस्तर बढ़ने से बह गए थे। पिछले कुछ सालों में इस झरने की वजह से 70 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। 

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