शिवसेना नेता यशवंत जाधव की डायरी में 'मातोश्री' के नाम पर 2 करोड़ कैश पेमेंट, IT को बताया मातोश्री का ये मतलब

आयकर विभाग के शिकंजे में आए बीएमसी के पूर्व पार्षद यशवंत जाधव से पूछताछ जारी है। उनके जवाबों के आयकर विभाग के अधिकारी संतुष्ट नहीं हैं। डायरी में करोड़ों रुपए के कैश पेमेंट का जिक्र है, लेकिन पूछताछ में जाधव इनके बारे में जो जानकारी दे रहे हैं, वह अधिकारियों के गले नहीं उतर रही। 

मुंबई। आयकर की जांच के दायरे में आए बीएमसी (BMC) में शिवसेना के पूर्व पार्षद और नागरिक निकाय की स्थायी समिति के पूर्व अध्यक्ष यशवंत जाधव (Yashwant Jadhav) पर छापों से चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। जाधव के पास मिली एक डायरी में मातोश्री (matoshree) को 50 लाख रुपए की घड़ी और 2 करोड़ रुपए कैश देने की बात लिखी है। बता दें कि मातोश्री महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के घर का नाम है। 

गोलमोल जवाबों से संतुष्ट नहीं आयकर विभाग के अफसर
आयकर विभाग ने जब यशवंत से इस रकम के बारे में कड़ाई से पूछताछ की तो उन्होंने दो करोड़ रुपए मातोश्री को देने की बात स्वीकारी, लेकिन बताया मातोश्री का मतलब उनकी अपनी मां से है। उन्होंने कहा कि इन रुपयों का इस्तेमाल गुड़ी पड़वा के दिन उपहार बांटने के लिए किया गया। डायरी में मातोश्री के नाम पर 50 लाख की घड़ी के सवाल पर जाधव ने अायकर अफसरों को बताया कि उन्होंने मातोश्री यानी अपनी माता जी के नाम पर लोगों को 50 लाख की घड़ियां बांटी हैं। लेकिन आयकर विभाग के अफसर इन जवाबों से संतुष्ट नहीं हैं। आयकर विभाग जाधव के जिन लेनदेनों की जांच कर रहा है वे सभी 2018 से 2022 के बीच के हैं। आयकर विभाग कोलकाता की शेल कंपनियों को भी 15 करोड़ के पेमेंट की जांच कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि इन पैसों का इस्तेमाल जाधव ने होटल और एक घर खरीदने के लिए किया था।  

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कैश में खरीदी फ्लैटों की किरायेदारी 
आयकर की जांच में पता चला है कि जाधव ने बिमल अग्रवाल की न्यूजहॉक मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी की मदद से बिलकदादी चैंबर्स में 31 फ्लैटों के किरायेदारी अधिकार हासिल किए। इसके लिए उन्होंने कैश पेमेंट किए, लेकिन किसी भी एग्रेमेंट में पैसों का उल्लेख नहीं किया गया। यही नहीं, अमेरिका और कनाडा में दो किरायेदारों के मामले में रकम हवाला के जरिए ट्रांसफर की गई। जाधव ने बिलकादी चैंबर्स खरीदने के लिए 4 करोड़ रुपए का पेमेंट किया। 

महामारी में अग्रवाल को दिलाए 30 करोड़ के काम 
जिस बिमल अग्रवाल के लिंक से जाधव शिकंजे में आया, वह अग्रवाल कुछ साल पहले सीबीआई ने और फिर ईडी के शिकंजे में आया था। वह 2018 में तिहाड़ जेल से जमानत पर बाहर आया और जाधव के साथ काम करने लगा था। अग्रवाल को जाधव की मदद से महामारी के दौरान बीएमसी से 30 करोड़ रुपए के अलग-अलग कामों के कॉन्ट्रैक्ट मिले। 

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