कभी सब्जी बेचता था ये डिप्टी सीएम, 26 महीने तक काट चुका है जेल

महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री और एनसीपी के दिग्गज नेता छगन भुजबल का जीवन काफी दिलचस्प है। पिछड़े वर्ग (माली
समुदाय) से आने वाला यह नेता शिवसेना प्रमुख बाला ठाकरे का भरोसेमंद रहा। उपमुख्यमंत्री बनने से लेकर 26 महीने जेल काटने तक
इस नेता ने समय का उतार-चढ़ाव देखा है।

Asianet News Hindi | Published : Oct 24, 2019 3:59 AM IST / Updated: Feb 02 2022, 10:11 AM IST

मुंबई। महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री और एनसीपी के दिग्गज नेता छगन भुजबल का जीवन काफी दिलचस्प है। पिछड़े वर्ग (माली
समुदाय) से आने वाला यह नेता शिवसेना प्रमुख बाला ठाकरे का भरोसेमंद रहा। उपमुख्यमंत्री बनने से लेकर 26 महीने जेल काटने तक
इस नेता ने समय का उतार-चढ़ाव देखा है। छगन येवला सीट से एनसीपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

छगन भुजबल के बारे में बहुत कम लोगों को मालूम है कि राजनीति में आने से पहले ये नेता सब्जियां बेचने का काम किया करता था।
जानकारी के मुताबिक, इंजीनियरिंग में डिप्लोमा की पढ़ाई के दौरान छगन मुंबई के भायखला बाजार में सब्जी बेचा करते थे। यह उनके
परिवार का पेशा था।

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सब्जी बेचने का धंधा छोड़ कूद गए राजनीति में...
बाद में उन्होंने परिवार के धंधे को छोड़कर राजनीति में जाने का फैसला कर लिया। डिप्लोमा बीच में ही छोड़ दिया। लोगों से संपर्क की
कला और आक्रामक भाषणों की वजह से छगन बहुत जल्द शिवसेना में पहचान बनाने में कामयाब हुए। 1985 में छगन मुंबई के मेयर
बने। छगन की गिनती शिवसेना के दूसरे स्तर के नेताओं में होने लगी। इनके काम की वजह से ठाकरे का भरोसा भी दिनों दिन बढ़ता
गया और इसी के साथ छगन का पार्टी के भीतर दबदबा बढ़ने लगा।

जब ठाकरे की नजर में हीरो बन गए छगन...
1986 में महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच बेलगाम सीमा विवाद में छगन, ठाकरे की नजरों में हीरो बन गए थे। छगन की भूमिका से
ठाकरे इतने प्रभावित हुए कि मुंबई के शिवाजी पार्क में एक रैली के दौरान उनका सम्मान भी किया।

1989 में देश में मंदिर आंदोलन की शुरुआत हुई। हिंदुत्व के मुद्दे पर महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा ने गठबंधन किया। 1990 के
विधानसभा चुनाव में पहली बार पार्टी के 52 विधायक चुने गए थे। तब विधानसभा में शिवसेना सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनी थी।
हालांकि, बालासाहेब ने मनोहर जोशी को विपक्ष के नेता का पद दिलवाया। कहते हैं कि छगन को इस बात से ठेस पहुंची। बाद में जोशी
के साथ लगातार टकराव की वजह से छगन भुजबल को पार्टी छोड़ना पड़ा।

जिस जेल का उद्घाटन किया, उसी में बिताने पड़े 26 महीने...
1991 में छगन 9 विधायकों के साथ कांग्रेस में चले गए। उस समय शरद पवार कांग्रेस के सबसे बड़े नेता थे। कुछ साल बाद बाद शरद
पवार ने विदेशी मूल के मुद्दे पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गठन किया। छगन भी एनसीपी से जुड़ गए। हालांकि, उसी साल कांग्रेस और
एनसीपी ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा और सरकार सत्ता में आई। छगन को महाराष्ट्र का गृहमंत्री बनाया गया। मजेदार यह है कि मंत्री
रहते हुए छगन ने आर्थर रोड जेल में अंडा सेल बनवाया। उन्होंने नहीं सोचा होगा कि एक दिन इसी अंडा सेल में उन्हें भी महीनों
गुजारने पड़ेंगे।

कहते हैं कि मुंबई दंगों में बालसाहब ठाकरे की गिरफ्तारी का आदेश छगन भुजबल की वजह से ही दिया गया था। भुजबल ने मुंबई से
भी विधानसभा का चुनाव लड़ा, हारने के बाद उन्हें नासिक जाना पड़ा। 1999 के बाद छगन ने नासिक जिले की येवला विधानसभा सीट
से ही विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया। 2008 से 2010 के बीच अशोक चव्हाण के कार्यकाल में छगन राज्य के चौथे उपमुख्यमंत्री भी
बने।

 

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मनी लॉन्ड्रिंग में आरोपी
भुजबल पर कई आरोप लगे। अब्दुल करीम तेलगी के मनी लॉन्ड्रिंग केस की चपेट में भुजबल भी आए। उन्हें जेल जाना पड़ा। 2004 से
2014 तक सार्वजनिक विभाग का मंत्री रहने के दौरान उन पर पद के गलत इस्तेमाल का भी आरोप लगा। हालांकि छगन ने हमेश इन
आरोपों को झूठा करार दिया है।

 

 

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