
मंबई. 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना ने गठबंधन करके लड़ा और जीत मिली। लेकिन ढ़ाई-ढ़ाई साल के सीएम फॉर्मूले में बात नहीं बनी और शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई लेकिन ढाई साल बाद सत्ता परिवर्तन हो गया। उद्धव ठाकरे के इस्तीफा देने के बाद माना जा रहा था कि देवेन्द्र फडणवीस एक बार फिर से राज्य के सीएम बनेंगे। लेकिन बीजेपी ने एक बार फिर चौंकाते हुए शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे को राज्य का नया मुख्यमंत्री बना दिया। महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के खेल की असली वजह एकनाथ शिंदे ही थे लेकिन वो मुंबई से बाहर गुवाहाटी में बैठकर सियासी चालें चल रहे थे और महाराष्ट्र में हलचलें तेज हो रही थीं। लेकिन उनके मुंबई पहुंचने के महज 5 घंटे बाद ही वो राज्य के नए सीएम बन गए।
5 घंटे में बदली सियासत
दरअसल, शिवसेना से बगावत कर पहले सूरत और फिर गुवाहाटी में बैठे एकनाथ शिंदे 30 जून को दोपहर करीब 2.30 बजे मुंबई पहुंचे और शाम 7.30 बजे राज्य के 20वें मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। ये सारा खेल महज 5 घंटे में हुआ। देवेन्द्र फडणवीस ने खुद इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा- एकनाथ शिंदे राज्य के नए सीएम होंगे।
बीजेपी ने शिंदे का क्यों किया समर्थन
2014 में केन्द्र में मोदी सरकार आने के बाद अमित शाह और नरेन्द्र मोदी के फैसले हमेशा चौंकाने वाले रहे। महाराष्ट्र में भी यही देखने को मिला। उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के बाद देवेन्द्र फडणवीस को अगला सीएम माना जा रहा था। लेकिन उन्हें डिप्टी सीएम से संतोष करना पड़ा। लेकिन ऐसी कौन सी वजह थी की बीजेपी को शिंदे खेमे का समर्थन करना पड़ा जबिक वो महाराष्ट्र की विधानसभा में इस वक्त की सबसे बड़ी पार्टी है।
कैसे हुआ सत्ता परिवर्तन
20 जून को शिवसेना के सीनियर लीडर एकनाथ शिंदे 25 विधायकों के सूरत में होने की खबर आई। उसके बाद शिंदे गुहावाटी शिफ्ट हो गए। शिंदे के कुनबे में बागी विधायकों की संख्या बढ़ती गई। इस दौरान महाराष्ट्र में सियासी हलचलें बढ़ती रहीं। हाइलेवल मीटिंग का दौरा शुरू हुआ। मामला हाथ से फिसलता देख उद्धव ठाकरे ने सीएम पद छोड़ने का ऑफर दिया और सीएम हाउस छोड़ दिया। सराकर और एकनाथ शिंदे की लड़ाई डिप्टी स्पीकर तक पहुंची। जिसके बाद शिंदे का खेमा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। वहीं, दूसरी तरफ कोरोना को मात देकर राजभवन पहुंचे गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया। फ्लोर टेस्ट के खिलाफ शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंची लेकिन उसे वहां से राहत नहीं मिली। जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने 29 जून की रात अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया। 30 जून को एकनाथ शिंदे और देवेन्द्र फडणवीस ने पद औऱ गोपनीयता की शपथ ली।
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