उद्धव ठाकरे के कट्टर विरोधी राज ठाकरे ने कसा तंज, एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनने तक चुप्पी साधे थे मनसे चीफ

Maharashtra New CM Eknath Shinde एकनाथ शिंदे को सीएम की कुर्सी सौंपने का ऐलान हो चुका है। एकनाथ शिंदे ने एक दर्जन से अधिक विधायकों के साथ शिवसेना से बगावत की थी, जो संख्या बढ़कर 40 से अधिक हो चुकी है। गुरुवार को शिंदे सीएम के रूप में लेंगे शपथ।

Dheerendra Gopal | Published : Jun 30, 2022 1:06 PM IST / Updated: Jun 30 2022, 07:07 PM IST

मुंबई। शिवसेना के कट्टर विरोधी राज ठाकरे ने उद्धव ठाकरे के इस्तीफा और महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरण पर जोरदार कटाक्ष किया है। राज ठाकरे ने कटाक्ष करते हुए कहा कि जब कोई अपने सौभाग्य को अपनी व्यक्तिगत उपलब्धि समझने का भ्रम पालता है तो उसी पल से पतन की यात्रा शुरू होती है। राज ठाकरे कुछ दिनों पहले की लाउडस्पीकर विवाद को लेकर सुर्खियों में आए थे।

दो दशक पहले राज ठाकरे ने छोड़ दी थी शिवसेना

राज ठाकरे ने लगभग दो दशक पहले शिव सेना से विद्रोह किया था। राज ने शिवसेना से विद्रोह करने के बाद अपनी अलग पार्टी बनाई थी। उन्होंने शिवसेना से अलग होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के गठन का ऐलान किया था। हालांकि, एकनाथ शिंदे के विपरीत, जो अब भाजपा समर्थित मुख्यमंत्री होंगे, राज ठाकरे को अब तक सीमित राजनीतिक सफलता मिली है। राज ठाकरे के पिता श्रीकांत ठाकरे, शिवसेना संस्थापक और उद्धव ठाकरे के पिता बाल ठाकरे के छोटे भाई थे। उग्र भाषणों और आक्रामक बयानबाजी के लिए जाने जाने वाले, राज ठाकरे को उनके चाचा के स्वाभाविक उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाता था। जबकि उद्धव ठाकरे सौम्य और शांत तेवर वाले नेता माने जाते हैं।

उद्धव ठाकरे के नेता चुने जाने के बाद नाराज हुए थे राज

राज ठाकरे से उद्धव ठाकरे करीब 8 साल बडे़ हैं। करीब दो दशक पहले उद्धव ठाकरे, बाला साहेब ठाकरे के उत्तराधिकारी चुने गए थे। इस फैसले के बाद राज ठाकरे नाराज हो गए थे। उन्होंने 2005 के अंत में परिवार के नेतृत्व वाली पार्टी छोड़ दी।

उद्धव ठाकरे को अपदस्थ किए जाने पर चुप थे राज

उद्धव ठाकरे को अपदस्थ करने वाले विद्रोह में वे ज्यादातर चुप रहे। वह लगभग उसी समय एक सर्जरी के लिए अस्पताल में थे। हालांकि, इस ट्वीट को एक संकेत के रूप में देखा जा सकता है कि उसने अपने चचेरे भाई के साथ मेल-मिलाप नहीं किया है। राज ठाकरे ने खुद को एक कट्टर हिंदुत्व नेता के रूप में स्थान दिया है और बाल ठाकरे की विरासत पर दावा करना जारी रखा है। 

ठाकरे ने भी हिंदुत्व की विचारधारा पर रहने का दावा किया

उद्धव ठाकरे ने 2019 में सरकार बनाने के लिए राकांपा और कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था। इसके बाद उद्धव ठाकरे पर आरोप लगे कि वह अपने हिंदुत्व-मराठा साख से भटक गए हैं। लेकिन एक दिन पहले हुए कैबिनेट मीटिंग में उद्धव ठाकरे ने मंत्रिमंडल के अंतिम निर्णय के रूप में खुद को हिंदुत्व की राह पर ही चलने वाला साबित करने की कोशिश करते हुए औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव रखा।

इस बीच, उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने शिंदे खेमे के विद्रोह के बारे में बात करते हुए कहा कि उनके पिता और वह जानते थे कि राक्षस महत्वाकांक्षा वाले लोग थे, लेकिन यह कल्पना करना असंभव था कि लोग अपने लिए ऐसा कर सकते हैं।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, बीते दिनों 21 जून को शिवसेना के सीनियर लीडर एकनाथ शिंदे ने बगावत कर दी। वह कई दर्जन विधायकों के साथ पहले सूरत पहुंचे। सियासी पारा चढ़ने के बाद शिंदे अपने विधायकों के साथ असम पहुंचे। यहां वह एक फाइव स्टार होटल में 40 से अधिक विधायकों के साथ डेरा डाले हुए हैं। शिंदे के पास शिवसेना के 40 बागियों व दस अन्य का समर्थन होने का दावा किया जा रहा है। शिंदे ने 24 जून की रात में वडोदरा में अमित शाह व देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की है। बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने की संभावनाओं पर वह और बीजेपी के नेताओं ने बातचीत की है। हालांकि, चुपके से देर रात में हुई मुलाकात के बाद शिंदे, स्पेशल प्लेन से वापस गुवाहाटी पहुंच गए।

उधर, शिंदे को पहले तो शिवसेना के नेताओं ने मनाने की कोशिश की लेकिन अब फ्लोर टेस्ट और कानूनी दांवपेंच चला जाने लगा है। दरअसल, शिंदे की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे ने सारे बागियों को वापस आने और मिलकर फैसला करने का प्रस्ताव दिया। उद्धव ठाकरे की ओर से प्रवक्ता संजय राउत ने यह भी कहा कि अगर एनसीपी व कांग्रेस से बागी गुट चाहता है कि गठबंधन तोड़ा जाए तो विधायक आएं और उनके कहे अनुसार किया जाएगा। लेकिन सारे प्रस्तावों को दरकिनार कर जब बागी गुट बीजेपी के साथ सरकार बनाने का मंथन शुरू किया तो उद्धव गुट सख्त हो गया।

बुधवार को उद्धव गुट को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा। कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट रोकने से मना कर दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया। हालांकि, माना जा रहा था कि बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस सीएम पद की शपथ लेंगे। लेकिन गुरुवार को फडणवीस ने शीर्ष नेतृत्व के कहने पर एकनाथ शिंदे के सीएम पद की कुर्सी सौंपने का ऐलान कर दिया। 

इसके पहले राज्यपाल ने मुख्यमंत्री पद से उद्धव ठाकरे का इस्तीफा मंजूर कर लिया। लिहाजा विधानसभा के विशेष सत्र को स्थगित कर दिया गया है। अब फ्लोर टेस्ट नहीं होगा। बता दें कि 11 बजे से विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होना था। इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा फ्लोर टेस्ट कराने को हरी झंडी मिलने के बाद उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। वे खुद गाड़ी चलाकर राजभवन पहुंचे और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) को अपना इस्तीफ सौंप दिया।

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