
मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर और कार्यकर्ता गोविंद पानसरे की हत्या के मामलों में सुनवाई शुरू होने में देरी पर बृहस्पतिवार को चिंता प्रकट की और कहा कि न्याय प्रदान करने में विफल नहीं होना चाहिए ।
न्यायमूर्ति एस सी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति आर आई छागला की पीठ ने कहा कि दाभोलकर की हत्या को सात साल और पानसरे की हत्या को पांच साल हो चुके हैं।
पीठ ने कहा , ‘‘(सुनवाई को लेकर) कुछ निश्चितता होनी चाहिए...न्याय प्रदान करने में विफल नहीं होना चाहिए...पीड़ितों और उनके परिवार और गिरफ्तार आरोपियों के लिए भी ...चूंकि उनके भी मौलिक अधिकार हैं। ’’ अदालत दाभोलकर और पानसरे के परिवारों द्वारा दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी । याचिका में दोनों मामलों में की जा रही जांच में अदालत की निगरानी की मांग की गयी है ।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) दाभोलकर मामले की जांच कर रही है जबकि राज्य का अपराध जांच विभाग (सीआईडी) पानसरे के मामले की जांच कर रहा है । पीठ ने कहा, ‘‘यहां न्याय प्रदान करने वाली व्यवस्था की विश्वसनीयता दांव पर है । लोगों का व्यवस्था में भरोसा नहीं टूटना चाहिए । ’’
पीठ ने कहा कि अपराध 2013 और 2015 में हुए थे । अदालत ने कहा, ‘‘मुकदमे की सुनवाई में देरी उचित नहीं है।’’
अदालत ने कहा, ‘‘आज गिरफ्तार आरोपी व्यक्ति भी अपने अधिकारों को लेकर सवाल उठा सकते हैं । दोषी ठहराए जाने तक हर किसी को निर्दोष माने जाने की गुंजाइश रहती है । किसी को भी अनिश्चितकाल के लिए सलाखों के पीछे नहीं रखा जा सकता।’’पीठ ने सीबीआई और राज्य सीआईडी को उच्च न्यायालय को 24 मार्च तक बताने को कहा है कि दोनों मामलों में कब सुनवाई शुरू होगी ।
पुणे में 20 अगस्त 2013 को दाभोलकर की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी । पानसरे को पश्चिम महाराष्ट्र के कोल्हापुर में 16 फरवरी 2015 को उनके घर के पास गोली मार दी गयी थी। चार दिन बाद उनकी मौत हो गयी ।
(ये खबर पीटीआई/भाषा की है। एशियानेट हिन्दी न्यूज ने सिर्फ हेडिंग में बदलाव किया है।)
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