
मुंबई. विधानसभा चुनाव के लिए मतदाताओं की बाए हाथ की तर्जनी पर स्याही लगाने के लिए महाराष्ट्र में 'म्हैसूर स्याही' की तीन लाख बोतलों का वितरण जिलाधिकारियों को किया जा रहा हैं।
मतदान के दिन यह स्याही उंगली पर लगाने के बाद 15 सेकंड में उसका गीलापन नष्ट होता है।
इसलिए यह स्याही जितना पोछें नहीं नकलती। यह स्याही म्हैसूर स्थित 'म्हैसूर पेंटस् एन्ड वॉर्निश लिमिटेड कंपनी' में तैयार की गई है। यह कंपनी कर्नाटक सरकार के अंतर्गत कार्यरत है। भारतीय चुनाव आयोग ने चुनाव के लिए स्याही आपूर्ति का ठेका इसी एकमात्र कंपनी को दिया है। इसलिए इस स्याही को 'मैसूर की स्याही' के रूप में पहचाना जाता है।
2019 के विधानसभा चुनाव के लिए 288 निर्वाचन क्षेत्रों में 96 हजार 661 मतदान केंद्र हैं, इन मतदान केंद्रोंपर म्हैसूर स्याही को बोतलें पहुंचने का काम शुरू है।
चुनाव से पहले मतदाताओं के बाए हाथ की तर्जनी पर न निकलने वाली स्याही लगाई जाती है। उसके बाद मतदाता के हस्ताक्षर या अंगूठा लिया जाता है। चुनाव अधिकारी मतदाता के बाई तर्जनी पर लगाई गई स्याही की जांच कर तर्जनी जांच न करने वाले व्यक्ति को मतदान के लिए अपात्र घोषित किया जा सकता है।
अगर मतदाता को बाई हाथ की तर्जनी नहीं है तो उस व्यक्ति को दाए हाथ की किसी भी उंगली को स्याही लगाई जा सकती है।
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