महाराष्ट्र के भंडारा जिले में बुधवार को एक टाइगर 'जयंचद' नहर के किनारे दो पत्थरों के बीच फंस गया। अनुमान है कि वो शिकार की तलाश में यहां तक पहुंच गया था। उस वक्त नहर लबालब चल रही थी। उसके डूबने की आशंका थी। लेकिन वन विभाग की एक तरकीब से उसे बचा लिया गया।
भंडारा. यह दृश्य गोसे बांध की दाहिनी नहर का है। बुधवार दोपहर करीब 1 बजे कुछ लोगों ने टाइगर जयचंद को नहर में तैरते देखा। कुछ देर बाद वो नहर के किनारे दो पत्थरो में फंस गया। वो बाहर निकलने के लिए लगातार छटपटा रहा था। अनुमान लगाया गया कि वो किसी शिकार का पीछा करते हुए नहर में गिरा होगा। जिस वक्त टाइगर नहर में गिरा, उस वक्त उसमें पानी छोड़ा जा रहा था। यानी कुछ देर हो जाती, तो टाइगर के डूबने की आशंका होती। लेकिन वन विभाग की सूझबूझ से उसे नहर से निकाल दिया गया। वन विभाग ने नहर में पानी का स्तर कम कराया। फिर टाइगर को नहर के ऊपर चढ़ने का इंतजाम किया। इसके बाद टाइगर उमरेड पवनी कर्हांडला जंगल की ओर चला गया।
कई कोशिशों के बाद रेस्क्यू हुआ सफल..
जिस नहर में जयचंद गिरा था, वो करीब 20 फीट गहरी है। यह उमरेड पवनी कर्हांडला व्याघ्र प्रकल्प से होकर गुजरती है। जयचंद यहां रहने वाले जय की संतान है। उसका एरिया यही जंगल है। कुछ लोगों ने जब टाइगर को पत्थरों के बीच फंसा देखा, तो तुरंत वहां गश्त कर रहे एक वनकर्मी को इसकी खबर की। वनकर्मी ने फौरन अपने अफसर को इस बारे में बताया। इसके बाद वन विभाग की टीम घटनास्थल पहुंची। वन विभाग ने पहले टाइगर को अपने स्तर से नहर से निकालने की कोशिश की। लेकिन सफल नहीं हुए। आखिर में वन विभाग से सूझबूझ दिखाई और नहर विभाग को इसकी जानकारी दी। इसके बाद गोसे नहर में छोड़ा जा रहा पानी रुकवाया गया। यही नहीं, निकासी का पानी भी फोर्स से बाहर करवाया गया, ताकि जलस्तर कम हो। क्योंकि आशंका था कि अगर टाइगर थक जाता, तो वो डूबकर मर सकता था। इसके बाद नहर के अंदर एक दरी बिछाई गई। उस पर बांस से बनी सीढ़ी। उसके बाद जयचंद करीब 3 बजे सीढ़ियों से चढ़कर नहर के ऊपर आया।