अफगानिस्तान में अमेरिकी खुफिया एजेंसी(CIA) की ड्रोन स्ट्राइक में अलकायदा लीडर अल जवाहिरी के मारे जाने के बाद कई रहस्यों से पर्दा उठ सकता है। लेकिन एक चौंकाने वाली बात यह है कि हिजाब कंट्रोवर्सी को लेकर वीडियो वायरल करके जवाहिरी ने अपनी डेथ वारंट पर खुद सिग्नेचर कर दिए थे। पढ़िए 15 फैक्ट्स...
वर्ल्ड न्यूज. इंटरनेशनल आतंकी संगठन Al-Qaida लीडर अल-जवाहिरी का अमेरिका की ड्रोन स्ट्राइक में मारा जाना एक बड़ी खबर है। लेकिन यह भी दिलचस्प है कि जवाहिरी ने हिजाब कंट्रोवर्सी को लेकर वीडियो जारी करके अपने डेथ वारंट पर खुद साइन कर दिए थे। दरअसल, अप्रैल में भारत में हिजाब को लेकर चल रही कंट्रोवर्सी को लेकर अल-जवाहिरी ने हिजाब गर्ल मुस्कान के समर्थन में एक वीडियो जारी किया था। इसी वीडियो से साबित हो गया था कि जवाहिरी जिंदा है। क्योंकि उसकी मौत की खबरें पहले कई बार उड़ती रही थीं। अमेरिका को शक था कि वो जिंदा है, लेकिन इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं थे। पढ़िए अल जवाहिरी से जुड़े 15 शॉकिंग फैक्ट्स...
$25 मिलियन का इनाम था अल जवाहिरी के सिर पर
अल जवाहिरी के मारे जाने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन(US President Joe Biden) ने एक लाइव एड्रेस में कहा: न्याय किया गया है। वहीं, अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि 2011 में इसके संस्थापक ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद से आतंकवादी समूह को सबसे बड़ा झटका है। जानिए जवाहिरी से जुड़े फैक्ट्स...
1. मिस्र के एक सर्जन अल जवाहिरी के सिर पर $25 मिलियन का इनाम था। उसने 11 सितंबर, 2001 के अमेरिकी हमलों में कॉर्डिनेशन करने में मदद की थी। इस हमले में लगभग 3,000 लोग मारे गए थे।
2. हाल के वर्षों में कई बार जवाहिरी की मौत की अफवाहें उड़ी थीं। वहीं, लंबे समय से उसके खराब स्वास्थ्य के बारे में भी प्रचारित किया जा रहा था। हालांकि उसकी मौत के बारे में सवाल उठते रहे थे। एक सवाल यह भी उठता रहा कि क्या जवाहिरी को अगस्त 2021 में काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद इस्लामिक अमीरात से शरण मिली थी?
3. अगस्त 2021 में अमेरिकी सैनिकों और राजनयिकों के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद यह देश के अंदर पहला आफिसियल ड्रोन हमला माना जा रहा है। इस हमले के बाद अमेरिका की के उस भरोसे की विश्वसनीयता बढ़ सकती है, जिसमें वो दावा करता आया है कि अफगानिस्तान में अपनी सैन्य उपस्थिति के बगैर भी आतंकी खतरों से निपट सकता है।
4. रिवार्ड्स फॉर जस्टिस वेबसाइट ने कहा कि अन्य सीनियर अल-कायदा सदस्यों के साथ जवाहिरी ने 12 अक्टूबर, 2000 को यमन में यूएसएस कोल नौसैनिक पोत पर हमले की साजिश रची थी, जिसमें 17 अमेरिकी नाविक मारे गए और 30 से अधिक घायल हो गए।
5. जवाहिरी को संयुक्त राज्य अमेरिका में 7 अगस्त 1998 को केन्या और तंजानिया में अमेरिकी दूतावासों की बमबारी में भी साजिश के लिए दोषी ठहराया गया था, जिसमें 224 लोग मारे गए थे और 5,000 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
6. जवाहिरी का ठिकाना पाकिस्तान के कबायली इलाके या अफगानिस्तान के अंदर होने की अफवाहें उड़ती रहती थीं।
7. संयुक्त राज्य अमेरिका पर 11 सितंबर के हमलों के बाद 2001 के अंत में जब अमेरिका के नेतृत्व वाली सेना ने अफगानिस्तान की इस्लामिक अमीरात सरकार को गिरा दिया, तो बिन लादेन और जवाहिरी दोनों बच गए थे। बिन लादेन को 2011 में अमेरिकी सेना ने पाकिस्तान में मार गिराया था।
8. 1981 में मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सादात की हत्या के बाद अल-जवाहिरी पहली बार तब सुर्खियों में आया था, जब वो अदालत के पिंजरे में खड़ा था। जवाहिरी इजरायल के साथ सादात के हाथ मिलाने से खफा था। अल-जवाहिरी को अवैध हथियार रखने के लिए 3 साल की जेल की सजा हुई थी, लेकिन हत्या के मुख्य आरोपों से वो बरी कर दिया गया था। एक ट्रेंड सर्जन जवाहिरी अपनी रिहाई के बाद पाकिस्तान चला गया। वहां सोवियत सेना से जूझ रहे अफगानिस्तान में घायल मुजाहिदीन लड़ाकों का इलाज करने वाले रेड क्रिसेंट के साथ काम किया।
9. 1993 में मिस्र में इस्लामिक जिहाद का नेतृत्व संभालने के बाद अल-जवाहिरी 1990 के दशक के मध्य में वहां की सरकार को उखाड़ फेंकने और एक इस्लामिक राज्य की स्थापना के अभियान में एक प्रमुख व्यक्ति था, जिसमें 1,200 से अधिक मिस्रवासी मारे गए थे।
10. धूसर, सफेद पगड़ी पहनने वाले अल-जवाहिरी ने 1995 में इस्लामाबाद, पाकिस्तान में मिस्र के दूतावास पर हमले का आदेश दिया था। तब विस्फोटकों से भरी दो कारों ने कंपाउंड के गेट को टक्कर मार दी, जिसमें 16 लोगों की मौत हो गई।
11. वह 1997 में मिस्र के लक्सर शहर में विदेशी पर्यटकों पर हुए हमलों से भी जुड़ा था, जिसमें 62 लोग मारे गए थे।
12. 1999 में, मिस्र की एक सैन्य अदालत ने अल-जवाहिरी को उसकी फरारी के बीच मौत की सजा सुनाई थी। तब तक वह पहले से ही बिन लादेन को अल-कायदा बनाने में मदद कर रहा था। माना जाता था कि वह वर्षों से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा पर छिपा हुआ था।
13. 1951 में एक प्रमुख काहिरा परिवार में जन्मा अल-जवाहिरी इस्लाम की सबसे महत्वपूर्ण मस्जिदों में से एक अल अजहर के भव्य इमाम के पोता था।
14. फार्माकोलॉजी के प्रोफेसर अल-जवाहिरी के बेटे को कथित तौर पर 15 साल की उम्र में प्रतिबंधित मुस्लिम ब्रदरहुड में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उसे मिस्र के लेखक सैय्यद कुतुब के क्रांतिकारी विचारों से भी प्रेरणा मिली, जिन्हें 1966 में राज्य को उखाड़ फेंकने की कोशिश के आरोप में मार दिया गया था।
15. 1970 के दशक में काहिरा विश्वविद्यालय से मेडिसन फैकल्टी में स्टडी करने वाले जवाहिरी को लोग सिनेमा, संगीत और दोस्तों के साथ हंसी-मजाक करने वाले व्यक्ति के तौर पर याद करते हैं। लेकिन अल-जवाहिरी के साथ पढ़ाई करने वाले एक डॉक्टर ने कहा, "जब वह जेल से बाहर आया तो वह पूरी तरह से बदल चुका था।"
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