प्रेस गैलरी में मौजूद पत्रकार ने बताया, वॉशिगटन में कैसे शुरू हुई हिंसा, हील पहनी महिलाओं ने रेंगकर बचाई जान

हम देख सकते थे कि गोलियां चल रही हैं। दरवाजे पर पांच आदमी बंदूकें लिए खड़े थे। वे हमारी सुरक्षा कर रहे थे। यह एक भयावह दृश्य था। पुलिस टूटी हुई कांच की खिड़की से बाहर देख रही थी। ऐसा लग रहा था कि सामने से वे किसी भी समय गोली मार सकते हैं। लेकिन शुक्र है कि चैम्बर के अंदर कोई गोलाबारी नहीं हुई।

Vikas Kumar | Published : Jan 7, 2021 7:12 AM IST / Updated: Jan 07 2021, 01:03 PM IST

वॉशिंगटन. जेमी स्टिहम अमेरिकी राजनीतिक स्तंभकार हैं। वॉशिंगटन डीसी में कैपिटल भवन ट्रम्प समर्थक जब उपद्रव मचा रहे थे उस वक्त जेमी वहीं पर थीं। उन्होंने बताया कि उस वक्त उन्होंने अंदर प्रेस गैलरी से क्या देखा?

जेमी स्टिहम ने कहा कि मैंने पहले ही अपनी बहन से कहा था कि आज कुछ बुरा होने वाला है।  मुझे नहीं पता कि क्या होगा, लेकिन कुछ बुरा होगा।

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कैपिटल के बाहर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थन में एक बड़ा समूह खड़ा था। सभी झंडे लहरा रहे थे। मैं वहां से अंदर गई और प्रेस गैलरी में बैठ गई। सामने स्पीकर नैन्सी पोलेसी थीं। वे लोगों को चुप करा रही थीं।

संसद की कार्यवाही चल रही थी, लेकिन जैसे ही एक से दूसरे घंटा होने को आया, अचानक हमने कांच के टूटने की आवाज सुनी। हवा कुछ धुंधली होने लगी। तभी पुलिस ने घोषणा की कि कुछ लोग इमारत में तोड़-फोड़ कर रहे हैं। वहां मौजूद सभी लोगों ने चारों तरफ देखा, लेकिन कुछ खास नहीं दिखा। 

लेकिन उसके बाद भी पुलिस लगातार अलर्ट करती रही। उन्होंने कहा, कुछ लोग बिल्डिंग के अंदर घुस आए हैं। इतना ही नहीं, गुंबद के नीचे कुछ समर्थक तोड़फोड़ कर रहे हैं। कुछ ने तो आग भी लगाने की कोशिश की। 

पुलिस को पता नहीं लग रहा था कि क्या हो रहा है? वे आपस में कॉर्डिनेट भी नहीं कर पा रहे थे। सुरक्षा में तैनात गार्ड अंदर आए और उन्होंने चैंबर के दरवाजों को बंद कर दिया। उन्होंने कहा कि संसद को तुरन्त खाली करना होगा।

 

जेमी स्टिहम अमेरिकी राजनीतिक स्तंभकार

संसद को खाली करने की बात सुन वहां मौजूद लोग डर गए। मैं भी डर गई थी। हमें लगा कि कैपिटल पुलिस ने इमारत का नियंत्रण खो दिया है, कुछ भी हो सकता है।

मैंने अपने परिवार को फोन किया। उन्हें ये बताने के लिए कि मैं यहां पर एक खतरनाक स्थिति में फंसी हुई हूं।

हम देख सकते थे कि गोलियां चल रही हैं। दरवाजे पर पांच आदमी बंदूकें लिए खड़े थे। वे हमारी सुरक्षा कर रहे थे। यह एक भयावह दृश्य था। पुलिस टूटी हुई कांच की खिड़की से बाहर देख रही थी। ऐसा लग रहा था कि सामने से वे किसी भी समय गोली मार सकते हैं। लेकिन शुक्र है कि चैम्बर के अंदर कोई गोलाबारी नहीं हुई। 

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हमें बचने के लिए रेलिंग के नीचे रेंगना पड़ा। हालांकि वहां मौजूद कोई भी महिला इसके लिए तैयार नहीं थी। उनके कपड़े भी वैसे नहीं थे। महिलाएं ऊंची एड़ी के जूते पहने हुए थी। ऐसे में उन्हें बहुत दिक्कत हुई।
 
मैंने दूसरों के साथ-साथ हाउस कैफेटेरिया में शरण ली। मैं अब भी डर रही हूं। मैंने एक पत्रकार के रूप में बहुत कुछ देखा था, लेकिन ये पहले से बहुत अलग कुछ और था। लेकिन इन सबके बाद अध्यक्ष वापस चैम्बर में गईं। हमने भी तय किया कि वापस चैम्बर में भी जाएं। क्योंकि एक संदेश भेजना था कि आप एक भीड़ को उकसा सकते हैं, लेकिन हम आगे बढ़ने जा रहे हैं। 

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