सिख विरोध फर्जी वीडियो वायरल मामले में दिल्ली पुलिस ने केस दर्ज किया है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल आईएफएसओ के डीसीपी केपीएस मल्होत्रा ने कहा कि सीडीएस जनरल बिपिन रावत के निधन के बाद प्रसारित किए जा रहे एक फर्जी वीडियो के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।
नई दिल्ली। सिख विरोध फर्जी वीडियो (Anti Sikh Fake Video) वायरल मामले में दिल्ली पुलिस ने केस दर्ज किया है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल आईएफएसओ के डीसीपी केपीएस मल्होत्रा ने कहा कि सीडीएस जनरल बिपिन रावत के निधन के बाद प्रसारित किए जा रहे एक फर्जी वीडियो के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। इस वीडियो के जरिए सांप्रदायिक विद्वेष भड़काने की कोशिश की जा रही थी।
केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि फर्जी वीडियो में दिखाया गया है कि सरकार एक उच्च स्तरीय बैठक में सिख विरोधी फैसले ले रही है। वीडियो सीडीएस जनरल बिपिन रावत के निधन के बाद हुई कैबिनेट कमेटी की बैठक का है। वीडियो में छेड़छाड़ कर इसे सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने के उद्देश्य से वायरल किया गया।
8 जनवरी 2022 का है वीडियो
बता दें कि जो वीडियो वायरल किया जा रहा है, वह 8 जनवरी 2022 का है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनरल बिपिन रावत ने निधन के बाद मिटिंग बुलाई थी। इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, गृह मंत्री अमित शाह, एनएसए अजित डोभाल शामिल थे। इसी वीडियो को मॉफ्ड करके वाइस ओवर किया गया है और भ्रामक बातें फैलाई जा रही हैं। फर्जी वीडियो में पंजाबियों को सेना से निकालने की बात की जा रही है। दावा किया जा रहा है कि सारे पंजाबियों को सेना से निकाल दो।
कहा जा रहा है कि क्या आर्मी में मराठा रेजीमेंट और साउथ इंडियन सोलजर्स नहीं हैं। एक बार पंजाबियों को सेना से निकाल दिया जाए तो पता चलेगा कि ये कितने कारगर हैं। एक-एक को निकला दो, कोई फर्क नहीं पड़ेगा। जिन ट्विटर अकाउंट से ये वीडियो शेयर किया जा रहा है वह संभवत: प्रॉक्सी अकाउंट हैं जो पाकिस्तान से संचालित हो रहे हैं। संभवत: यह हरकत किसी बाहरी की लग रही है जो भारत में लोगों के बीच फूट डालने की कोशिश कर रहा है।
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