सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने बताया है कि मार्च 2023 से भारतीय सेना को रूसी असॉल्ट राइफल एके-203 मिलना शुरू हो जाएगा। यह राइफल वर्तमान में इस्तेमाल किए जा रहे इंसास राइफल की जगह लेगा।
नई दिल्ली। जल्द ही भारतीय सेना के जवानों को AK-203 असॉल्ट राइफल मिलना शुरू हो जाएगा। दश्मन पर गोलियां बरसाना हो या सटीक वार करना यह राइफल हर तरह के काम कर सकता है। सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा है कि सेना को एके-203 राइफल का पहला बैच मार्च 2023 तक मिल जाएगा।
AK 203 रायफल की खरीद के लिए भारत ने रूस के साथ समझौता किया है। इसके तहत 70 हजार रायफलें रूस से भारत आएंगी और उत्तर प्रदेश के अमेठी में 6.01 लाख रायफलों का निर्माण होगा।
AK सीरीज की सबसे घातक राइफल है AK-203
AK-203 राइफल एके सीरीज की सबसे आधुनिक और घातक राइफल है। यह एके-47 का एडवांस्ड वर्जन है। रूस ने इसे 2018 में तैयार किया था। अमेठी में इसे इंडो-रशिया राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) बनाएगी। AK 203 भारतीय सेना (Indian Army) द्वारा इस्मेताल की जा रही इंसास राइफल की जगह लेगी। भारतीय सेना को 7.50 लाख AK-203 राइफल्स की जरूरत है।
AK-203 इंसास राइफल की तुलना में छोटी, हल्की और ज्यादा घातक है। बिना मैग्जीन के इंसास राइफल का वजह 4.15 kg है। वहीं, AK-203 का वजन सिर्फ 3.8kg है। इंसास की लंबाई 960 MM है। एके-203 की लंबाई 705MM है। जवानों के लिए इस राइफल का इस्तेमाल करना अधिक सुविधाजनक होगा।
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800 मीटर हैं रेज
इंसास में 5.56x45mm की बुलेट्स लगती हैं। इसकी रेंज 400 मीटर है। वहीं, AK-203 की रेंज 800 मीटर है। इंसास राइफल से एक मिनट में 650 गोलियां चलाई जा सकती है। एके-203 से एक मिनट में 600 गोलियां चलाई जा सकती है। एके-203 से निशाना ज्यादा सटीक लगता है। इंसास में 20 से 30 राउंड की मैगजीन लगती है, जबकि AK-203 में 30 राउंड की बॉक्स मैगजीन लगती है।
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