कुल्लू से कोटा तक, भारत में दशहरा के रंग: अनोखे उत्सवों की झलक

दशहरा, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक, भारत में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। कुलु से लेकर मैसूरु तक, यह लेख देश के कुछ अनोखे दशहरा उत्सवों पर प्रकाश डालता है।

rohan salodkar | Published : Oct 12, 2024 10:00 AM IST

दशहरा या विजयदशमी हर साल भगवान राम द्वारा रावण के वध की याद में मनाया जाता है। यह पूरे देश में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। इस शुभ दिन पर बहुत से लोग नए काम शुरू करते हैं और यात्राएं करते हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में दशहरा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। आइए ऐसे ही कुछ खास जगहों के बारे में जानें।

कुलु, हिमाचल प्रदेश 

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कुलु में दशहरा बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। 1972 में कुलु दशहरा एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम बन गया। दुनिया भर से लगभग 400,000 से 500,000 लोग इस उत्सव में शामिल होते हैं। विजयदशमी के दिन शुरू होने वाला यह एक हफ्ते तक चलने वाला मेला सबसे खास होता है।  

मैसूरु, कर्नाटक

मैसूरु दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। यह 10 दिनों तक चलने वाला शानदार उत्सव है। इस उत्सव की जड़ें सोलहवीं शताब्दी में मैसूरु में दशहरा मनाने की परंपरा शुरू करने वाले वाडियार राजवंश से जुड़ी हैं। मैसूरु दशहरा अपने सजे हुए हाथियों, पारंपरिक संगीत और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों वाली शोभायात्राओं के लिए प्रसिद्ध है। यह दुनिया भर के पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।

वाराणसी, उत्तर प्रदेश 

वाराणसी में दशहरा बहुत धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। गंगा नदी के तट पर होने वाली रामनगर की रामलीला उत्सव का सबसे बड़ा आकर्षण होती है।

दिल्ली 

दिल्ली में रामलीला मैदान, लाल किला मैदान जैसे विभिन्न स्थानों पर रामलीला का मंचन किया जाता है। बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में रावण, उसके बेटे मेघनाद और भाई कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया जाता है।  

कोटा, राजस्थान 

कोटा अपने भव्य दशहरा मेले के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें धार्मिक अनुष्ठान और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होते हैं। रावण, उसके भाई कुंभकर्ण और बेटे मेघनाद के विशाल पुतलों का दहन कोटा दशहरा का मुख्य आकर्षण होता है। इन विशाल पुतलों के दहन का नजारा देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं।

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