Bharat Ratna Karpoori Thakur: उधार का फटा कोट पहनकर चले गए विदेश, मार्शल टीटो ने गिफ्ट किया नया कोट

Published : Jan 23, 2024, 09:22 PM ISTUpdated : Jan 23, 2024, 09:44 PM IST
Bharat Ratna Karpoori Thakur

सार

आस्ट्रिया यात्रा के लिए कर्पूरी ठाकुर का भी नाम प्रतिनिधिमंडल में था। उस समय जन प्रतिनिधियों के लिए न कोई सैलरी थी ना ही कोई फंड।

Bharat Ratna Karpoori Thakur: भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर देश की आजादी के लिए जेल भी जा चुके हैं। आज की तारीख में जब जनप्रतिनिधि होने के बाद करोड़ों अरबों की संपत्तियां और कैश की भरमार हो जा रही है। वहीं, कर्पूरी ठाकुर उस ईमानदार और जुझारू पीढ़ी के थे जिसने कभी दिखावा नहीं किया। उधारी का फटा कोट पहनकर विदेश यात्रा करने वाले कर्पूरी ठाकुर ने किसानों और युवाओं के लिए ऐतिहासिक फैसले लेकर जनता के दिलों पर राज किया।

पहली विदेश यात्रा पर उधारी का फटा कोट

1952 में कर्पूरी ठाकुर सोशलिस्ट पार्टी से विधायक चुने गए। आस्ट्रिया यात्रा के लिए कर्पूरी ठाकुर का भी नाम प्रतिनिधिमंडल में था। उस समय जन प्रतिनिधियों के लिए न कोई सैलरी थी ना ही कोई फंड। गरीबों के मसीहा कर्पूरी ठाकुर के पास विदेश यात्रा के लिए ढंग के कपड़े तक नहीं थे। उन्होंने आस्ट्रिया जाने के लिए अपने एक दोस्त से कोट मांगा। वह कोट भी फटा हुआ था। फटा हुआ ही कोट पहनकर कर्पूरी ठाकुर विदेश चले गए। वहां तमाम राजनयिकों से मुलाकात की। उनकी मुलाकात यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति मार्शल टीटो से भी हुई। मार्शल टीटो ने कर्पूरी ठाकुर का फटा कोट देखा तो उनके लिए एक नया कोट गिफ्ट किया।

समस्तीपुर में हुआ था जन्म

भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर का जन्म बिहार के समस्तीपुर के पितौंझिया गांव के एक नाई परिवार में हुआ था। पिता का नाम गोकल ठाकुर और माता का नाम रामदुलारी देवी था। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में 26 महीने तक जेल में रहने वाले कर्पूरी ठाकुर ने आजादी के बाद शिक्षक के रूप में गांव के विद्यालय में अध्यापन किया। हालांकि, 1952 के विधानसभा चुनाव में वह ताजपुर से पहली बार सोशलिस्ट पार्टी से विधायक बने। टेल्को मजदूरों की मांग के लिए 1970 में वह 28 दिनों तक का आमरण अनशन कर सरकार को झुकने को मजबूर किए थे। वह 1967 में पहली बार उप मुख्यमंत्री बनें। राज्य के उपमुख्यंत्री व शिक्षामंत्री के रूप में कर्पूरी ठाकुर ने अंग्रेजी की अनिवार्यता को खत्म कर हिंदी को लागू किया था। 

बिहार के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने कई महत्वपूर्ण काम किया। नितिश कुमार सरकार के पहले बिहार में संपूर्ण शराब बंदी को उन्होंने लागू किया था। कर्पूरी ठाकुर समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण, राममनोहर लोहिया, आचार्य नरेंद्र देव को अपना आदर्श मानते थे। वह देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के भी साथ रहे। बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव, मुख्यमंत्री नितिश कुमार, शरद यादव, रामविलास पासवान जैसे समाजवादी नेता उनको अपना आदर्श मानते हैं।

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