भीमा कोरेगांव मामला : सात आरोपियों के जब्त फोन पेगासस कमेटी को सौंपने की अनुमति के लिए स्पेशल कोर्ट पहुंची NIA

भीमा कोरेगांव मामले में पकड़े गए आरोपियों ने पिछले साल यह दावा किया था कि उनके इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों को पेगासस स्पाइवेयर के जरिये हैक किया गया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मामले की जांच के लिए एक कमेटी बनाई थी। शीर्ष कोर्ट ने कहा था कि जिन नागरिकों को उनके डिवाइस की जासूसी करने का शक है, वे अपनी डिवाइस कमेटी को दे सकते हैं। इसके बाद भीमा कोरेगांव के आरोपियों ने अपनी डिवाइस हैक होने का आरोप लगा था। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 8, 2022 5:36 AM IST / Updated: Feb 08 2022, 11:13 AM IST

मुंबई। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने शनिवार को एनआईए की स्पेशल कोर्ट (Nia Special Court) में एक आवेदन दिया। इसमें उसने 2018 के भीमा कोरेगांव मामले के सात आरोपियों से जब्त मोबाइल फोन को सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त टेक्निकल कमेटी को सौंपने की अनुमति मांगी। सुप्रीम कोर्ट की यह कमेटी पेगासस स्पाईवेयर मामले की जांच कर रही है।  

सातों आरोपियों ने कमेटी को लिखा था पत्र 
एनआईए ने यह आवेदन सातों आरोपियों के जांच कमेटी को लिखे गए उस पत्र के बाद दिया है, जिसमें कहा गया है कि उनके फोन हैक किए गए थे। इन आरोपियों में रोना विल्सन, वर्नोन गोंजाल्विस, पी. वरवर राव, सुधा भारद्वाज, आनंद तेलतुंबडे, हनी बाबू और शोमा सेन हैं। उन्होंने कमेटी को लिखे अपने पत्र में कहा है कि हम सातों के पास से जब्त 26 डिवाइस एनआईए के कब्जे में हैं, इसलिए वे इस मामले में खुद को प्रस्तुत करने की स्थिति में नहीं थे। उन्होंने बताया कि उनकी गिरफ्तारी के वक्त उनकी डिवाइस पुणे पुलिस और एनआई ने सीज की थीं। इसके बाद तकनीकी समिति ने जनवरी 2022 में एनआईए को पत्र लिखकर यह डिवाइस जांच के लिए मांगे थे। कमेटी ने एनआईए से कहा था कि वह इन डिवाइस के डेटा की कॉपी रख सकती है। उसी के आधार पर एनआईए ने मंगलवार को एनआईए कोर्ट में आवेदन दायर किया। विशेष न्यायाधीश डीई कोठालीकर ने एजेंसी को आरोपी या उनके अधिवक्ताओं को आवेदन की एक प्रति तामील करने का निर्देश दिया और आज ही उनका जवाब मांगा।

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पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने बनाई थी तकनीकी समिति
पिछले साल 27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक तीन सदस्यीय विशेषज्ञों और तकनीकी स्वतंत्र समितियों को पेगासस स्पाईवेयर घोटाले की जांच का आदेश दिया था।जांच के आदेश पारित करते हुए सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हेमा कोहली की बेंच ने केंद्र सरकार को अपने मामले का बचाव करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा का तर्क देने के लिए फटकार लगाई थी। इसके बाद तकनीकी कमेटी ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया था, जिसमें उन लोगों का विवरण मांगा था, जिन्हें उनकी डिवाइस की पेगासस स्पाईवेयर द्वारा जांच का शक था।  

क्या है भीमा कोरेगांव हिंसा 
एक जनवरी 2018 को पुणे जिले में स्थित भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ पर एक समारोह आयोजित किया गया था। भीमा कोरेगांव लड़ाई जनवरी 1818 को पुणे के पास हुई थी। ये लड़ाई ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना और पेशवाओं की फौज के बीच हुई थी। इसमें अंग्रेजों की तरफ से महार जाति के लोग भी शामिल हुए। महार इस युद्ध को अपनी जीत मानते हुए हर साल इस जीत का जश्न मनाते हैं।  2018 में जनवरी में भीमा-कोरेगांव में भी लड़ाई की 200वीं सालगिरह को शौर्य दिवस के रूप में मनाया जा रहा था। तभी यहां हिंसा भड़क गई थी। घटना के बाद दलित संगठनों ने 2 दिनों तक मुंबई समेत नासिक, पुणे, ठाणे, अहमदनगर, औरंगाबाद, सोलापुर सहित अन्य इलाकों में बंद बुलाया जिसके दौरान फिर से तोड़-फोड़ और आगजनी हुई। इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था। 


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