पुलिस (Police) द्वारा लोगों की पिटाई के किस्से तो आम हैं लेकिन कोई यह कहे कि पुलिस वाले ही पिट गये तो आपको सोच में पड़ जाएंगे। मामला बिहार (Bihar) का है जहां पब्लिक ही पुलिस को पीट देती है।
पटना. अक्सर यह सुनने में आता है कि पटना में पुलिस टीम शराब के खिलाफ छापेमारी करने गई और बवाल हो गया। पुलिस कर्मी ही पिट गए। कभी यह सुनाई देता है कि भोजपुर में दरोगा को ही पीट दिया गया। कभी पता चलता है कि सिवान में पुलिस वालों की पिटाई हो गई। यह सिर्फ एक जिले की ही बात नहीं है बल्कि बिहार के ज्यादातर जिलों की पुलिस अपनी साख बचाने में नाकामयाब रही है। बिहार पुलिस का इकबाल इतना कमजोर हो गया है कि गलत काम करने वाले भी पुलिस से नहीं डरते हैं।
क्या कहते हैं आंकड़े
आंकड़े बताते हैं कि जनवरी से लेकर मई 2022 तक 151 दिनों में बिहार पुलिस पर करीब 1300 हमले हुए हैं। इससे यह भी पता चलता है कि रोजाना करीब 8 बार बिहार पुलिस की पिटाई हो जाती है। आंकड़े बताते हैं कि जनवरी में पुलिस पर सबसे ज्यादा हमले हुए। जनवरी 2022 में बिहार पुलिस पर 350 बार से ज्यादा हमला किया गया। फरवरी में 211 बार और मार्च में 227 बार हमला किया गया। अप्रैल में 190 बार और मई में 295 बार आम पब्लिक ने पुलिस पर हमला किया।
गलत एफआईआर बन रहा कारण
जानकारी के अनुसार किसी घटना या मामले में पुलिस की ज्यादती ही हमलों का कारण बनती है। कहीं मारपीट या बवाल होता है तो पुलिस मुख्य आरोपी के साथ दर्जन ऐसे लोगों पर भी मुकदमा दर्ज कर लेती है, जिनका घटना से कोई लेना-देना नहीं होता। यही आक्रोश पुलिस पर हमले का कारण बनती है। यदि पुलिस अपनी कार्यशैली में बदलाव करे और सही तरह से मामलों की जांच, एफआईआर और गिरफ्तारियां हो तो ये हमले कम हो सकते हैं।
पुलिस पर हमले कुछ घटनाएं
1. जनवरी 2022 में पटना के रामकृष्णा नगर में पुलिस टीम पर हमला किया गया। इसमें कई पुलिसकर्मी घायल हुए।
2. जनवरी में ही पटना के नालंदा में पुलिस पर हमला हुआ जिसमें दरोगा सहित तीन पुलिसकर्मी चोटिल हुए।
3. जनवरी में ही विक्रम इलाके में शराब पकड़ने गई पुलिस टीम पर हमला, कई लोग घायल हुए।
4. मई में शेखपुरा में पुलिस पर हमला किया गया जिसमें पुलिस को जिप्सी छोड़कर भागना पड़ा।
5. बक्सर में तो एसआई की पिस्टल छीन ली गई और पुलिस पर हमला किया गया।
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