जैक डोर्सी के वक्त राजनीतिक पूर्वाग्रह से ट्विटर में होता था काम, भारत सरकार पर उनके आरोप में नहीं कोई दम: प्रेम शुक्ला

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने कहा है कि जैक डोर्सी के वक्त ट्विटर राजनीतिक पूर्वाग्रह से काम करता था। भारत सरकार पर उनके द्वारा लगाए गए आरोप में कोई वजन नहीं है।

Asianet News | Published : Jun 14, 2023 8:24 AM IST / Updated: Jun 14 2023, 02:08 PM IST

प्रेम शुक्ला, राष्ट्रीय प्रवक्ता, भाजपा। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर के पूर्व-सीईओ जैक डोर्सी ने 12 जून को दिए अपने अपने बयान में भारत सरकार पर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान कई अकाउंट्स को ब्लॉक करने के लिए भारत सरकार ने मजबूर किया था। जैक डोर्सी के इस बयान से भारत में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है।

ट्विटर का सद्भाव को बाधित करने और एक विशिष्ट राजनीतिक रुख (रूढ़िवादी और दक्षिणपंथी) को चुप कराने के लिए राष्ट्र-विरोधी तत्वों के साथ मिलीभगत करने का इतिहास रहा है। अपने एक इंटरव्यू में जैक डोर्सी ने दावा किया था कि उनके कर्मचारी राजनीतिक रूप से वामपंथी हो गए हैं। उनके काम में राजनीतिक पूर्वाग्रह दिखता है। वे अलग दृष्टिकोण वाले लोगों के अकाउंट लॉक या सस्पेंड कर देते हैं। क्या यह बोलने की आजादी है?

डोर्सी बोलने की आजादी के लिए आवाज उठाने वाला होने का ढोंग करते हैं। उन्होंने 2016 के अंत में आम आदमी पार्टी की आलोचना करने के लिए कई अकाउंट्स को सस्पेंड कर दिया था। उस वक्त केजरीवाल और राष्ट्र-विरोधियों पर सवाल उठाने के चलते एक प्रमुख राष्ट्रवादी अकाउंट को सस्पेंड कर दिया गया था। इसके अलावा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सात अकाउंट्स को सस्पेंड कर दिया गया था। विरोध के बाद इन अकाउंट्स को बहाल किया गया था।

नवंबर 2018 के डोर्सी ने एक हिंदू-विरोधी तख्ती के साथ पोज दिया था। तख्ती पर लिखा था , “Smash Brahminical Patriarchy” (ब्राह्मणवादी पितृसत्ता को तबाह कर दो)। इस मामले ने तूल पकड़ा तो ट्विटर ने बयान जारी कर कहा कि यह केवल बयानबाजी थी। वे सभी पक्षों की सुनते हैं। इस पोस्टर को दलित कार्यकर्ता संघपाली अरुणा ने डोर्सी को पेश किया था। अरुणा ने ट्विटर के बयान का खंडन किया था और कहा था कि पोस्टर 'जाति' के मुद्दे के बारे में था। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने तब यह कहकर आग में घी डालने का काम किया था कि "ब्राह्मण भारत के नए यहूदी हैं और हमें इसके साथ रहना सीखना चाहिए"। इस बयान से पता चलता है कि कांग्रेस किस तरह से जैक डोर्सी का बचाव करती रही है।

जैक डोर्सी ने जनवरी 2019 में जाने-माने ट्विटर इतिहासकार “ट्रू इंडोलॉजी” के अकाउंट को लॉक कर दिया था। इसने NDTV को कश्मीर के इतिहास की गलत समझ के बारे में बताया था। NDTV ने कश्मीर में सांप्रदायिक सद्भाव के विकृत दावों के साथ एक झूठी कहानी सेट की थी। ट्रू इंडोलॉजी ने कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की याद दिलाई और आगे कहा कि मुस्लिम आबादी ने कभी भी अपने क्षेत्र से एक भी हिंदू को नहीं चुना। ट्विटर ने हेटफुल कंडक्ट के अपने नियमों का उल्लंघन करते हुए ट्रू इंडोलॉजी अकाउंट को ब्लॉक किया। क्या किसी तथ्य को बताना घृणित आचरण वाली वास्तविक घटना की याद दिलाना है? कल अगर यहूदियों ने होलोकास्ट की याद दिलाते हुए ट्वीट किया तो क्या ट्विटर उन्हें हेटफुल कंडक्ट के दायरे में चुप करा देगा?

ट्विटर का उन खातों के खिलाफ स्पष्ट पूर्वाग्रह है, जिनकी विचारधारा दक्षिणपंथी है। यहां तक कि ट्विटर के अधिकारी ने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की अध्यक्षता वाली आईटी पर संसदीय समिति के सामने पेश होने से भी इनकार कर दिया। अक्टूबर 2020 में जैक के नेतृत्व में ट्विटर ने एक और भारत विरोधी स्कैंडल किया। उन्होंने लेह को चीन के हिस्से के रूप में दिखाकर हमारे देश की संप्रभुता का अपमान किया। 18 अक्टूबर को राष्ट्रीय सुरक्षा विश्लेषक नितिन गोखले ने ट्विटर पर लिखा कि जब वह लेह से लाइव कर रहे थे तो ट्विटर ने उनके लोकेशन को "नितिन ए गोखले वाज लाइव, जम्मू और कश्मीर, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना” दिखाया। कुशक बकुला एयरपोर्ट आने के बाद भी उन्होंने कई बार कोशिश की, लेकिन लोकेशन वही रहा। कई और ट्विटर यूजर ने भी ट्राइ किया, उनके लोकेशन को भी गलत दिखाया गया।

2019 में ट्विटर ने अपना डेटा कैम्ब्रिज एनालिटिका (CA) को बेच दिया था। कैंब्रिज एनालिटिका ने कई हाई प्रोफाइल राजनीतिक अभियानों पर काम किया। इसने सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा लीक किए गए डेटा का इस्तेमाल रिजल्ट बदलने की कोशिश करने के लिए किया। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि राहुल गांधी के यूपीए की रणनीति पर काम करने के लिए कैम्ब्रिज एनालिटिका के निलंबित वैश्विक सीईओ से मिलने का शक है। कैम्ब्रिज एनालिटिका के संबंध कांग्रेस से हैं। इसलिए कोई आश्चर्य नहीं कि ट्विटर भारत-विरोधी कार्रवाई करता है। वहीं, कांग्रेस हमेशा देश को बदनाम करने में सबसे आगे रहती है।

ट्विटर ने मई 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के ट्वीट को सेंसर करने का फैसला किया। ट्रम्प ने अमेरिकी कंपनियों की जिम्मेदारी की सुरक्षा सीमित करने संबंधी एक आदेश पर फैसला किया था, जिसके बाद ट्वीट ने यह प्रतिक्रिया दी थी। ट्विटर ने जनवरी 2021 में ट्रम्प के खाते को स्थायी रूप से सस्पेंड कर दिया था। ट्विटर ने आरोप लगाया था कि ट्रम्प के बयान हिंसा का समर्थन करते हैं। वहीं, ट्वीटर ने तालिबान को अफगान शहरों पर अपने कब्जे के बारे में अपडेट पोस्ट करते रहने की मंजूरी दी।

डोर्सी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के बेटे हंटर बाइडेन के ईमेल के बारे में न्यूयॉर्क पोस्ट की अक्टूबर की रिपोर्ट को साझा करने से यूजर्स को रोकने में अपनी भूमिका स्वीकार किया था। घटना अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के वक्त की है। उस वक्त इस रिपोर्ट के शेयर किए जाने से डेमोक्रेट्स के रिजल्ट पर प्रभाव पड़ सकता था।

वर्तमान मुद्दे पर सरकार का कड़ा रुख है। सूचना और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने जवाब दिया “जनवरी 2021 में विरोध प्रदर्शनों के दौरान, बहुत सारी गलत सूचनाएं फैलाई जा रहीं थीं। यहां तक कि नरसंहार की फर्जी रिपोर्टें भी शेयर की गईं। भारत सरकार को ट्विटर से गलत सूचनाओं को हटाने के लिए बाध्य होना पड़ा। इन फर्जी खबरों के आधार पर स्थिति के और भड़कने की संभावना था। जैक के वक्त ट्विटर ने भारत को लेकर पक्षपातपूर्ण व्यवहार किया। उन्हें भारत के बारे में गलत सूचनाएं हटाने में परेशानी होती थी, लेकिन अमेरिका के संबंध में ऐसा होने पर तुरंत गलत सूचना को हटाया गया।

ट्विटर की कार्रवाइयां स्पष्ट रूप से इसके पूर्वाग्रह को दर्शाती हैं जो एक वैश्विक मीडिया समूह में मौजूद नहीं होना चाहिए और इस तरह के पूर्वाग्रह मुक्त भाषण सेंसरशिप पर विनाशकारी प्रभाव डाल सकते हैं। पाकिस्तान में इस्लाम के बारे में उनके "ईश निंदा" कानून के आधार पर अलग-अलग विचार पोस्ट करने पर ट्विटर तुरंत पोस्ट हटा देता है और अकाउंट्स को निलंबित कर देता है, हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा ऐसा करने के लिए कहे जाने के बावजूद ट्विटर हिंदू देवी-देवताओं पर अपमानजनक पोस्ट हटाने से इनकार करता है। इस तरह की कार्रवाइयों के मद्देनजर और आदतन झूठे होने के नाते क्या भारत सरकार पर जैक डोर्सी के बयानों का कोई वजन होना चाहिए?

नोट- लेख में दिए गए विचार भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला के हैं।

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