नागरिकता संशोधन कानून (CAA) 2019 में संसद से पारित हो चुका है, इसके बाद भी यह देश में लागू नहीं हो पाया है। इसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में प्रताड़ित अल्पसंख्यक हिंदू, जैन, सिख, पारसी और ईसाइयों को भारत की नागरिकता दी जाएगी।
नई दिल्ली। नए साल में केंद्र सरकार (Modi gevernment) इस बार पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक शरथार्थियों को नागरिकता का तोहफा दे सकती है। देश में तमाम शरणार्थी वर्षों से भारत की नागरिकता पाने का इंतजार कर रहे हैं। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) 2020 में संसद से पारित हो गया था, लेकिन अब तक अमल में नहीं आ सका है। हालांकि, सूत्रों का दावा है कि सरकार ने अब इसके नियमों का अंतिम रूप दे दिया है और जनवरी 2022 में इसे लागू कर दिया जाएगा। दैनिक भास्कर में छपी एक खबर के मुताबिक यूपी सहित पांच राज्यों के चुनावों को देखते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) लगातार इस मुद्दे पर सरकार पर दबाव बना रहा है। हालांकि, 2019 में जब सरकार ने इसे संसद में पारित किया तो मुस्लिम समुदाय ने देश भर में इसका विरोध किया। दिल्ली के शाहीन बाग में लंबे समय तक आंदोलन चला। उत्तर प्रदेश में भी जमकर विरोध हुआ, जिसके बाद कई दिनों तक इंटरनेट बंद करना पड़ा था। यूपी की योगी सरकार ने इसके विरोध में दंगे करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की थी। 2003 में कांग्रेस ने भी CAA जैसा कानून बनाने की मांग की थी, लेकिन मोदी सरकार के कानून बनाने के बाद उसने इसका जमकर विरोध किया।
अब तक तैयार नहीं हो सके थे कानून
केंद्र सरकार ने संसद में कानून तो पारित कर दिया था, लेकिन अब तक इसके नियम नहीं आ सके थे। CAA संसद में दिसंबर 2019 में पारित हुआ और अधिसूचना 10 जनवरी 2020 को लागू हो गई थी, यानी उस दिन से कानून प्रभाव में आया, लेकिन दो सालों में इसके नियम नहीं बन सके। केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2020, फरवरी 2021 और मई 2021 में इसके नियम जारी करने के लिए तीन बार समय मांगा। अब माना जा रहा है कि नए साल में इसके नियम आ जाएंगे और यह जारी हो जाएगा।
क्या है नागरिकता संशोधन कानून
नागरिकता संशोधन कानून 2019 (CAA - 2019) अल्पसंख्यकों (गैर-मुस्लिम) के लिए भारतीय नागरिकता देने का रास्ता खोलता है। इस कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में रहने वाले शोषित लोगों को भारत की नागरिकता हासिल करने की राह आसान होगी। CAA में छह गैर-मुस्लिम समुदायों - हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी से संबंधित उन देशों के अल्पसंख्यक शामिल हैं। इन्हें भारतीय नागरिकता तब मिलेगी जब वे 31 दिसंबर, 2014 या उससे पहले भारत में आ चुके हों।
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