पिता के दिए 5 लाख रुपए से कैसे अरबपति बने कॉफी किंग, कहां से आया था कैफे कॉफी डे का आइडिया

1995 में सिद्धार्थ ने सिंगापुर की एक शॉप पर लोगों को बेवरेज के साथ इंटरनेट का मजा उठाते देखा। इसके बाद उन्होंने फैसला कर लिया कि वो एक ऐसा कैफे खोलेंगे, जहां लोगों इंटरनेट के साथ कॉफी का मजा मिलेगा। 

Asianet News Hindi | Published : Jul 30, 2019 3:34 PM IST / Updated: Jul 30 2019, 09:09 PM IST

बेंगलुरू। कैफे कॉफी डे के संस्थापक वीजी सिद्धार्थ का ताल्लुक एक ऐसे परिवार से है, जिसका जुड़ाव कॉफी की खेती की 150 साल पुरानी संस्कृति से है। उनके परिवार के पास कॉफी के बागान थे। धीरे-धीरे यह बिजनेस चल निकला और बाद में फैमिली के लिए एक सफल व्यापार के रूप में स्थापित हुआ। 90's में कॉफी ज्यादातर दक्षिण भारत में ही पी जाती थी और इसकी पहुंच फाइव स्टार होटल्स तक ही सीमित थी। हालांकि सिद्धार्थ का सपना था कि कॉफी को आम लोगों तक पहुंचाया जाए। सिद्धार्थ का सपना और फैमिली की बिजनेस में गहरी समझ के चलते कैफे कॉफी डे की शुरुआत हुई। 

महज 21 साल की उम्र में सिद्धार्थ ने जब पिता से कहा कि वो मुंबई जाना चाहते हैं तो उन्हें पिता ने 5 लाख रुपए के साथ यह कहा कि अगर वो फेल हो जाएं तो वापस आकर फैमिली का कारोबार संभाल सकते हैं। सिद्धार्थ ने 3 लाख रुपए में जमीन खरीदी और 2 लाख रुपए बैंक में जमा कर लिए। इसके बाद वो मुंबई आ गए और जेएम फाइनेंशियल सर्विसेज में मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में काम शुरू किया। यहां वह 2 साल रहे और इस दौरान उन्होंने शेयर बाजार की अच्छी समझ हासिल कर ली। 

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सिद्धार्थ को ऐसे आया कॉफी चेन खोलने का आइडिया
सिद्धार्थ को कॉफी चेन खोलने का आइडिया शीबो, जर्मन कॉफी चेन के मालिक से बात करने के बाद आया था। हालांकि लोगों की नेगेटिव बात सुनने के बाद उन्होंने कुछ दिनों के लिए यह आइडिया टाल दिया था। इस वाकये के बाद 1995 में सिद्धार्थ ने सिंगापुर की एक शॉप पर लोगों को बेवरेज के साथ इंटरनेट का मजा उठाते देखा। इसके बाद उन्होंने फैसला कर लिया कि वो एक ऐसा कैफे खोलेंगे, जहां लोगों की सुविधाओं का ख्याल रखा जाएगा। और इसके बाद वह अपने काम में जुट गए।

23 साल पहले हुई कैफे कॉफी डे की शुरुआत...
कैफे कॉफी डे की शुरुआत बेंगलुरू में इंटरनेट कैफे के साथ हुई थी। दरअसल, इंटरनेट उन दिनों धीरे-धीरे देश में पॉपुलर हो रहा था। जुलाई, 1996 में बेंगलुरू के ब्रिगेड रोड में पहली कॉफी शॉप शुरू हुई। इंटरनेट के साथ कॉफी का मजा युवाओं को काफी पसंद आया और धीरे-धीरे यह उनका फेवरेट हैंगआउट स्पॉट बन गया। जैसे-जैसे इंटरनेट तेजी से फैल रहा था, कैफे कॉफी डे (CCD) भी बढ़ने लगा। इसके बाद सीसीडी ने देशभर में कॉफी कैफे के रूप में बिजनेस करने का फैसला किया। अब बेंगलुरू स्थित कंपनी के हेड ऑफिस का नाम ही कॉफी डे स्क्वॉयर हो चुका है।  

247 शहरों में 1800 से ज्यादा कैफे 
सीसीडी आज देश की सबसे बड़ी कॉफी रिटेल चेन बन चुकी है। जुलाई, 2019 तक देशभर के 247 शहरों में सीसीडी के 1843 कैफे हैं। यह कंपनी फ्रैंचाइजी मॉडल पर काम नहीं करती और सभी कैफे खुद कंपनी के हैं। कंपनी का सीधा मुकाबला टाटा ग्रुप की स्टारबक्स के अलावा बरिस्ता और कोस्टा कॉफी से भी है। कंपनी की नेटवर्थ करीब 4000 करोड़ रुपए हो चुकी है। 2017-18 में कंपनी ने 600 मिलियन डॉलर का बिजनेस किया था।

30 हजार लोगों को रोजगार दे चुकी है कंपनी
कैफे कॉफी डे अपने फार्म में उगाए गए कॉफी बीन्स का इस्तेमाल करती है। इससे कंपनी को क्वालिटी बनाए रखने के साथ लागत घटाने में मदद मिलती है। कंपनी कॉफी शॉप में कॉफी के अलावा दूसरे प्रोडक्ट भी रखती है। इसके लिए कंपनी अमूल जैसे बड़े ब्रैंड से प्रोडक्ट आउटसोर्स करती है। कंपनी अब तक 30 हजार लोगों को रोजगार दे चुकी है। 
 

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