सार
पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना ने न्योमा में 14,000 फीट की ऊंचाई पर टैंक अभ्यास किया, जिसमें टी-90 भीष्म और टी-72 टैंक शामिल थे। इस अभ्यास का उद्देश्य चरम मौसम और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में युद्ध की तैयारी को प्रदर्शित करना था।
न्योमा। पूर्वी लद्दाख के न्योमा में करीब 14,000 फीट की ऊंचाई पर भारतीय सेना के टैंकों ने ऐसी दहाड़ लगाई कि चीनी सैनिकों का कलेजा कांप जाए। अभ्यास में टी-90 भीष्म, टी-72 टैंक और बीएमपी II इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स सहित अन्य बख्तरबंद वाहनों ने हिस्सा लिया।
मई 2020 में लद्दाख में कई स्थानों पर भारत और चीन के बीच सीमा विवाद हुआ था। इसके बाद भारतीय सेना ने टैंक और बख्तरबंद वाहनों को तैनात किया था। इस क्षेत्र के प्रमुख स्थानों में से एक न्योमा है। 13,700 फीट की ऊंचाई पर स्थित न्योमा अपने कठोर भूभाग और चरम मौसम की स्थिति के लिए जाना जाता है। यहां तापमान -40 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है।
न्योमा में सेना के अभ्यास के दौरान टैंकों और लड़ाकू वाहनों ने सिंधु नदी को पार करने सहित कई युद्धाभ्यास किए। एशियानेट न्यूजेबल अभ्यास में शामिल सैनिकों से बात की। समझा कि ऐसे चुनौतीपूर्ण माहौल में बख्तरबंद वाहनों के महत्व कितना है।
दुश्मन को खत्म करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं हम
टी-90 के ट्रेड्समैन मनोज कुमार ने कहा, "हम इस ऊंचाई पर भी अपने दुश्मन को खत्म करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इस टैंक को कहीं भी तैनात किया जा सकता है। हम टैंक की मदद से गहरे पानी में जा सकते हैं और आसानी से जलाशयों को पार कर सकते हैं।"
टी-72 टैंक के बारे में जानकारी देते हुए नायब सूबेदार खेत्रे प्रकाश ने कहा, "यह भारत में बना है। दिन हो या रात यह हर वक्त फायर कर सकता है। इसे चलाने के लिए तीन लोगों (ड्राइवर, गनर और कमांडर) की जरूरत होती है। इसमें 800-एचपी का इंजन है। कमांडर गनर को टारगेट पर फायर करने का निर्देश देता है। ड्राइवर का काम टैंक चलाना है।"
बेहद खराब मौसम में भी काम करती है BMP-II
BMP-II ICV के बारे में सूबेदार वजीर सिंह ने कहा, "यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसे रेगिस्तान, मैदानों, जलाशयों और पहाड़ों पर तैनात किया जा सकता है। यह एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल, 30-एमएम के गन सिस्टम, पीकेटी और स्मोक ग्रेनेड लॉन्चर से लैस है। इसकी अधिकतम रफ्तार 65 किलोमीटर प्रति घंटा है। पानी में यह 7km/h की गति से चलती है। तापमान -30 डिग्री हो या 50 डिग्री यह बेहद खराब मौसम में भी काम करती है।"
बता दें कि भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा है। यह अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड तक फैली है। 832 किलोमीटर सीमा पूर्वी लद्दाख में है।
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