शेर के नाम पर हाईकोर्ट ने बंगाल सरकार को लगाई फटकार, पूछा- क्यों रखा अकबर, सीता नाम?

Published : Feb 22, 2024, 06:19 PM ISTUpdated : Feb 22, 2024, 06:20 PM IST
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सार

सिलीगुड़ी के बंगाल सफारी पार्क में अकबर नाम के शेर और सीता नाम की शेरनी को एक बाड़े में रखे जाने के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने दोनों के नाम बदलने का निर्देश दिया है। 

कोलकाता। शेरों के नाम को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि वह क्यों विवाद पैदा करना चाहती है? कोर्ट ने पूछा कि शेरों के नाम अकबर और सीता क्यों रखे गए? कोर्ट ने इनके नाम बदलने का निर्देश दिया है।

दरअसल, सिलीगुड़ी के बंगाल सफारी पार्क में अकबर नाम के शेर और सीता नाम की शेरनी को एक ही बाड़े में रखे जाने को लेकर विवाद पैदा हुआ है। मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया। VHP (Vishwa Hindu Parishad) द्वारा दायर याचिका पर गुरुवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इन शेरों को हाल ही में त्रिपुरा से पश्चिम बंगाल लाया गया था।

राज्य सरकार को विवाद से बचना चाहिए

जस्टिस सौगत भट्टाचार्य के सिंगल जज बेंच ने मामले में सुनवाई की। जस्टिस भट्टाचार्य ने राज्य सरकार को विवाद से बचने के लिए जानवरों के नाम बदलने पर विचार करने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान जज ने पूछा, "क्या आप शेर का नाम किसी हिंदू देवता, मुस्लिम पैगंबर, ईसाई देवता, स्वतंत्रता सेनानी या नोबेल पुरस्कार विजेता के नाम पर रखेंगे? आम तौर पर कोई भी व्यक्ति जो हमारे देश के लोगों द्वारा पूजनीय या सम्मानित है उसके नाम पर जानवर का नाम नहीं रखा जाता।

राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में पेश हुए AAG (Additional Advocate General) ने बताया कि शेरों का नाम त्रिपुरा में रखा गया था। राज्य सरकार खुद शेरों के नाम बदलने पर विचार कर रही है।

पश्चिम बंगाल ने त्रिपुरा द्वारा दिए नामों को चुनौती क्यों नहीं दी?

कोर्ट ने जानवर का नाम भगवान, पौराणिक नायक, स्वतंत्रता सेनानी या नोबेल पुरस्कार विजेता के नाम पर रखने के पीछे के तर्क पर सवाल उठाया। कोर्ट ने पूछा कि पश्चिम बंगाल ने त्रिपुरा द्वारा दिए गए नामों को चुनौती क्यों नहीं दी?

कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा, "आप एक कल्याणकारी और धर्मनिरपेक्ष राज्य हैं। आप क्यों शेरों के नाम अकबर और सीता रखकर विवाद पैदा करते हैं? इस विवाद से बचा जा सकता था। सिर्फ सीता ही नहीं, मैं इस बात के पक्ष में भी नहीं हूं कि शेर का नाम अकबर रखा जाए। वह कुशल और महान मुगल सम्राट था। वह बहुत सफल और सेकुलर मुगल शासक था। अगर पहले से नाम रख दिया गया था तो राज्य सरकार को इससे बचाना चाहिए था।"

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सुनवाई के दौरान जज ने AAG पूछा कि क्या आपके घर में कोई पालतू जानवर है? क्या उसका नाम किसी नेशनल हीरो के नाम पर रखा गया है? कोर्ट ने विश्व हिंदू परिषद की याचिका को जनहित याचिका का रूप देने और निर्देश दिया। इसके साथ ही इसे नियमित पीठ के पास भेज दिया।

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