सार
एक साल से राज्य में हिंसा जारी है। केंद्र और राज्य सरकार की हिंसा पर काबू करने की सारी कोशिशें नाकाम साबित हुई हैं।
इंफाल: मणिपुर हाईकोर्ट ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के 2023 के अपने आदेश को संशोधित कर दिया है। हाईकोर्ट ने यह कहा कि वह मैतेई को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने पर विचार नहीं करेगा। दरअसल, हाईकोर्ट के इसी आदेश के बाद मैतेई और कूकी जनजातियों के बीच हिंसा भड़की थी। एक साल से राज्य में हिंसा जारी है। केंद्र और राज्य सरकार की हिंसा पर काबू करने की सारी कोशिशें नाकाम साबित हुई हैं।
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के एक आदेश का हवाला दिया जिसमें जनजातियों को अनुसूचित सूची में शामिल करने और बाहर करने की प्रक्रिया तय की गई थी। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा था कि अदालतें एसटी सूची में संशोधन, संशोधन या परिवर्तन नहीं कर सकती हैं। इसकी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है।
सुप्रीम कोर्ट पहले ही मणिपुर हाईकोर्ट के आदेश पर सवाल खड़ कर चुका है। बीते साल जब हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए कूकी समुदाय ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था तो हाईकोर्ट के आदेश पर बेंच ने सवाल खड़े किए थे।
हाईकोर्ट ने बीते साल दिया था आदेश
मणिपुर हाईकोर्ट ने बीते साल मैतेई को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने संबंधी आदेश दिया था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद कूकी जनजाति के लोग नाराज हो गए थे। इस आदेश के बाद राज्य में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन शुरू हुआ जोकि हिंसा का रूप धारण कर लिया। राज्य में बीते साल जारी हुई हिंसा अभी तक जारी है। पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा से हजारों लोग बेघर हो चुके हैं। हिंसा और आगजनी में सैकड़ों घरों को आग के हवाले कर दिया गया। दो सौ के आसपास लोगों अभी तक मणिपुर हिंसा में जान गंवा चुके हैं। केंद्र से लेकर राज्य तक हिंसा को काबू करने का प्रयास कर चुकी है लेकिन अभी तक नतीजा सिफर रहा है। केंद्रीय बलों के अलावा भारी मात्रा में पुलिस, असम राइफल्स के जवान राज्य में तैनात हैं।
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