पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी(West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee) पर अकसर बांग्लादेशी नागरिकों को संरक्षण देने का आरोप लगता आया है। लेकिन यह मामला उससे भी अधिक चौंकाने वाला है। दक्षिण बनगांव विधानसभा सीट(South Bangaon Assembly) से तृणमूल ने जिस उम्मीदवार यानी आलोरानी सरकार(Alo Rani Sarkar) को MLA का टिकट दिया था, वे बांग्लादेशी नागरिक निकली हैं। इस मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने जांच के आदेश दिए हैं। पढ़िए पूरा मामला...
कोलकाता. दक्षिण बनगांव विधानसभा सीट(South Bangaon Assembly) से चुनाव हारीं तृणमूल कांग्रेस(TMC) की उम्मीदवार आलोरानी सरकार(Alo Rani Sarkar) कोर्ट जाकर खुद फंस गई हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी(West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee) पर अकसर बांग्लादेशी नागरिकों को संरक्षण देने का आरोप लगता आया है। लेकिन यह मामला उससे भी अधिक चौंकाने वाला है। दक्षिण बनगांव से तृणमूल ने जिस उम्मीदवार यानी आलोरानी सरकार(Alo Rani Sarkar) को MLA का टिकट दिया था, वे बांग्लादेशी नागरिक निकली हैं। इस मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने जांच के आदेश दिए हैं।
जीत हासिल करने वाले भाजपा उम्मीदवार को कोर्ट में चुनौती देकर खुद फंस गईं
बनगांव दक्षिण विधानसभा सीट पर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच बेहद संघर्षपूर्ण मुकाबला हुआ था। इसमें भाजपा प्रत्याशी स्वपन मजूमदार(BJP candidate Swapan Majumder) ने तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार आलो रानी सरकार को 2,004 मतों से शिकस्त दी थी। स्वपन मजूमदार को 97,828 वोट मिले थे, जबकि आलो रानी सरकार को 95,824 वोट। आलोरानी ने कलकत्ता हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी थी। बुधवार को उनकी याचिका खारिज की दी गई। इसके साथ ही न्यायमूर्ति विवेक चौधरी(Justice Vivek Chowdhury) ने उनकी नागरिकता पर भी सवाल उठा दिए। भाजपा उम्मीदवार के वकील ने बताया कि आलोरानी बांग्लादेशी नागरिक हैं। इसके बाद कलकत्ता हाईकोर्ट ने जांच के आदेश दिए हैं।
बांग्लादेश की वोटर लिस्ट में है नाम
कलकत्ता हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सामने आया कि तृणमूल उम्मीदवार का नाम बांग्लादेश की मतदाता सूची में है। आलोरानी के वकील बीजेपी प्रत्याशी के वकील के इस दावे के खिलाफ कोई सबूत पेश नहीं कर सके। इस पर कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विवेक चौधरी ने चुनाव आयोग को इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं। जस्टिस ने पूछा कि एक बांग्लादेशी नागरिक ने कैसे चुनाव लड़ लिया? कोर्ट ने चुनाव आयोग से यह भी कहा कि जांच की जाए कि आलो रानी चुनावों में भारत का प्रतिनिधित्व कैसे कर रही हैं? वे चुनाव आयोग की नजरों से कैसे बच गईं?
आलोरानी के खिलाफ कोर्ट में जो जानकारियां पेश की गईं, उससे पता चलता है कि आलोरानी सरकार का नाम बांग्लादेश की वोटर लिस्ट में है, इसलिए वे भारतीय नागरिक होने का दावा नहीं कर सकती हैं। कोर्ट ने कहा कि बनगांव दक्षिण से तृणमूल उम्मीदवार अगर कहती हैं,कि उनका जन्म यहीं हुआ था, लेकिन मैंने वहां (बांग्लादेश में) शादी कर ली, यदि किसी व्यक्ति का विवाह दूसरी जगह हो जाता है, तो भी उसका जन्म स्थान वहीं रहता है।
लोकसभा चुनाव में बांग्लादेश के फिल्मी कलाकारों को प्रचार के लिए बुलाया था
गौरतलब है कि तृणमूल ने 2019 के लोकसभा चुनाव में दो बांग्लादेशी सितारों नूर अब्दुन गाजी और फिरदौस को यहां प्रचार के लिए बुलाया था। हालांकि कानूनी कार्रवाई से बचने नूर अब्दुन गाजी को कोलकाता छोड़ना पड़ा था। जबकि फिरदौस का पासपोर्ट काली सूची में डाल दिया गया था।
आलोरानी सरकार वर्तमान में बीजापुर में रहती हैं। भाजपा ने शुरू में ही शिकायत की थी कि आलोरानी का गृहनगर बांग्लादेश के बारीसाल में है। उनके पति हरेंद्रनाथ सरकार बांग्लादेश में डॉक्टर हैं। हालांकि अलोदेवी ने नामांकन पत्र में अपने पति के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। आलोरानी के परिवार के सदस्य बांग्लादेश में रहते हैं। उन्होंने भारत में शादी की है, लेकिन उनका नाम बांग्लादेश की मतदाता सूची में भी है। जस्टिस विवेक चौधरी ने कहा, "भारतीय संविधान दोहरी नागरिकता को मान्यता नहीं देता है।"
पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने इस मामले को लेकर कुछ tweet किए। इसमें उन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देकर लिखा-हां, आपने सही पढ़ा है। वह एक बांग्लादेशी नागरिक है। टीएमसी ने इस बार खुद को पराजित किया।
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