स्कूल में Covid संक्रमण का खतरा, स्पेशलिस्ट्स की कुछ महीने और बंद रखने की सलाह, जानिए केरल में बच्चों का हाल

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पिछले पांच महीनों में केरल में लगभग 300 से अधिक बच्चे मल्टी-सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम-इन चिल्ड्रन से संक्रमित हुए हैं। यह एक प्रकार का पोस्ट-कोविड कॉम्पलीकेशन है जिससे बच्चे संक्रमित हो रहे हैं। मंत्रालय के अनुसार इनमें से 4 की मौत भी हो गई। 

नई दिल्ली। कोविड-19 की तीसरी लहर को लेकर लगातार चेतावनी जारी की जा रही है। देश के जाने माने चिकित्सक डॉ.नरेश त्रेहन ने बच्चों के स्कूलों को खोले जाने पर ऐतराज जताते हुए अभी कुछ दिनों तक सब्र करने की सलाह दी है। डॉ.त्रेहन ने साफ कहा है कि वैक्सीन आने वाला है, बच्चों को वैक्सीन लगने तक किसी प्रकार की लापरवाही से बचनी चाहिए। क्योंकि अगर बड़ी संख्या में बच्चे बीमार पड़ गए तो हमारे पास इलाज के लिए संसाधन कम पड़ जाएंगे।

मेदांता अस्पताल के चेयरमैन डॉ.त्रेहन ने कहा कि कुछ महीनों का इंतजार करना बेहतर होगा क्योंकि स्कूल खुल जाने के बाद अगर संक्रमण किसी तरह फैल गया तो स्थितियां संभाली नहीं जा सकेगी।

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केरल की लापरवाही बच्चों पर भी पड़ रही भारी

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पिछले पांच महीनों में केरल में लगभग 300 से अधिक बच्चे मल्टी-सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम-इन चिल्ड्रन से संक्रमितए हुए हैं। यह एक प्रकार का पोस्ट-कोविड कॉम्पलीकेशन है जिससे बच्चे संक्रमित हो रहे हैं। मंत्रालय के अनुसार इनमें से 4 की मौत भी हो गई। बच्चों में यह संक्रमण केरल के लिए एक नई चिंता के रूप में उभरा है। दो महीने से अधिक समय से कोविड संक्रमणों में तेजी देखी जा रही है। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने शनिवार को माता-पिता से अपने बच्चों में एमआईएस-सी के लक्षण दिखने पर तत्काल चिकित्सा सहायता लेने को कहा। उन्होंने कहा ‘इस बीमारी का इलाज संभव है, लेकिन अगर इसे अनदेखा किया गया तो यह मुश्किल हो जाएगा।‘

यह है लक्षण

स्पेशलिस्ट के अनुसार एमआईएस-सी उन बच्चों में पोस्ट कोविड बीमारी है जिनमें कोरोना वायरस से उबरने के कुछ सप्ताह बाद लक्षण दिख रहे। जानकारों के अनुसार कोविड से उबरने के तीन-चार सप्ताह बाद बुखार, पेट दर्द, आंख लाल होना और मतली के लक्षण सामने आ रहे। राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अब तक कोविड -19 से संक्रमित सभी राज्य की आबादी में से 10 में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे शामिल हैं, जबकि अधिकांश एमआईएस-सी संक्रमित मामले 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में हैं। पहला एमआईएस-सी मामला इस साल मार्च में तिरुवनंतपुरम में सरकारी अस्पताल में रिपोर्ट किया गया था।

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