विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि हमने पिछले सप्ताह चीनी पक्ष द्वारा अरुणाचल प्रदेश में कुछ स्थानों के नामकरण की रिपोर्टें देखी थीं। किसी भी क्षेत्र पर दावा करने के लिए इस तरह की हास्यास्पद कवायद पर हमने विचार व्यक्त किए हैं।
नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश के कई हिस्सों का नाम बदलने की चीन की मनमानियों के खिलाफ भारत सरकार ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि चीन एलएसी पर विवादों को निपटाने के लिए रचनात्मक पहल करेगा बजाय इस हास्यास्पद कार्रवाई के।
क्या कहा विदेश मंत्रालय ने?
विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि हमने पिछले सप्ताह चीनी पक्ष द्वारा अरुणाचल प्रदेश में कुछ स्थानों के नामकरण की रिपोर्टें देखी थीं। किसी भी क्षेत्र पर दावा करने के लिए इस तरह की हास्यास्पद कवायद पर हमने विचार व्यक्त किए हैं। हमें उम्मीद है कि चीन इस तरह की हरकतों में शामिल होने के बजाय भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में एलएसी के पश्चिमी क्षेत्र के क्षेत्रों में बकाया बिंदुओं को हल करने के लिए हमारे साथ रचनात्मक रूप से काम करेगा।
चीन ने एक दर्जन से अधिक जगहों के बदले नाम
ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि चीन के नागरिक मंत्रालय ने नियमों के मुताबिक जंगनान (चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत या जंगनान कहता रहा है) में चीनी अक्षरों, तिब्बती और Roman alphabets में जगहों का मानकीकरण किया है। जिन 15 जगहों के नाम बदले गए हैं, उसमें से कई भारत और चीन के बीच विवादित हैं। बदले गए 15 नामों में से आठ रेसिडेंशियल प्लेस, चार पहाड़, दो नदी और एक पहाड़ी दर्रा है। चीन ने दूसरी बार तिब्बत और अरुणाचल के नजदीकी जगहों का चीनी नाम देने का काम किया है। इससे पहले 2017 में चीन ने छह जगहों का नाम अपने हिसाब से रखा था।
अरुणाचल सीमाक्षेत्र के कई जगहों के भी बदले नाम
चीन ने जिन जगहों के नाम बदले हैं उसमें से कई जगह अरुणाचल प्रदेश के भाग हैं। चीन ने शन्नन प्रीफेक्चर के कोना काउंटी में सोंगकोज़ोंग और डग्लुंगजोंग, निंगची के मेडोग काउंटी में मणिगंग, ड्यूडिंग और मिगपेन, न्यिंगची के जायू काउंटी में गोलिंग, डंबा और शन्नान प्रीफेक्चर के लुंजे काउंटी में मोजाग के नाम बदल दिए हैं। जायू और लुंजे काउंटी के बड़े हिस्से भारत के अरुणाचल प्रदेश में हैं।
अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा नहीं मानता चीन
बीजिंग में चाइना तिब्बतोलॉजी रिसर्च सेंटर के विशेषज्ञ लियान जियांगमिन ने ग्लोबल टाइम्स से बातचीत में कहा है कि यह घोषणा सैकड़ों सालों से मौजूद स्थानों के नामों पर राष्ट्रीय सर्वेक्षण का हिस्सा है। उन्हें मानकीकृत नाम देना एक वैध कदम और चीन की संप्रभुता है। लियान ने कहा कि भविष्य में इस क्षेत्र में अधिक मानकीकृत स्थानों के नामों की घोषणा की जाएगी। ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि चीन के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने फरवरी 2020 में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि चीनी सरकार ने तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी, जैसा कि भारत द्वारा कहा जाता है।