CEC appointing Panel: भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति वाले पैनल से सीजेआई को हटाने वाले कानून के खिलाफ याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। सीजेआई के बेंच से अलग होने के बाद याचिका को सुनवाई के लिए दूसरे बेंच के पास भेज दिया गया है। इस मामले की सुनवाई 6 जनवरी से होगी। दरअसल, सीजेआई खन्ना, याचिका की सुनवाई के वक्त मार्च में बेंच का हिस्सा थे। अब डीवाई चंद्रचूड़ के रिटायर होने के बाद संजीव खन्ना सीजेआई पद की शपथ ले चुके हैं इसलिए खुद को उस बेंच से अलग रहने का फैसला किया है। उन्होंने बेंच से अलग होने का फैसला लेते हुए कहा कि यह एक अलग परिदृश्य है।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 2023 में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाले पैनल में पीएम, विपक्ष के नेता और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का तीन सदस्यीय पैनल बनाकर पारदर्शी नियुक्ति का आदेश दिया था। हालांकि, कुछ ही महीने बाद केंद्र सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति विधेयक पेश किया। संसद में केंद्र सरकार ने विधेयक पास करा लिया। विधेयक उस समय पास हुआ जब विपक्ष के अधिकतर सदस्य सदन से निलंबित थे। नए कानून में सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया गया था। नए कानून के अनुसार, मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति पैनल में पीएम, विपक्ष के नेता और एक केंद्रीय मंत्री शामिल होंगे न कि मुख्य न्यायाधीश।
सरकार द्वारा संसद में पास कराए गए कानून के खिलाफ कांग्रेस की जया ठाकुर, सिविल सोसाइटी ग्रुप्स, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हालांकि, पूर्व में हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने नए कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। उस समय केंद्रीय चुनाव आयोग में दो चुनाव आयुक्तों का पद रिक्त था। लोकसभा चुनाव के पहले ही चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने मार्च में इस्तीफा दे दिया और उसके कुछ दिनों बाद दूसरे चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय ने भी इस्तीफा दे दिया था। इस इस्तीफा के बाद केवल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ही पैनल में बचे थे। लोकसभा चुनाव बिल्कुल करीब था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था और नए कानून के तहत ही दोनों चुनाव आयुक्तों को नियुक्त करने का रास्ता साफ हो गया था। सुप्रीम कोर्ट के नए कानून पर रोक लगाने से इनकार के बाद सरकार ने ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू को चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त कर दिया।
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