असम-मिजोरम खूनी संघर्ष: 36 साल से नागालैंड से भी होती रही है खूनी लड़ाई, कई राज्यों से है सीमा विवाद

मिजोरम और असम के बीच सीमा विवाद को लेकर सोमवार को हुई हिंसा का इतिहास बहुत पुराना है। सिर्फ मिजोरम नहीं; नागालैंड अरुणाचल प्रदेश, मेघालय भी सीमा पर अपने-अपने हक को लेकर हिंसक लड़ाई करते रहे हैं।

Asianet News Hindi | Published : Jul 27, 2021 3:27 AM IST / Updated: Jul 27 2021, 09:03 AM IST

नई दिल्ली. मिजोरम और असम के बीच सीमा विवाद ने देश के सामने एक नई चिंता पैदा कर कर दी है। सोमवार को सीमा पर हुई हिंसा में असम राज्य के 6 पुलिसकर्मी मारे गए। इस विवाद में अब प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की गई है। इसी मुद्दे पर ख्यात लेखक और राष्ट्रीय सुरक्षा विश्लेषक नितिन ए गोखले ने एक ट्वीट किया है। उन्होंने 1985 और 22 अगस्त, 2014  को पूर्वोत्तर राज्यों के सीमा विवाद को लेकर छपी खबरों पोस्ट किया है। इसमें इंडियन एक्सप्रेस और दूसरे अखबारों की न्यूज शामिल हैं। गोखले ने न्यूयॉर्क टाइम्स की एक कटिंग भी शेयर की है, जो जून 1985 की है। क्योंकि न्यूयॉर्क टाइम्स का ऑनलाइन पब्लिकेशन 1996 में शुरू हुआ था। इसके अनुसार, तब असम और नागालैंड के लोगों में सीमा विवाद को लेकर हुए खूनी संघर्ष में 32 लोगों की मौत हुई थी। 

https://t.co/3p4tdrn6om

36 साल से चली आ रही यह लड़ाई
गोखले ने इंडियन एक्सप्रेस और जो अन्य न्यूज पेपर्स की कटिंग शेयर की हैं, उससे मालूम चलता है कि पूर्वोत्तर राज्यों में सीमा विवाद बहुत पुराना है। 36 साल पहले मेरापानी में असम और नागालैंड के बीच भी ऐसी ही हिंसा हुई थी, जिसमें 28 पुलिसकर्मी मारे गए थे। गोखले लिखते हैं कि एक युवा रिपोर्टर के तौर पर उस खूनी संघर्ष के दिनों में अशांत क्षेत्र की यात्रा करना याद है। उत्तर-पूर्व में इन सीमा विवादों का कभी-कभार भड़कना कोई असामान्य बात नहीं है। ऐसा आजादी के शुरुआती दशकों से चला आ रहा है।

यह भी पढ़ें-मिजोरम-असम सीमा विवाद के दौरान हिंसाः सीआरपीएफ की दो कंपनियां तैनात, तनाव बरकरार

यह है खूनी संघर्ष के पीछे की वजह
गोखले ने जो खबरें शेयर की हैं, उनके मुताबिक, असम के अविभाजित क्षेत्र से छोटे राज्यों को काटकर इस स्थिति को जन्म दिया गया है। असम-नागालैंड, असम-मेघालय, असम-मिजोरम और असम-अरुणाचल प्रदेश सीमा विवाद अभी भी जारी हैं। सोमवार को जो हिंसा हुई, वैसी खूनी भिड़ंत 2014 में भी हो चुकी है।

इंडियन एक्सप्रेस ने 2014 में प्रकाशित की थी यह खबर
गोखले ने मामले को समझाने 2014 में इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर शेयर की है। इसमें बताया गया कि तब असम के गोलाघाट जिले के निवासियों ने नागालैंड सीमा पार से हो रहे हमलों का विरोध किया था। उस दौरान सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले 9 ग्रामीण मारे गए थे। यानी यह विवाद तब से चला आ रहा है। भूमि पर अपने-अपने हक को लेकर और अतिक्रमण के चलते ऐसी लड़ाइयां लंबे समय से चली आ रही हैं।

 https://t.co/7Prh9kygNg

जैसा कि इंडियन एक्सप्रेस ने 2014 में छापा था
1963 में जब से नागालैंड को असम के नागा हिल्स जिले से अलग किया गया था, तब से नागालैंड कुछ ऐसे हिस्सों की मांग कर रहा है, जो पहाड़ी राज्य को "ऐतिहासिक रूप से" मानते हैं। नागालैंड सरकार हमेशा से जोर देती आ रही है कि 1960 के 16-सूत्रीय समझौते, जिसके कारण नागालैंड का निर्माण हुआ, में उन सभी नागा क्षेत्रों की "बहाली" भी शामिल थी, जिन्हें 1826 में अंग्रेजों द्वारा असम पर कब्जा करने के बाद नागा पहाड़ियों से बाहर स्थानांतरित कर दिया गया था। वहीं, असम सरकार का रुख "संवैधानिक रूप से" सीमा को बनाए रखने का है, जैसा कि 1 दिसंबर, 1963 को तय किया गया था, जब पहाड़ी राज्य बनाया गया था।

इतनी सीमा को लेकर विवाद
इंडियन एक्सप्रेस की 2014 में छपी खबर(रिपोर्टर Samudra Gupta Kashyap) के अनुसार असम और नागालैंड 434 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं। असम दावा करता रहा है कि शिवसागर, जोरहाट, गोलाघाट और कार्बी आंगलोंग जिलों में नागालैंड 66,000 हेक्टेयर से अधिक पर अतिक्रमण कर रहा है। इसमें अकेले गोलाघाट (हालिया संकट का स्थल) में 42,000 हेक्टेयर से अधिक शामिल हैं। अतिक्रमित क्षेत्र में 80 प्रतिशत से अधिक आरक्षित वन भी शामिल हैं। असम का कहना है कि नागालैंड ने असम क्षेत्र में तीन नागरिक उपखंड स्थापित किए हैं। दूसरी ओर, नागालैंड इस बात पर जोर देता है कि असम के "कब्जे" के तहत अधिक क्षेत्र नागालैंड के हैं। एनएससीएन (आईएम), संयोग से, इन चार जिलों में "ग्रेटर नगालिम" में गुवाहाटी-डिब्रूगढ़ रेलवे ट्रैक के दक्षिण में पूरे असम पथ को चाहता है।

पहले भी होता रहा है ऐसा संघर्ष
शेयर खबर के अनुसार, नागालैंड के निर्माण के बाद से हिंसक घटनाएं बढ़ी हैं। 1979 और 1985 में दो बड़ी घटनाएं हुईं, जिनमें कम से कम 100 लोगों की मौत हुई थी। 5 जनवरी, 1979 को गोलाघाट जिले के चुंगजन, उरियामघाट और मिकिरभेटा में नागालैंड के हथियारबंद लोगों द्वारा किए गए हमलों में असम के 54 ग्रामीण मारे गए थे, जबकि 23,500 से अधिक लोग राहत शिविरों में भाग गए। जून 1985 में, गोलाघाट में भी मेरापानी में हिंसा भड़की थी, जिसमें असम की ओर से 41 लोगों की मौत हो गई। इनमें असम पुलिस के 28 जवान शामिल थे। दोनों घटनाओं में असम ने दावा किया था कि हमलावरों में नागालैंड पुलिस के जवान भी शामिल हैं।

अब तक समाधान नहीं
असम और नागालैंड दोनों राज्यों ने मुख्यमंत्रियों सहित विभिन्न स्तरों पर कई बैठकें की हैं। केंद्र ने मामला सुलझाने अगस्त 1971 में असम-नागालैंड के मामलों के लिए विधि आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष के वी के सुंदरम को नियुक्त किया। सुंदरम ने सीमा का संयुक्त सर्वेक्षण करने का सुझाव दिया, जिस पर नागालैंड राजी नहीं हुआ। हालांकि, दोनों राज्यों ने यथास्थिति बनाए रखने के लिए 1972 में चार अंतरिम समझौतों पर हस्ताक्षर किए। 25 जनवरी, 1979 को प्रधान मंत्री ने नागालैंड के मुख्यमंत्री को सीमा के नागालैंड की ओर उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए लिखा था। मार्च 1981 में केंद्रीय गृह मंत्री ने दोनों मुख्यमंत्रियों को बुनियादी संवैधानिक पहलुओं का सख्ती से पालन करते हुए इस मुद्दे को चर्चा के माध्यम से हल करने के लिए कहा। 1988 में, असम सरकार ने प्रत्येक राज्य की संवैधानिक सीमा का निर्धारण और परिसीमन करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में एक शीर्षक मुकदमा दायर किया। सितंबर 2006 में, शीर्ष अदालत ने सीमा की पहचान करने के लिए एक सेवानिवृत्त एससी न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय स्थानीय आयोग का गठन किया था।

pic.twitter.com/fBwvGIOQWr

 

Share this article
click me!