हर तरफ सिर्फ नकारात्मक-मौत की खबरें थीं, पॉजिटिव रिपोर्ट देखकर लगा कि अब मैं भी नहीं बचूंगा

Asianetnews Hindi के प्रभंजन भदौरिया ने कानपुर में रहने वाले सुमित गुप्ता से बात की। कोरोना से जीतने वालों की कहानियों की 11वीं कड़ी में पढ़िए कि कैसे सुमित ने मौत का डर निकाल कर हौसलों से कोरोना को मात दी। 

कानपुर. कोरोना की दूसरी लहर का कहर जारी है। हर दिन 4000 से ज्यादा लोग इस महामारी से अपनी जान गंवा रहे हैं। लेकिन जमीनी स्थिति देखें तो यह महज सरकारी आंकड़ा है, असल संख्या तो सिर्फ ऊपर वाले को ही पता है। पहली लहर में भारत काफी हद तक कोरोना से सुरक्षित रह पाया था। लेकिन इस बार शायद ही ऐसा कोई परिवार हो, जिसने इस संकट को झेला ना हो या फिर उसके किसी रिश्तेदार की स्थिति के बारे में उसे पता ना चला हो। इस लहर में युवा भी ना सिर्फ संक्रमित हो रहे हैं, बल्कि महामारी से जान गंवा रहे हैं। ऐसे में आईआईटी, कानपुर से पीएचडी कर रहे सुमित गुप्ता ने बताया कि उन्हें संक्रमित होने के बाद यकीन ही नहीं हो रहा था कि जब वे किसी से मिले ही नहीं तो फिर वे पॉजिटिव कैसे आ गए। हर तरफ जो माहौल था, उन्हें ऐसा डर था कि वे भी इस महामारी में नहीं बचेंगे। 

Asianetnews Hindi के प्रभंजन भदौरिया ने कानपुर में रहने वाले सुमित गुप्ता से बात की। कोरोना से जीतने वालों की कहानियों की 11वीं कड़ी में पढ़िए कि कैसे सुमित ने मौत का डर निकाल कर हौसलों से कोरोना को मात दी। 
 
'हर तरफ सिर्फ नकारात्मक और मौत की खबरें थीं...पॉजिटिव रिपोर्ट देखकर लगा कि मैं भी नहीं बचूंगा'
9-10 अप्रैल की बात है। देश में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे थे। मीडिया, सोशल मीडिया और अखबारों में हर तरफ सिर्फ मौत की खबरें थीं। फोन पर भी रिश्तेदारों और जानने वालों की मौत की जानकारी मिल रही थी। इन सबके बीच एक दिन बुखार आया। आईआईटी कानपुर में प्रोटोकॉल है कि अगर किसी को बुखार आता है, तो उसे हेल्थ डेस्क पर रिपोर्ट करना होता है। मैं भी गया। जांच कराई...रिपोर्ट पॉजिटिव थी। माथे पर पसीना आ गया, मुंह भी काफी तेजी से सूख रहा था। सिर्फ एक ही ख्याल आ रहा था कि मेरा भी नाम मरने वालों की लिस्ट में होगा। 

Latest Videos

गिरती ऑक्सीजन, उखड़ती सांसें और बेड के लिए भटकते कदम...35 साल की कोरोना सर्वाइवर ने ऐसे जीती वायरस से जंग...

एक दो दिन यकीन ही नहीं हुआ कि मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है
क्लास बंद होने के बाद से मैं पिछले काफी दिनों से किसी से मिला नहीं था। रूम पर भी कोई नहीं था। ऐसे में मुझे एक दो दिन तक यकीन नहीं हो रहा था कि मुझे कोरोना हुआ है। मैंने ये बात घरवालों को भी नहीं बताई। एक दो दिन में जब कोरोना के लक्षण बढ़ने लगे, बुखार के बाद शरीर में कमजोरी, जुखाम और स्वाद आना बंद हुआ, तब मुझे अहसास हुआ कि रिपोर्ट मेरी सही है। वहीं, रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद IIT Kanpur प्रशासन ने संपर्क कर दवा भेज दी। इसके अलावा खाने के लिए जरूरी डाइट का इंतजाम किया। 

कोरोना पॉजिटिव लोगों ने कैसे जीती जंग: अलग-अलग रहकर भी भावनात्मक रूप से जुड़ी रहीं 3 पीढ़ियां

85% से ज्यादा लोग ठीक हो रहे, फिर मैं क्यों नहीं
तीसरा दिन था। कमजोरी इतनी थी कि अब बाथरूम जाने के लिए भी सोचना पड़ रहा था। रोज कोरोना के आंकड़ों के बारे में पढ़ता, देखता था। कभी यह राहत देते थे तो कभी टेंशन बढ़ाते थे। तभी शाम को एक मीडिया रिपोर्ट में देखा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि 85% से ज्यादा लोग तो होम आइसोलेशन में ही ठीक हो रहे हैं। ऐसे में हौसला आया कि जब इतने सारे लोग ठीक हो सकते हैं, तो मैं क्यों ठीक नहीं होऊंगा। उसी दिन से मैंने मेरे मन में आ रहीं सभी नकारात्मक बातों को दूर कर दिया। 

कोरोना पॉजिटिव लोगों ने कैसे जीती जंगः परिवार में 4 लोग, 3 कोरोना पॉजिटिव...54 साल पर भारी पड़े वो 14 दिन

घर पर बात की, दोस्तों से अपना दर्द साझा किया
अपने इस हौसलों को और पक्का करने के लिए उसी दिन रात में घर पर सबसे बात की। सभी को बताया कि मेरी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। कुछ दोस्तों से बात की। उनसे अपना दर्द साझा किया। घर और दोस्तों से सकारात्मकता आई। अहसास हुआ कि ये सब लोग भी मेरे साथ खड़े हैं। कोरोना से इस लड़ाई में अब मैं अकेला नहीं था। एक मन में घुटन सी थी, वह भी अब खत्म हो गई थी। 

कोरोना पॉजिटिव लोगों ने कैसे जीती जंगः डरा-सहमा लेकिन जीता क्योंकि मुझे मिला डबल पॉजिटिव वाला डोज

तीन दिन बाद बुखार सही हुआ, लेकिन लक्षण बढ़ रहे थे
तीन दिन बाद बुखार सही हुआ। लेकिन और लक्षण बढ़ने लगे थे। खांसी और झुकाम के अलावा स्वाद बिल्कुल भी नहीं आ रहा था। ऐसे में जब भी हेल्थ डेस्क से फोन आता, मैं उन्हें अपने स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देता। वहां से जल्द ठीक होने की उम्मीद मिलती। कमजोरी बहुत थी, ऐसा लग रहा था कि अस्पताल में एडमिट होना पड़ेगा। ऊपर से खबरें मिल रही थीं कि ऑक्सीजन नहीं है और अस्पतालों में बेड नहीं है। डर था कि एक दो दिन में अस्पताल की जरूरत पड़ी तो एडमिट नहीं हो पाऊंगा। लेकिन इन सब खबरों के बीच हेल्थ डेस्क से बताया गया कि आप लोग चिंता ना करें, आपको बेड और ऑक्सीजन की किसी तरह से कोई कमी नहीं पड़ेगी। अब फिर से नई उम्मीद मन में उठना शुरू हो गई थी। 

कोरोना पॉजिटिव लोगों ने कैसे जीती जंगः दवाई के साथ आत्मबल बढ़ाने-वायरस को हराने किए 2 और काम

एक सुकून था कि घरवाले पास में नहीं हैं, तो वे संक्रमित नहीं होंगे
वैसे तो जब हम मुसीबत में होते हैं, तो ऐसा लगता है कि कोई अपना हमारे पास हो। लेकिन कोरोना महामारी में पहली बार ऐसा हुआ कि जब मुझे लगा कि मेरे घरवाले मेरे साथ नहीं है, यह अच्छा है। क्योंकि वे मेरी देखभाल करते और कहीं वे संक्रमित हो जाते, तो यह मेरे लिए और मुसीबत की बात होगी। ऐसे में मुझे अंदर ही अंदर यह सुकून था कि मेरे घरवाले इस वक्त मेरे साथ नहीं हैं, तो वे सुरक्षित हैं। 

कोरोना पॉजिटिव लोगों ने कैसे जीती जंगः 20 Kg वजन कम हुआ फिर भी 60 साल के बुजुर्ग से हार गया वायरस

होम आइसोलेशन में रहा, लेकिन हेल्थ डेस्क कॉन्टेक्ट में रही
मैं 14 दिन आइसोलेशन में रहा, 7वें दिन से लक्षण कम होने लगे थे। सिर्फ कमजोरी रह गई थी। वहीं, बुखार और झुकाम भी ठीक था। इन 7 दिनों में हर दिन हेल्थ डेस्क संपर्क करते रहे और यूपी कोविड हेल्पलाइन से भी मदद मिलती रही। ऐसा लग ही नहीं रहा था कि मैं अकेला कमरे में हूं और मेरे आसपास कोई नहीं है। 

IIT Kanpur प्रशासन का धन्यवाद 
मैं IIT Kanpur प्रशासन का धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मेरा अच्छे से ख्याल रखा। दवाईयों से लेकर खाने, नाश्ते तक का इंतजाम किया। मुझे घर की कमी महसूस नहीं होने दी। यहां तक की कई बार आईआईटी की टीम मुझे नाश्ते और खाने के लिए जगाती रहती थी। इन 14 दिनों में मेरे अंदर सकारात्मकता आई है। मैंने इस आपदा को अवसर में बदलने का प्रयास किया। यही वजह है कि मुझे अंदर से इतनी ऊर्जा मिलती दिख रही है कि आने वाले समय में मैं किसी भी विकट परिस्थिति का सामना कर सकता हूं। 

कोरोना पॉजिटिव लोगों ने यूं जीती जंगः 3 सबक से देश के पहले जर्नलिस्ट ने वायरस की बजा डाली बैंड ...

हौसला रखें, प्रोटोकॉल का पालन करें, आप निश्चित ही कोरोना को मात दे देंगे
कोरोना ने मुझे इस बात का अहसास कराया कि कोई भी मुश्किल हो, उसपर आप धीरज और हौसले से छुटकारा पा सकते हो। मैंने ये महसूस किया कि जब से मैंने अपना डर निकाला और सकारात्मकता लाई, मेरा स्वास्थ्य बेहतर होने लगा। शरीर की कमजोरी भी कम हो रही थी। इस महामारी के दौरान आपको एक बात याद रखना है कि पहले तो आप सावधानी बरतें, मास्क पहने, घर से बिना काम के बाहर ना निकलें, इन सबके बावजूद अगर आप संक्रमित हो जाते हैं, तो आप हौसला रखें, प्रोटोकॉल का पालन करें, डॉक्टरों से लगातार संपर्क में रहें तो निश्चित ही आप कोरोना को मात दे सकते हैं।

Asianet News का विनम्र अनुरोधः आइए साथ मिलकर कोरोना को हराएं, जिंदगी को जिताएं...जब भी घर से बाहर निकलें माॅस्क जरूर पहनें, हाथों को सैनिटाइज करते रहें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। वैक्सीन लगवाएं। हमसब मिलकर कोरोना के खिलाफ जंग जीतेंगे और कोविड चेन को तोडेंगे।#ANCares #IndiaFightsCorona

Share this article
click me!

Latest Videos

LIVE🔴: केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश और पवन खेड़ा द्वारा प्रेस वार्ता
Pushpa 2 Reel Vs Real: अल्लू अर्जुन से फिर पूछताछ, क्या चाहती है सरकार? । Allu Arjun
Year Ender 2024: Modi की हैट्रिक से Kejriwal - Hemant Soren के जेल तक, 12 माह ऐसे रहे खास
हिंदुओं पर हमले से लेकर शेख हसीना तक, क्यों भारत के साथ टकराव के मूड में बांग्लादेश?
'सोना सस्ता लहसुन अभी भी महंगा' सब्जी का भाव जान राहुल हैरान । Rahul Gandhi Kalkaji Sabzi Market