ये हैं देश के पहले ट्रांसजेंडर पायलट, विमान उड़ाने की ट्रेनिंग मिली, लेकिन लग रहा सपना पूरा न होने का डर

एडम हैरी देश के पहले ट्रांसजेंडर पायलट हैं। उनके पास निजी पायलट का लाइसेंस है। डीजीसीए ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उन लोगों को विमान उड़ाने की जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती जो हार्मोनल थेरेपी पर हैं।

Asianet News Hindi | Published : Jul 17, 2022 5:20 AM IST

तिरुवनंतपुरम। 23 साल के एडम हैरी देश के पहले ट्रांसजेंडर पायलट हैं। उनके पास निजी पायलट का लाइसेंस है। देश की विमानन नियामक नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) से कहा है कि ट्रांसजेंडर के पायलट बनने पर कोई रोक नहीं है। इसके बाद भी एक खास वजह से उन्हें डर सता रहा है कि विमान उड़ाने का उनका सपना पूरा नहीं होगा।

दरअसल, डीजीसीए ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उन लोगों को विमान उड़ाने की जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती जो हार्मोनल थेरेपी पर हैं। DGCA ने कहा है कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के पायलट बनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। उन्हें कॉमर्सियल पायलट लाइसेंस प्राप्त करने के लिए मेडिकल टेस्ट के लिए फिर से आवेदन करने का निर्देश दिया है।

विरोधाभासी है डीजीसीए का बयान 
एडम हैरी ने कहा कि डीजीसीए का बयान विरोधाभासी है। वे एक तरफ कहते हैं कि ट्रांसजेंडर लोगों के पायलट बनने पर कोई रोक नहीं है दूसरी ओर कहते हैं कि जो लोग हार्मोनल थेरेपी पर हैं उन्हें विमान उड़ाने की जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती। ट्रांसजेंडर को पूरे जीवन हार्मोनल थेरेपी लेनी होती है। मैं इसे कैसे बंद कर सकता हूं। दरअसल, डीजीसीए के अधिकारियों ने एडम से कहा था कि अगर उन्हें विमान उड़ाने का लाइसेंस चाहिए तो हार्मोनल थेरेपी लेना बंद कर दें। इसके बाद एडम दक्षिण अफ्रीका गए और वहां के फ्लाइंग स्कूल से विमान उड़ाना सीखा।

थका देने वाली लड़ाई है
एडम ने कहा, "भारत में वे चाहते हैं कि लाइसेंस पाने के लिए मैं हार्मोनल थेरेपी बंद कर दूं। यह थका देने वाली लड़ाई है। मुझे खुशी है कि डीजीसीए ने कहा है कि भारत में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के पायलट बनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। यह अच्छा है कि उन्होंने आधिकारिक तौर पर ऐसा कहा है। इससे उन ट्रांसजेंडर लोगों को विश्वास मिलेगा जो अपनी महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाना चाहते हैं।" 

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बता दें कि हैरी ने राज्य सरकार के सहयोग से 2019 में राजीव गांधी एकेडमी फॉर एविएशन टेक्नोलॉजी में दाखिला लिया था। चिकित्सा मूल्यांकन की प्रारंभिक समीक्षा के दौरान विमानन निदेशालय ने उन्हें इस वजह से लाइसेंस देने से इनकार कर दिया था कि वह हार्मोन थेरेपी से गुजर रहे हैं। उन्हें हार्मोन थेरेपी बंद करने और फिर से मेडिकल टेस्ट के लिए आवेदन करने का सुझाव दिया गया था।

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