सीजेआई (CJI NV Ramna) एनवी रमना ने कहा- फाइजर जैसी कई और मल्टीनेशनल कंपनियों ने भारत के अंदर ही कुछ लोगों के साथ मिलकर कोवैक्सीन (Covaxin) को बदनाम करने के प्रयास किए। उसे मान्यता मिलने की राह में रोड़े अटकाए।
हैदराबाद। भारत के वैक्सीनेशन (Vaccination ) में अहम योगदान देने वाली भारत बायोटेक (Bharat Biotech) के संस्थापकों को सीजेआई (CJI) एनवी रमना ने सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि इस कंपनी ने प्रभावी वैक्सीन Covaxin बनाई, लेकिन स्वदेशी वैक्सीन को डब्ल्यूएचओ (WHO) से मान्यता मिलने से रोकने के कई प्रयास किए गए। कई कंपनियां इस काम में लगी रहीं। सीजेआई हैदराबाद में आयोजित रामिनेनी फाउंडेशन पुरस्कार समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा- फाइजर जैसी कई और मल्टीनेशनल कंपनियों ने भारत के अंदर ही कुछ लोगों के साथ मिलकर कोवैक्सीन को बदनाम करने के प्रयास किए थे। उन्होंने डब्ल्यूएचओ से भी शिकायत की थी और इस मेड-इन-इंडिया वैक्सीन को मान्यता देने से रोकने की कोशिश की थी।
अब बच्चों के लिए भी मान्यता
कोरोना के नए वैरिएंट ओमीक्रोन (Omicrion) की बढ़ती दहशत के बीच DCGI ने Covaxin बच्चों को दिए जाने की मंजूरी दे दी है। 12 से 18 साल के बच्चों को ये वैक्सीन इमरजेंसी में दी जा सकेगी। दरअसल, देश के तमाम एक्सपर्ट बच्चों के टीकाकरण पर जोर दे रहे हैं।
ट्रायल के वक्त ही उड़ी कई अफवाहें
कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के दौरान कई तरह की अफवाहें सामने आई थीं। देश के 25 सेंटरों पर इसका ट्रायल हुआ था। इनमें से भोपाल स्थित पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में ट्रायल में शामिल हुए एक व्यक्ति की कोवैक्सीन लगने के बाद मौत होने तक की अफवाहें उड़ीं। हालांकि बाद में सामने आया कि उस व्यक्ति की मौत जहर की वजह से हुई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह साफ हुआ था। कुछ मीडिया समूहों ने कोवैक्सीन को लेकर भ्रामक प्रचार किया, जिसके बाद सरकार को ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की चेतावनी देनी पड़ी।
सभी लोग हमारी कंपनी की महानता दुनिया को बताएं
सीजेआई ने कहा कि कृष्णा एला और सुचित्रा ने वैक्सीनेशन को इस मुकाम पर आने के लिए बहुत संघर्ष किया। आज उन्होंने देश को प्रसिद्धि दिलाई। सभी तेलुगु लोगों को इस वैक्सीन को बनाने वाली हमारी तेलुगु कंपनी की महानता के बारे में दुनिया को बताने के लिए आगे आना चाहिए। इसने अब हमारे देश में नाम और प्रसिद्धि लाई है। जस्टिस रमना ने भारत बायोटेक के संस्थापक कृष्णा एला और सुचित्रा एला को फाउंडेशन की ओर से पुरस्कार भी दिया।
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